भारत और पाकिस्तान ने करतारपुर गलियारा पर चर्चा की

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भारत की ओर प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई एससीएल दास ने की, जबकि पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व मोहम्मद फैसल ने किया।



वाघा, 14 जुलाई ( हि.स.)। करतारपुर गलियारा को लेकर भारत और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने रविवार को यहां बैठक की जिसमें गतिरोध दूर करने पर विचार विमर्श किया गया। बैठक में भारत ने पाकिस्तान के समक्ष श्रद्धालुओं के लिए वीजा मुक्त यात्रा और कांसुलर सेवा की मांग रखी है। यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट से मिली।

बैठक के बाद गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव (आतंरिक सुरक्षा) एससीएल दास ने बताया, ‘ भारत ने डेरा बाबा नानक और आसपास के इलाकों में बाढ़ को लेकर चिंता को पाकिस्तान से अवगत कराया।‘’ वहीं, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ. मोहम्मद फैसल ने कहा कि 80 फीसदी मुद्दों पर दोनों देशों के बीच सहमति बन गई है। शेष मुद्दों को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच एक और बैठक किए जाने की जरूरत है।

भारत की ओर प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई एससीएल दास ने की, जबकि पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व मोहम्मद फैसल ने किया। पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल में बीस सदस्य थे। यह बैठक सुबह 9.30 बजे शुरू होने वाली थी, लेकिन बारिश की वजह से देर से शुरू हुई।

इस बीच, मीडिया को संबोधित करते हुए पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ. मोहम्मद फैसल ने कहा कि पाकिस्तान करतापुर कॉरिडोर को संचालित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और इस दिशा में सहयोग कर रहा है। गुरुद्वारा का निर्माण कार्य 70 प्रतिशत से अधिक पूरा हो गया है।

उल्लेखनीय है कि करतारपुर कॉरिडोर खोले जाने की तारीख तय है। इसे 22 नवंबर को होने वाली गुरु नानक की 550वीं जयंती से पहले शुरू होना है, लेकिन तैयारियां अभी भी बाकी हैं। हिन्दुस्तान ने अपने हिस्से के काम को तेजी से निपटाया है, लेकिन पाकिस्तान की बदनीयती कहिए कि वह लगातार पेच फंसा रहा है और ननकाना साहिब में पवित्र दर्शन की राह में रोड़े अटका रहा है।

इन्हीं बाधाओं को दूर करने के लिए दोनों देशों में आज फिर वाघा बॉर्डर पर बैठक हुई। लेकिन जिस तरह से पाकिस्तान टालमटोल का रवैया अपनाता रहा है, वो समाधान की ओर जाता नहीं दिख रहा है।

बैठक से ठीक पहले पाकिस्तान ने खालिस्तान समर्थक गोपाल सिंह चावला को वहां के सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से हटा दिया। ये कूटनीतिक दबाव का बड़ा असर है। पहले दौर की बातचीत में भारत ने इसे लेकर चिंता जाहिर की थी। चावला करतारपुर कॉरिडोर की वार्ता कमेटी का भी सदस्य था।

चावला के अलावा खालिस्तानी मूवमेंट को हवा देने वाले मनिंदर सिंह, तारा सिंह, बिशन सिंह और कुलजीत सिंह जैसे नाम थे। लेकिन बैठक से ठीक पहले जब पाकिस्तान ने सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की नई सूची जारी की तो उसमें भी खालिस्तानी समर्थकों को तवज्जो दी गई। खालिस्तान समर्थक बिशन सिंह के बदले उसके भाई अमीर सिंह को कमेटी में डाल दिया गया है और वह भी खालिस्तान समर्थक बताया जा रहा है।

खालिस्तानी समर्थकों की मौजूदगी पर चिंता के अलावा भारत की मांग रही है कि करतारपुर में एक दिन में 5000 श्रद्धालुओं को दर्शन का मौका मिले। लेकिन पाकिस्तान महज 700 श्रद्धालुओं के दर्शन पर ही अड़ा है।भारत की मांग है कि करतापुर कॉरिडोर साल भर खुला रहे जिसके के लिए पाकिस्तान राजी नहीं है। इतना ही नहीं भारत चाहता है कि श्रद्धालुओं का कोई वीजा या शुल्क ना लगे, प्रवासी भारतीयों को भी मौका मिले, लेकिन पाकिस्तान सिर्फ भारतीय श्रद्धालुओं की जिद पर अड़ा है।

 


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