अयोध्या मामला: मुस्लिम पक्ष की तीन दिन सुनवाई करने की मांग सुप्रीम कोर्ट से खारिज

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पिछली 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई तेज गति से करने का फैसला लिया था। कोर्ट ने कहा था कि अब इस मामले में संविधान बेंच हफ्ते में पांचों दिन (सोमवार से लेकर शुक्रवार तक) सुनवाई करेगी।



नई दिल्ली, 09 अगस्त (हि.स.)। अयोध्या मामले पर हफ्ते में पांचों दिन सुनवाई होगी। हफ्ते में तीन दिन सुनवाई करने के मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। धवन ने सुबह कहा था कि लगातार सुनवाई से उन्हें तैयारी के लिए पूरा समय नहीं मिल पाएगा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि जब आपके जिरह की बारी आएगी, तब हम बीच में तैयारी के लिए ब्रेक दे देंगे। आज दिन भर रामलला के वकील के परासरन ने अपनी दलीलें रखीं।

परासरन ने कहा कि हिन्दू किसी निश्चित रूप में देवताओं की पूजा नहीं करते, वह देवताओं को दिव्य अवतार के रूप में पूजते हैं जिनमें कोई अवतार नहीं होता। देवताओं के स्थापित होने और मंदिर निर्माण से पहले हिन्दू भगवान राम की पूजा करते थे। परासरन ने कहा कि देवता को सजीव प्राणी माना जाता है और इसे घर का स्वामी माना जाता है, ठीक उसी तरह जैसे सेवक अपने मालिकों के साथ करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने परासरन से पूछा कि क्या अयोध्या में जन्मस्थान के आसपास परिक्रमा होती है? परासरन ने कहा कि एक परीक्षित मार्ग है, जहां लोग परीक्षित होते थे, उसमें कोई प्रतिमा नहीं थी। इससे यह निष्कर्ष निकल सकता है कि परिक्रमा जन्मस्थान की होती थी, गोवर्धन में भी परिक्रमा होती है, यही तीर्थयात्रा है। परासरन ने कहा कि ईश्वर कण-कण में है, लेकिन विभिन्न रूपों में उसका मानवीकरण कर पूजा होती है, मंत्र पूजा और मूर्ति तो ईश्वर की पूजा का माध्यम है।

परासरन ने कहा राम का अस्तित्व और उनकी पूजा यहां मूर्ति स्थापित होने और मन्दिर बनाए जाने से भी पहले से है, हिंदू दर्शन में ईश्वर किसी एक रूप में नहीं है, अब केदारनाथ को ही लीजिए तो वहां कोई मूर्ति नहीं है, प्राकृतिक शिला है। जस्टिस बोबड़े ने पूछा कि क्या इस समय रघुवंश डाइनेस्टी में कोई इस दुनिया में मौजूद है? परासरन ने कहा कि मुझे नहीं पता। परासरन ने बताया कि रामायण में उल्लेख है कि सभी देवता भगवान विष्णु के पास गये और रावण के अंत करने की बात कही। तब विष्णु ने कहा कि इसके लिये उन्हें अवतार लेना होगा।

पिछली 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई तेज गति से करने का फैसला लिया था। कोर्ट ने कहा था कि अब इस मामले में संविधान बेंच हफ्ते में पांचों दिन (सोमवार से लेकर शुक्रवार तक) सुनवाई करेगी।

उसी रोज वकील के परासरन ने जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसी श्लोक का हवाला देते हुए कहा था कि जन्मभूमि बहुत महत्वपूर्ण होती है। राम जन्मस्थान का मतलब एक ऐसा स्थान जहां सभी की आस्था और विश्वास है। परासरन ने कोर्ट को बताया था कि इस मुकदमे में पक्षकार तब बनाया गया जब मजिस्ट्रेट ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 145 के तहत इनकी सम्पत्ति अटैच कर दी थी।इसके बाद सिविल कोर्ट ने वहां कुछ भी करने से रोक लगा दी। परासरन ने कोर्ट को बताया था कि कोर्ट ने रामजन्मभूमि को मुद्दई मानने से इनकार कर दिया था, इसलिए रामलला को पक्षकार बनना पड़ा। उन्होंने कहा था कि क्योंकि रामलला नाबालिग हैं, इसलिए उनके दोस्त मुकदमा लड़ रहे हैं, पहले देवकीनंदन अग्रवाल ने ये मुकदमा लड़ा, अब मैं त्रिलोकीनाथ पांडेय लड़ रहे हैं।

परासरन ने कहा था कि जब हम जन्मस्थान की बात करते हैं तो हम पूरी जगह के बारे में बात करते हैं। पूरी जगह राम जन्मस्थान है। जन्मस्थान को लेकर सटीक स्थान की आवश्यकता नहीं है, लेकिन आसपास के क्षेत्रों में भी इसका मतलब हो सकता है। परासरन ने कहा था कि हिंदू और मुस्लिम पक्ष दोनों ही विवादित क्षेत्र को जन्मस्थान कहते हैं, इसलिए इसमें कोई विवाद नहीं है कि ये भगवान राम का जन्मस्थान है।

सुप्रीम कोर्ट ने परासरन से पूछा था कि क्या एक जन्मस्थान एक न्यायिक व्यक्ति हो सकता है? हम एक मूर्ति के एक न्यायिक व्यक्ति होने के बारे में समझते हैं, लेकिन एक जन्मस्थान पर कानून क्या है? जिस तरह उत्तराखंड की हाई कोर्ट ने गंगा को व्यक्ति माना था और अधिकार दिया था। परासरन ने जवाब दिया था कि हां, रामजन्मभूमि व्यक्ति हो सकता है और रामलला भी, क्योंकि वो एक मूर्ति नहीं बल्कि एक देवता हैं। हम उन्हें सजीव मानते हैं।

परासरन ने कहा था कि ऋग्वेद के अनुसार सूर्य एक देवता हैं, सूर्य मूर्ति नहीं है लेकिन वह सर्वकालिक देवता हैं, इसलिए कह सकते हैं कि सूर्य एक न्यायिक व्यक्ति हैं। हाई कोर्ट ने जारी निर्मोही अखाड़ा के सूट नंबर 3 और मुस्लिम पक्ष के सूट नंबर 4 को खारिज कर दिया था, जिसके बाद 2.77 एकड़ जमीन पर फैसला होना है, किसी ने भी बंटवारे की मांग नहीं की है।

 


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