नई दिल्ली, 11 सितम्बर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी (एनबीसीसी) को आम्रपाली की दो हजार यूनिट्स को बेचने के लिए एक योजना दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने आम्रपाली की ओ-टू हैली और हार्टबीट सिटी की फोरेंसिक ऑडिट करने का आदेश दिया। साथ ही आम्रपाली के फ्लैट खरीददारों से बकाया राशि जमा करने को कहा है। बकाया राशि जमा करने के लिए यूको बैंक को अपनी वेबसाइट पर फॉर्मेट बनाकर डालने को कहा है, ताकि बायर्स बकाया धनराशि जमा कर सकें। मामले की अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को होगी।
26 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी और दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि वे फॉरेंसिक ऑडिटर की रिपोर्ट सौंपें। कोर्ट ने कहा था कि ईडी और पुलिस निवेशकों के पैसों के गबन के मामले में ज़रूरी कार्रवाई शुरू करें। नोएडा और ग्रेटर नोएडा कोर्ट ने अथॉरिटी से अपने पिछले आदेश पर अमल के लिए एक-एक अधिकारी नियुक्ति करने का भी निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा था कि अधूरे प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए एनबीसीसी को 7.16 करोड़ रुपये की रकम दी जाए।
13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को निर्देश दिया था कि वे आम्रपाली के फ्लैट खरीददारों को रजिस्ट्री करना शुरु करें। कोर्ट ने दोनों एजेंसियों को सख्त हिदायत दी थी कि अगर फ्लैट खरीददारों को कब्जा देने में कोई देरी करते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सुनवाई के दौरान नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने कोर्ट से कहा था कि कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए उन्होंने आम्रपाली के फ्लैट खरीददारों के मामलों को देखने के लिए स्पेशल सेल गठित किया है ।
पिछली 23 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली की सभी कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को आदेश दिया था कि वो आम्रपाली समूह के खिलाफ मनी लाउंड्रिंग का केस दर्ज करे और पैसों की हेराफेरी की जांच करें। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह के सभी अधूरे प्रोजेक्ट का निर्माण करने के लिए नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी (एनबीसीसी) को सौप दिया था।