नई दिल्ली, 16 दिसम्बर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन की वजह से बंद दिल्ली सीमा खोलने के मामले पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को पक्षकार बनाने को कहा है। इस मामले पर कल यानि 17 दिसम्बर को भी सुनवाई होगी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट कहा कि ऐसा लग रहा है कि सरकार और किसानों के बीच बातचीत से हल नहीं निकल रहा है। कोर्ट ने कहा कि मामले में एक विशेषज्ञ कमेटी बनानी पड़ेगी। किसान संगठन और सरकार आपस में तय करें कि कमेटी में कौन-कौन लोग शामिल होंगे। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे इस मामले की सुनवाई में शामिल होना चाहते हैं। तब चीफ जस्टिस ने मेहता से पूछा कि क्या हरीश साल्वे मामले में पेश होंगे। तब मेहता ने कहा कि इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि ये मामला काफी महत्वपूर्ण है, सही से जिरह कीजिए। मेहता ने कहा कि हम लगातार किसान संगठनों से कृषि कानून की बारीकियों पर बातचीत कर रहे हैं।
सुनवाई के दौरान वकील दुष्यंत तिवारी ने जब बोलना शुरु किया तो चीफ जस्टिस ने कहा कि आप किसकी तरफ से पेश हो रहे हैं, किसानों की तरफ से या किसी और की तरफ से। तब दुष्यंत तिवारी ने कहा कि वे याचिकाकर्ता लॉ छात्र के वकील हैं जिसने शाहीनबाग मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाकर याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि अभी तीन से चार लाख लोग सड़क पर बैठे हैं। रोड को जाम कर रखा है। सुनवाई के दौरान वकील ओमप्रकाश परिहार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि कोई भी आंदोलन के लिए रोड को बंद नहीं कर सकते हैं। तब कोर्ट ने पूछा कि क्या याचिका में प्रदर्शन करनेवाले किसान संगठनों को शामिल किया गया है। तब याचिकाकर्ता ने कहा कि हमें नहीं मालूम कि कौन से संगठन आंदोलन में शामिल हैं। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि खबरों में उन संगठनों के नाम हैं, आपको नहीं पता। तब याचिकाकर्ता ने कहा कि अखबारों में जिन संगठनों के नाम हैं हम उनको नहीं जानते हैं, अखबार की खबर पर भरोसा नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि हमारे सामने अभी तक कोई कानूनी बिंदु नहीं उठाया गया है।
यह याचिका वकील ओमप्रकाश परिहार ने दायर की है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि शाहीन बाग के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रदर्शन प्रशासन की तरफ से तय जगह पर होना चाहिए। सड़क बाधित नहीं की जा सकती। इसलिए लोगों को तय जगह पर भेजा जाए। कोविड से जुड़े निर्देशों का पालन भी करवाया जाए। याचिका में मांग की गई है कि बॉर्डर से आंदोलनकारी किसानों को हटाया जाए। बॉर्डर बन्द होने की वजह से दिल्ली आने जाने लोगों को दिक्कत हो रही है, लोग अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे है। याचिका में कहा गया है कि किसान आंदोलन में जुटी भीड़ कोरोना संक्रमण के जोखिम को बढ़ा रही है ।