सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों से मांगे वित्तीय दस्तावेज

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नई दिल्ली, 18 जून (हि.स.)।  सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को निर्देश दिया है कि वो अपने वित्तीय दस्तावेज दाखिल करें। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने दूरसंचार विभाग को टेलीकॉम कंपनियों के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए जुलाई के पहले हफ्ते तक का समय दे दिया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों की ओर से देनदारी चुकाने के लिए सिक्योरिटी और गारंटी के बारे में पूछा। तब वोडाफोन की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि सात हजार करोड़ रुपये दूरसंचार विभाग को पहले ही चुका दिया है। दूरसंचार विभाग के पास दस हजार करोड़ रुपये की बैंक गारंटी मौजूद है। उसे सिक्योरिटी के तौर पर जमा करने पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एजीआर के बकाये को बीस वर्षों के किश्त में देना ही एकमात्र उपाय है। उन्होंने कहा कि कंपनी कमाकर बकाया चुकाएगी। तब जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि आपको कुछ रकम जमा करनी चाहिए। सरकार को इस रकम की जरुरत है, वह आम जनता पर खर्च कर सकेगी, खासकर कोरोना के इस संकट में।
टाटा टेली सर्विसेज की ओर से वकील अरविंद दातार ने कहा कि उन्होंने 37 हजार करोड़ रुपया जमा किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से उनकी आय पर काफी असर पड़ा है। एयरटेल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि एयरटेल ने 21 हजार करोड़ में से 18 हजार करोड़ रुपये जमा किया है। उसकी दस हजार आठ सौ करोड़ रुपए की बैंक गारंटी दूरसंचार विभाग के पास मौजूद है।
पिछले 11 जून को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि एक ही बार में बकाया चुकाने से उद्योग पर गहरा संकट आ जाएगा। कोर्ट ने कहा था कि वे इसके लिए बहुत लंबा वक्त नहीं देंगे। कंपनियां बताएं कब तक चुकाएंगी। सरकार बताए भुगतान कैसे सुनिश्चित होगा। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संचार मंत्रालय की इस बात के लिए खिंचाई की कि वो कोर्ट के फैसले की आड़ में विभिन्न लोक उपक्रमों से चार लाख करोड़ रुपये की मांग कर रही है। कोर्ट ने इसके लिए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की प्रक्रिया चलाने की चेतावनी दी। सुनवाई के दौरान वोडाफोन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि एजीआर चार्जेज के रुप में उसकी 50 करोड़ की बैंक गारंटी देना संभव नहीं है। वोडाफोन ने कहा था कि उसके स्पेक्ट्रम और लाइसेंस को सिक्योरिटी के तौर पर दिया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों से कहा था कि वे अपने राजस्व से संबंधित विस्तृत जानकारी दें और वे ये बताएं कि वे एजीआर चार्जेज कैसे चुकाएंगे। पिछले 18 मार्च को कोर्ट ने एजीआर बकाये के मामले में केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कंपनियों को ढील देने पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि उन्हें ब्याज समेत पैसा लौटाना होगा। कोर्ट ने कहा था कि अगर टेलीकॉम कंपनियों के मालिक चाहते हैं तो उनको कोर्ट बुलाकर यहीं से जेल भेज देंगे। कोर्ट से साफ कहा था कि अब बकाया राशि का पुनर्मूल्यांकन नहीं होगा। कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि किसने कहा कि बकाये राशि का पुनर्मूल्यांकन करें। कोर्ट ने कहा था कि यह अवमानना का मामला बनता है।

 


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