पराली को जलाने से रोकने के लिए केंद्र सरकार क्या कदम उठाएगी, हलफनामा देः सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली, 11 जनवरी (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो ये बताए कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन को लेकर नए आयोग के गठन के बाद भविष्य में पराली जलाने से रोकने के लिए क्या कदम उठाएगी। चीफ जस्टिस एसए बोब्डे ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस संबंध में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले पर अगली सुनवाई अगले हफ्ते होगी।

पहले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि उसने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण रोकने के लिए एक आयोग का गठन किया है। पिछले 6 नवंबर को सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने बताया था कि प्रदूषण पर लगाम के लिए घोषित आयोग के सदस्यों के नाम तय कर दिए गए हैं। केंद्र सरकार ने आयोग के जिन पदाधिकारियों का नाम अधिसूचित किया था उनमें पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पूर्व सचिव एमएम कुट्टी आयोग के अध्यक्ष तथा 14 और सदस्य थे। इनमें अलग-अलग विभाग के अधिकारी, विशेषज्ञ, दिल्ली, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और पंजाब के अधिकारी भी शामिल हैं। आयोग को दिल्ली के आस-पास की हवा की स्वच्छता के लिए निर्देश देने का अधिकार है। आयोग के निर्देश न मानने वाले उद्योग के अधिकारियों और व्यक्तियों को पांच साल तक की सजा हो सकती है।

पिछले 29 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए नए आयोग के गठन के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। तब कोर्ट ने कहा था कि अधिसूचना की प्रति दाखिल कीजिए और याचिकाकर्ता को भी उसकी प्रति दें।

पिछले 26 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने बताया था कि तीन-चार दिनों में नया कानून लाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के आग्रह पर समस्या से निपटने का ज़िम्मा पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर की कमेटी को सौंपने का अपना आदेश स्थगित कर दिया था। पिछले 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाए जाने की समस्या पर नियंत्रण के लिए पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर की एक सदस्यीय कमेटी का गठन किया था ।

 


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