नई दिल्ली, 15 जून (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने बीएस-4 वाहनों की बिक्री के मामले पर फेडरेशन ऑफ आटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशऩ (फाडा) को फटकार लगाते हुए कहा कि हमारी ओर से दी गई रियायत का गलत फायदा उठाया गया है। कोर्ट ने कहा कि हमने एक लाख पांच हजार वाहनों की बिक्री और रजिस्ट्रेशन की इजाजत दी थी लेकिन लगता है कि दो लाख पचपन हजार वाहन बेचे गए।
कोर्ट ने फाडा को निर्देश दिया कि वो 19 जून तक वाहनों की बिक्री और रजिस्ट्रेशन का विवरण दे। कोर्ट ने परिवहन मंत्रालय को निर्देश दिया कि वो 27 मार्च को उसके आदेश के बाद बेचे गए या रजिस्टर्ड बीएस-4 वाहनों का विवरण दे। 27 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जो स्टॉक बचा है, उसका 10 फीसदी लॉकडाउन खत्म होने के बाद दिल्ली-एनसीआर के बाहर बेचा जा सकेगा। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली 27 मार्च को पहले 1 अप्रैल से सिर्फ बीएस-6 गाड़ियों की बिक्री का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान आटोमोबाइल कंपनियों ने कहा था कि 7000 करोड़ रुपये का माल फंसा है। उसे बेचने की अनुमति दी जाए।
पिछली 14 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने आटोमोबाइल कंपनियों की 31 मार्च 2020 के बाद बीएस-4 वाहनों की बिक्री की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। 24 अक्टूबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 31 मार्च 2020 के बाद बीएस-4वाहनों की बिक्री नहीं की जा सकती है। आटोमोबाइल निर्माताओं की दलील थी कि वे अंतिम समय सीमा खत्म होने के पहले बीएस-4 वाहनों का उत्पादन बंद कर देंगे लेकिन अपना स्टॉक खत्म करने के लिए छह महीने का ग्रेस पीरियड दिया जाए। कोर्ट ने उनकी दलील खारिज करते हुए कहा कि 31 मार्च 2020 के बाद न तो बीएस-4 वाहनों की बिक्री होगी और न ही उत्पादन।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि 1 अप्रैल 2020 से देश में सिर्फ बीएस-6 गाड़ियों की बिक्री होगी। यानि 1 अप्रैल 2020 से केवल बीएस-6 वाली गाड़ियां का ही उत्पादन होगा। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर ये बात बताई थी। पेट्रोलियम मंत्रालय ने अलग तरह की गाड़ियों के लिए डीज़ल की अलग कीमत रखने के सुझाव को अव्यवहारिक बताया था।