सुलतानपुर, 16 अगस्त (हि.स.)। कहते हैं हौसले बुलंद हो तो मंजिल दूर नहीं है। सामान्य परिवार से तालुल्क रखने वाली शिक्षक दम्पति बेटी प्रतिभा वर्मा ने देश की सर्वोच्च सेवा में तीसरा महिला वर्ग में प्रथम स्थान हासिल किया है।
इस सफलता को कैसे हासिल किया, कितने उतार-चढ़ाव आये, क्या संघर्ष रहा..ऐसे कई बिन्दुओं का राज उन्होंने बातचीत में साझा किया है। आईये जानते हैं क्या है राज…
साक्षात्कार के दौरान पूछे गए सवालों का जबाब कैसे दिया, इस पर प्रतिभा वर्मा ने कहा आईएएस की परीक्षा में करीब 25 से 30 प्रश्न पूछे गए थे, जिसमें यह प्रश्न अपने आप में अजीब प्रश्न था। कोरोना काल में क्या सकारात्मक हुआ है,क्या अच्छा हुआ है? यह प्रश्न अटपटा जरूर लगा, किंतु उन्होंने इसके सकारात्मक पहलु पर बड़ी ही तेजी और सूझबूझ के साथ जवाब दिया।
साक्षात्कार टीम को बताया कि सबसे ज्यादा उपलब्धि स्वास्थ्य में हुई है। जनता स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुई है। जिन क्षेत्रों में स्वास्थ्य की सेवाएं नगण्य थी, वहां बेहतर हुई है। इस कोरोना महामारी में स्वास्थ्य सुविधाओं को जनता से ज्यादा प्रदेश की सरकारें सजग रहीं। इसके साथ ही दिल्ली जैसे देश की राजधानी में प्रदूषण चरम पर था, वहां की हालात बदतर थी। सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था, जो प्रदूषण की कैटेगरी है वह पहली बार बहुत अच्छा रहा। बताया कि पाकिस्तान और चीन के बीच चल रहे विवाद पर भी प्रश्न पूछे गए।
माता-पिता के आशीर्वाद से मिली सफलता
प्रतिभा ने कहा कि एक समय के बाद अपने अभिभावकों को विश्वास दिलाना पड़ता है। माता-पिता से हर पल की बात साझा करना चाहिए, उनके मार्गदर्शन और आशीर्वाद से सबकुछ संभव है। संवाद से कई समस्याओं का समाधान हो जाता है। संवाद ही विश्वास बनाने का बेहतर माध्यम है।
हिन्दी, संस्कृत के छात्र घबराये नहीं,असीम संभावनाएं
बताया कि आईएएस की परीक्षा में हिन्दी और संस्कृत में महारत रखने वाले बेहतर स्थान बना सकते हैं। यह कहना गलत है कि अंग्रेजी पढ़ने वाले ही आईएएस की परीक्षा में उत्तम स्थान पाते हैं। प्रतिभा वर्मा ने इसे एक सिरे से नकारते हुए बताया कि अंग्रेजी तैयारियों के लिए पाठ्य सामग्री जरूर प्रदान करता है, किंतु संस्कृत और हिन्दी जानने वाले लोग भी बेहतर कर सकते हैं। दैनिक समाचार पत्र, पत्रिका का अध्ययन भी सहायक है। एनसीईआरटी की अधिकांश किताबें इस परीक्षा के लिए अत्यंत उपयोगी हैं, जिसमें इतिहास, भूगोल और इकोनॉमी करेंट अफेयर और कक्षा नौ की बेसिक क्वालिटी की किताब जो आंसर राइटिंग में बहुत सहायक होती है। इसके अलावा कक्षा 11 व 12 वीं की सामाजिक विज्ञान, पर्यावरण और विज्ञान से संबंधित किताबें बेहतर है।
-माँ-बेटी के बीच मित्रता का हो रिश्ता
मां श्रीमती ऊषा वर्मा ने बताया कि अपने बच्चों पर हमेशा भरोसा करना चाहिए। बेटी और बेटों में कोई भेदभाव हमने कभी नहीं किया है। हम अपने पूरे परिवार को साथ लेकर चले हैं इसीलिए मुझे मेरा परिवार मेरा अभिमान का संकल्प पूरा हुआ है।
श्रीमती वर्मा ने कहा कि मां बेटी के बीच एक अटूट रिश्ता होता है। मां से अधिक मित्रता का रिश्ता निभाना पड़ता है, जिसके कारण बेटी अपनी हर बात को शेयर करती है। इसीलिए हमने अपनी बेटे और बेटियों पर भरोसा किया है। वैसे भी मां की नजर पारखी होती है अपने बच्चों की चाल से ही मां समझ लेती है कि बच्चे किस ओर जा रहे हैं। हम बच्चों को प्यार से ही उनकी बातों को समझ सकते हैं और उनको समझा सकते हैं। बच्चों के बीच कभी भी नकारात्मक प्रवृत्ति नहीं लाना चाहिए। हमारे बच्चे भरोसे पर खरे उतरें है। इन्हीं सब का परिणाम है कि आज बेटी ने यूपीएससी की परीक्षा में देश में तीसरा स्थान लाकर हमारा ही नहीं पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है।
-यूपी बोर्ड की मेरिट में हासिल किया था तीसरा स्थान
विद्याभारती से सम्बद्ध नगर के रामराजी सस्वती बालिका इण्टर कालेज में हाई स्कूल तक पढ़ाई की है। वर्ष 2008 में प्रतिभा ने यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा परिणाम में प्रदेश में तीसरा स्थान लाकर सबको चौका दिया था। केएनआईसी से इंटर के बाद वह आईआईटी दिल्ली से स्नातक की पढ़ाई पूरी कर सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी में जुट गयी थी। प्रतिभा ने इसके पूर्व सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर 489 वीं रैंक हासिल की है जहां से वह इनकम टैक्स कमिश्नर बनी है। वर्तमान समय वह दिल्ली में तैनात थी, जहां से छुट्टी लेकर वह आइएएस की तैयारी कर रही थी। अपने तीसरे प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा में वह पूरे देश में तीसरे स्थान पर तथा महिला श्रेणी में देश में पहली रैंक अर्जित किया।
प्रतिभा वर्मा उत्तर प्रदेश के जिला सुल्तानपुर नगर के बघराजपुर मोहल्ले की निवासी है। मां ऊषा वर्मा प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका और पिता सुवंश वर्मा विकवाजितपुर माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त हैं। बड़ी बहन प्रियंका वर्मा मौलाना आजाद मेडिकल कालेज दिल्ली में चिकित्सक तथा छोटा भाई सुधीर वर्मा एमबीए कर हैदराबाद में नौकरी कर रहा है। सबसे छोटा भाई अभिषेक वर्मा भी बीटेक करके आई एसएस की तैयारी में जुट गया है।