विदेशी धरती पर हैं वायुसेना के दो एयरबेस

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ताजिकिस्तान में बने दोनों एयरबेस ने पाकिस्तान और चीन के मोर्चों पर भारत को बड़ी ताकत दी  ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियों के लिहाज से दोनों एयरबेस को और मजबूत करना चाहती है वायुसेना 



नई दिल्ली, 03 जनवरी (हि.स.)। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से महज 16 किमी. दूर ताजिकिस्तान में भारतीय वायुसेना ‘टू फ्रंट वार’ के लिहाज से अपने दोनों एयरबेस को और मजबूत करना चाहती है। यह दोनों एयरबस रणनीतिक रूप से इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यहां से भारत हमेशा पाकिस्तान और चीन की हरकतों पर नजर रखता है। अयनी एयरबेस पर फिलहाल भारतीय वायुसेना के तीन हेलीकॉप्टर और फारखोर में मिग-29 विमानों की दो स्क्वाड्रन तैनात हैं। विदेशी जमीन पर बनाये गए इन दोनों एयरबेस ने पाकिस्तान और चीन के मोर्चों पर भारत को बड़ी ताकत दी है।
भारतीय वायुसेना ने ताजिकिस्तान के आयनी और फारखोर में अपने दो एयरबेस बना रखे हैं। भारत के लिए यह दोनों एयरबेस रणनीतिक कारणों से इसलिए अहम हैं क्योंकि यहां से पाकिस्तान और चीन की हरकतों पर एक साथ नजर रखी जा सकती है। ताजिकिस्तान की सीमा चीन, अफगानिस्तान और पीओके से जुड़ी हैं। चीन से ताजिकिस्तान की सीमा 520 किमी. लंबी है, जबकि अफगानिस्तान के साथ 1,420 किमी. लंबी सीमा है। अफगान-वाखान कॉरिडोर 16 किमी. लम्बा है। इसका मतलब है कि ताजिकिस्तान और पीओके की बीच की दूरी सिर्फ 16 किमी. है। चीन अपना आर्मी बेस पहाड़ी इलाके वाखान कॉरिडोर के पास बनाना चाहता है। यहां पर चीन की सीमा अफगानिस्तान से मिलती है। ताजिकिस्तान, पाक और चीन पर यहां से करीब सियाचिन और पाक अधिकृत कश्मीर पर हवाई नजर रखने के लिए यह सबसे उपयुक्त स्थान है। यहां से भारत की वायुसेना कुछ ही मिनटों में पाकिस्तान पहुंच सकती है।
आयनी एयर बेस  
आयनी एयर बेस ताजिकिस्तान की राजधानी दुशानबे से सिर्फ 10 किमी. दूर है। इसे गिसार एयर बेस के नाम से भी जाना जाता है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सोवियत संघ ने इसे अपने एयर बेस के रूप में इस्तेमाल किया था लेकिन इसके बाद इस्तेमाल करने लायक नहीं रहा। पिछले 13 साल से आयनी एयर बेस पर भारत और ताजिकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग चल रहा है। भारत ने 2002 से 2010 तक इस एयर बेस के पुनर्निर्माण और इसे आधुनिक बनाने के लिए करीब 7 करोड़ डॉलर खर्च किए। भारत ने पुनर्निर्माण के दौरान यहां के रनवे को 3,200 मीटर तक बढ़ाया है। ताजिकिस्तान में भारत की मौजूदगी से पाकिस्तान काफी परेशान है और इस संबध में उसने ताजिकिस्तान सरकार से विरोध भी दर्ज कराया है। इन एयर बेस के जरिए भारत, अफगानिस्तान के अंदरूनी हालत पर नजर रखता है और मुश्किल से मुश्किल समय में अफगान के नॉर्दर्न अलायंस सेना की मदद करने में सक्षम है।
फारखोर एयर बेस
ताजिकिस्तान का दूसरा अहम एयर बेस फारखोर में राजधानी दुशानबे से साउथ-ईस्ट में 130 किमी. की दूरी पर है। 1996-97 में भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ ने यहां अफगान नॉर्दर्न एलायंस के साथ एक ज्वॉइंट ऑपरेशन चलाया था। यहां रॉ न सिर्फ खुफिया जानकारी इकट्ठा करती थी, बल्कि भारत ने यहां छोटा मिलिट्री हॉस्पिटल भी शुरू किया था, जिसे मैत्री हॉस्पिटल भी कहा जाता है। यहां तालिबान से लड़ाई में घायल अफगान नॉर्दर्न एलायंस के जवानों का इलाज किया जाता था। तब से इसे भारत के एयर बेस के रूप में पहचाना जाने लगा। यहां भारतीय वायुसेना के मिग-29 विमानों की दो स्क्वाड्रन तैनात हैं। फिलहाल यहां भारत ताजिकिस्तान आर्मी और सिविलियन के लिए मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है।
भारतीय वायुसेना प्रमुख ने कहा कि ताजिकिस्तान के इस अयनी एयर बेस ने हमें वहां से हवाई संचालन करने में बड़ी क्षमता दी है और इसका बहुत रणनीतिक महत्व है। भारत ने हवाई बेस के नवीनीकरण के दौरान अत्याधुनिक वायु रक्षा उपकरण लगाए हैं। वायु सेना ने अयनी एयर बेस में तीन एमआई-17 हेलीकॉप्टर तैनात रखे हैं लेकिन भारत वहां कुछ जेट्स और ट्रूप्स तैनात करने की योजना के साथ आगे नहीं बढ़ सकता है, क्योंकि रूस और ताजिकिस्तान आसमान पर गश्त करते हैं और एक मोटर चालित राइफल डिवीजन की तैनाती कर रखी है। रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ताजिकिस्तान में फिलहाल किसी दूसरे देश का इस तरह कोई सेंटर नहीं है।

 


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