यूपी में बनाई थी देश की पहली स्वॉट टीम संयुक्त राष्ट्र में सेवा देने वाले असीम अरुण ने

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लखनऊ में आतंकी सैफुल्लाह को ढेर करने के बाद यूपी में क्राइम कंट्रोल के बने रीढ़ 



लखनऊ, 26 मार्च (हि.स.)। योगी सरकार ने जब राजधानी लखनऊ और गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) में कमिश्नरी प्रणाली लागू की थी तभी कयास लगाया जा रहा था कि कानपुर को भी इस श्रेणी में लाया जाएगा। हुआ भी ऐसा और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तारीखों के एलान से पहले ही देर रात शासन ने वाराणसी और औद्योगिक नगरी कानपुर नगर पर कमिश्नरी प्रणाली लागू कर दिया।
ऐसे में कानपुर की जिम्मेदारी उस आईपीएस अधिकारी को दी गयी जो भारत ही नहीं संयुक्त राष्ट्र के तहत कोसोवो देश में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। यही नहीं जनपद स्तर पर यूपी में स्वॉट टीम का गठन देश में पहली बार करने का भी श्रेय उन्ही को जाता है। उस आईपीएस अधिकारी का नाम है असीम अरुण।
कानपुर में कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही तेज तर्रार आईपीएस असीम अरुण को महानगर का पहला पुलिस कमिश्नर बनाया गया है। असीम अरुण प्रदेश के तेजतर्रार आईपीएस अफसरों में गिने जाते हैं। उनके नाम कई ऐसे रिकार्ड हैं जो बिरले आईपीएस के पास होते हैं। आज संगीन अपराधों में स्वॉट (स्पेशल वेपन्स एंड टेक्टिक्स) टीम का उपयोग किया जाता है तो इसकी नींव रखने का श्रेय भी उन्ही को जाता है। एटीएस आईजी का पद संभालते हुए असीम अरुण के नेतृत्व में टीम ने वर्ष 2017 में लखनऊ में हुए एनकाउंटर में आतंकी सैफुल्लाह को मार गिराया था। इसके बाद वह यूपी में क्राइम कंट्रोल की रीढ़ माने जाने लगे।
पिता से मिली प्रेरणा 
कानपुर के नये पुलिस कमिश्नर असीम अरुण का जन्म 3 अक्टूबर 1970 को उत्तर प्रदेश के कन्नौज जनपद में हुआ था। उनके पिता श्री राम अरुण की गिनती भी तेज तर्रार आईपीएस अफसरों में होती थी और यूपी के पुलिस महानिदेशक की भी जिम्मेदारी संभाल चुके थे। उनकी माता शशि अरुण समाजसेविका और लेखिका रही हैं। उनकी शिक्षा लखनऊ के सेंट फ्रांसिस स्कूल से हुई। बाद में दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से बीएससी की। पिता से प्रेरणा लेकर उन्होंने ​देश की सेवा करने के लिए पुलिस विभाग को चुना। 90 के दशक में उनका पुलिस विभाग में चयन हुआ और वर्ष 1994 बैच के आईपीएस बन गए।
कई जिलों के रह चुके हैं कप्तान 
पुलिस विभाग में आने के बाद असीम अरुण उत्तर प्रदेश के बलरामपुर, हाथरस, सिद्धार्थनगर, गोरखपुर, अलीगढ़ और आगरा पुलिस अधीक्षक के साथ पुलिस उपमहानिरीक्षक पद पर अपनी सेवाएं दी। इसके बाद कुछ समय के लिए वह पढ़ाई करने ​विदेश चले गए और वहां से आकर एटीएस लखनऊ की जिम्मेदारी संभाली। इसके अलावा जब उत्तराखण्ड उत्तर प्रदेश का भाग था तब टिहरी गढ़वाल में भी रह चुके हैं।
 
ऐसी जगह इस्तेमाल की जाती है स्वॉट टीम 
देश में जनपद स्तर पर पहली स्वॉट (स्पेशल वेपन्स एंड टेक्टिक्स) टीम आतंकी और जोखि‍मपूर्ण मिशन को अंजाम देने वाली खास हथियारों से लैस विशेष कमांडो टीम है। मुख्य रुप से शहरों में होने वाली उच्च जोखिम वाली वारदातों जैसे बंधक बनाए जाने की स्थिति, अचानक गोलीबारी जैसी परिस्थितयों से निपटने के लिए यह टीम बनाई गई है। यह टीम मानवाधिकारों को ध्यान रखने का भी काम करती है।
पूर्व प्रधानमंत्री की सुरक्षा दल में रहे शामिल 
आईपीएस असीम अरुण को उनकी ईमानदारी और काबिलियत के चलते उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सुरक्षा दल में भी शामिल किया गया। उनके काम को देखते हुए एनएसजी मानेसर समेत सीबीआई की साइबर अपराध विवेचना अकादमी गाजियाबाद में भी सेवा देने का मौका मिला। वह बेहतर कमांडो के रुप में भी जाने जाते है।

 


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