अंबाला की बेटी को कभी न भूल पाएगा देश

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1977 में अंबाला से पहली बार बनीं थी विधायक



अंबाला, 07 अगस्त, (हि.स.)। पूर्व विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के अचानक निधन की खबर से हरियाणा भी शोक में डूब गया है। महज 25 साल की उम्र में हरियाणा में कैबिनेट मंंत्री बनने वाली सुषमा स्‍वराज अंबाला की बेटी थीं। वह दो बार अंबाला छावनी सीट से विधायक बनीं। मंगलवार देर रात उनके निधन की खबर पर लोगों को यकीन नहीं हो पा रहा। दिल्‍ली और राष्‍ट्रीय राजनीति में सक्रिय होने के बावजूद सुषमा स्‍वराज का अंबाला में अपने मायके से आजीवन जुड़ाव बना रहा। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मौत की खबर जैसे ही अंबाला कैंट पहुंची, इलाके के लोग सुषमा के घर के बाहर पहुंचना शुरू हो गए। सभी ने परिवार को दुख की इस घड़ी में ढाढस बंधाया। सुषमा के भाई और भाभी दिल्ली चले गए।
अंबाला का सियासी सफर
सुषमा स्‍वराज अंबाला छावनी सीट से 1977 और 1987 में विधायक चुनी गई थीं। वह 1977 में महज 25 साल की उम्र में विधायक बनीं और फिर जनता पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनीं। वह महज 27 साल की आयु में 1979 में जनता पार्टी की हरियाणा इकाई की अध्‍यक्ष बनीं। कम उम्र में मंत्री और किसी राष्ट्रीय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनने का देश में शायद यह अनोखा रिकॉर्ड है। हरियाणा में चौधरी देवीलाल सरकार में दो बार मंत्री रहीं सुषमा स्वराज ने 1985-86 के न्याय युद्ध आंदोलन में भी हिस्सेदारी की थी। यह न्‍याय युद्ध एसवाईएल नहर निर्माण को लेकर चौ. देवीलाल और डॉ मंगलसेन की जोड़ी के नेतृत्व में चलाया गया था। इस आंदोलन में महिलाओं के नेतृत्व सुषमा स्वराज ने ही किया था।
यादें:
लोकसभा चुनाव में गृह सीट अंबाला के आरक्षित होने के कारण उन्होंने संसद में जाने के लिए करनाल से तीन बार चुनाव लड़ा लेकिन सफल नहीं हो पाईं। वर्ष 1984 में करनाल लोकसभा सीट से हार मिलने के बाद सुषमा ने 1987 में अंबाला छावनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। विधायक रहते ही 1989 में फिर से करनाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन हार गईं। भाजपा ने उन्हें 1990 में राज्यसभा का सदस्य बनाकर संसद भेज दिया।
अंबाला में शिक्षा और सियासत दोनों का सफर शुरू हुआ
सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी,1952 को हुआ था। उनकी शिक्षा और सियासत दोनों का सफर अंबाला से शुरू हुआ। उनके पिता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रतिष्ठित सदस्य थे। उन्होंने राजनीति विज्ञान और संस्कृत विषयों से अंबाला छावनी के एसडी कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। सुषमा स्वराज ने चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय के कानून विभाग से एलएलबी की डिग्री हासिल की। 1970 में उनको अंबाला छावनी के एसडी कॉलेज में सर्वश्रेष्ठ छात्रा का पुरस्कार मिला। सुषमा स्‍वराज अतिरिक्त पाठ्यचर्या गतिविधियों में प्रवीण थीं। उनकी रुचि शास्त्रीय संगीत, कविता, ललित कला और नाटक में भी थी। उन्हें कविता और साहित्य पढ़ना भी अच्छा लगता था। सुषमा स्वराज को लगातार तीन वर्षों तक एसडी कॉलेज के एनसीसी की सर्वश्रेष्ठ सैनिक छात्रा घोषित किया गया। हरियाणा के भाषा विभाग द्वारा आयोजित एक राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में उन्हें लगातार तीन वर्षों तक सर्वश्रेष्ठ हिंदी वक्ता पुरस्कार प्रदान किया गया। वह एसी बाली मेमोरियल घोषणा प्रतियोगिता में पंजाब विश्वविद्यालय की सर्वश्रेष्ठ हिंदी वक्ता बन गईं। उन्होंने भाषण प्रतियोगिताओं, वाद विवाद प्रतियोगिताओं, नाटकों और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों में कई पुरस्कार जीते हैं। वह चार साल तक हरियाणा राज्य के हिंदी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षा भी रहीं।

 


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