चीन को ताइवान का मुंहतोड़ जवाब, कभी नहीं झुकेगा देश : राष्ट्रपति

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ताइपे, 11 अक्टूबर (हि.स.)। ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने रविवार को बीजिंग की एक प्रतिक्रिया के जवाब में कहा कि ताइवान अपने बचाव को मजबूत करता रहेगा और कोई भी उन्हें चीन के आगे झुकने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ऐसे फैसलों की निंदा करती है जो न तो उसे स्वतंत्रता प्रदान करता है और न ही लोकतंत्र।

ताइवान पर बीजिंग का शासन स्वीकार करने और चीन द्वारा अपने क्षेत्र के रूप में दावा किए जाने पर ताइवन ने कहा कि वह राजनीतिक दबाव में नहीं आने वाला है। ताइवान के वायु रक्षा पहचान क्षेत्र में बार-बार चीनी वायु सेना के मिशन अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बना हुआ है।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को चीन में ताइवान के शांतिपूर्ण एकीकरण की बात को दोहराया। हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर बल प्रयोग का उल्लेख नहीं किया। फिर भी, ताइपे ने इस पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा है कि केवल ताइवान के लोग ही इसका भविष्य तय कर सकते हैं।

ताइवान की राष्ट्रपति त्साई ने नेशनल डे रैली को संबोधित करते हुए कहा कि ताइवान जलडमरूमध्य में तनाव कम होने की उम्मीद है। साथ ही उन्होंने दोहराया कि ताइवान कोई जल्दीबाजी नहीं करेगा। उन्होंने राष्ट्रपति कार्यालय के बाहर दिए अपने भाषण में कहा कि इसमें किसी को कोई भ्रम नहीं होना चाहिए कि दबाव में ताइवान के लोग झुकेंगे।

त्साई ने कहा कि हम अपनी राष्ट्रीय रक्षा को मजबूत करना जारी रखेंगे और यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी रक्षा के लिए दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन करेंगे ताकि कोई भी ताइवान को चीन द्वारा हमारे लिए निर्धारित मार्ग पर चलने के लिए मजबूर न कर सके। ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन ने जो रास्ता तय किया है वह न तो ताइवान के लिए एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक जीवन शैली प्रदान करता है, न ही हमारे 2.3 करोड़ लोगों की संप्रभुता।

चीन ने ताइवान को ‘एक देश, दो प्रणाली’ के स्वायत्तता मॉडल की पेशकश की है, जैसा कि वह हांगकांग के साथ उपयोग करता है। लेकिन सभी प्रमुख ताइवानी दलों ने इसे खारिज कर दिया है, खासकर पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश में चीन की सुरक्षा कार्रवाई के बाद।

त्साई ने समानता के आधार पर चीन से बात करने की पेशकश दोहराई है। उन्होंने बीजिंग के बयान के नौ घंटे बाद जवाब देते हुए चीन के प्रस्ताव की निंदा करते हुए कहा कि देश के एकीकरण और स्वतंत्रता की मांग वार्ता के द्वार बंद कर देती है।

चीन के ताइवान मामलों के कार्यालय ने कहा कि इस भाषण ने ताइवान की स्वतंत्रता की वकालत की, टकराव को उकसाया, इतिहास और विकृत तथ्यों को काट दिया।


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