नई दिल्ली, 13 अप्रैल (हि.स.) । कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर में फंसे भारतीयों को वापस लाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो जहां है, उसका वहीं रहना उचित है। अभी सबको ले आना संभव नहीं हो सकता है। लोग सरकार के पास आवेदन दें जहां संभव होगा सरकार ज़रूरी कदम उठाएगी। कोर्ट ने मामलों को लंबित रखा। कोर्ट ने अलग-अलग देशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए दायर सात याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया।
तमिलनाडु के एक मछुआरे की पत्नी की ओर से पेश वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि उनके पति ईरान में फंसे हैं। उनके साथ आठ सौ और लोग फंसे हुए हैं। उन्हें वापस नहीं आने दिया जा रहा है। उनसे कहा जा रहा है कि बिना टेस्टिंग के वापस नहीं जाने देंगे। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग वाले स्क्रीन पर दिखाई नहीं देने पर चीफ जस्टिस एस.ए. बोब्डे ने पूछा कि वे कहां हैं। उसके बाद तुषार मेहता की आवाज स्क्रीन पर सुनाई दी। मेहता ने कहा कि वास्तव में छह हजार के करीब मछुआरे वहां फंसे हुए हैं। हम इस पर हलफनामा दायर करेंगे। उसके बाद कोर्ट ने गोपाल शंकरनारायण को निर्देश दिया कि वे तुषार मेहता को याचिका की प्रति सौंपें। कोर्ट ने तुषार मेहता को 20 मार्च तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
वकील विभा दत्त मखीजा ने कहा कि अमेरिका में फंसा एक व्यक्ति वापस आने की स्थिति में नहीं है। तब चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या आपने अपनी याचिका में कहा है कि आपको अमेरिकी सरकार एयरपोर्ट पर नहीं जाने दे रही है। तब मखीजा ने कहा कि उन्हें अमेरिका से आने की इजाजत तो मिल रही है लेकिन भारत आने की नहीं मिल रही है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर हम आपकी याचिका को स्वीकार कर लें तो ये भारत सरकार के ट्रैवल बैन के एडवाइजरी को कमजोर करेगा। तब सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि पूरी दुनिया में लोगों की वीजा अवधि बढ़ाई जा रही है। उनकी याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि आप अमेरिका को लेकर अपना जवाब दाखिल करें। आपके जवाब में अमेरिका की कहीं चर्चा नहीं है। इस पर अगले हफ्ते विचार करेंगे।
ब्रिटेन में फंसे छात्रों की ओर से वकील मधुरिमा मृदुल ने कहा कि भारतीय छात्र ब्रिटेन में फंसे हुए हैं। तब जस्टिस एल नागेश्वर राव ने कहा कि क्या आपने केंद्र सरकार का हलफनामा देखा है। सभी छात्र वहां सुरक्षित हैं। आप वहां से वापस क्यों आना चाहते हैं। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो जहां है वहीं रहे। अभी दूसरे देशों से लोगों को वापस नहीं लाया जा सकता है।
प्रवासी लीगल सेल नाम की संस्था ने खाड़ी देशों में रह रहे भारतीयों को वापस लाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान, बहरीन, क़तर में लाखों भारतीय काम करते हैं। वे ज़्यादातर मज़दूर हैं। वे सभी वहां फंस गए हैं। याचिका में मांग की गई है कि सरकार खाड़ी देशों में फंसे भारतीयों को वापस अपने देश में ले आएं। याचिका में कहा गया है कि खाड़ी देशों में फंसे भारतीयों को उन देशों में भी उन तक चिकित्सा और दूसरी ज़रूरी सुविधाएं पहुंचाई जाएं।