भारत ने किया इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक अग्नि-5 का सफल परीक्षण, आधी दुनिया रेंज में

0

अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल रखने वाला आठवां देश बन गया भारत

 चीन-पाकिस्तान समेत यूरोप और अफ्रीकी देशों को अपनी जद में लेगी मिसाइल

 भारतीय सेना और वायुसेना को मिलने से पहले ही खौफजदा चीन ने उठाये सवाल



नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (हि.स.)। भारत ने बुधवार को ओडिशा के डॉ अब्दुल कलाम आइसलैंड से परमाणु सक्षम अग्नि-5 मिसाइल का पहला सफल उपयोगकर्ता परीक्षण करके इतिहास रच दिया। 5,000 किमी. रेंज की यह मिसाइल एक लॉन्च में कई लक्ष्यों को नष्ट करने की क्षमता रखती है। अग्नि-5 के बाद भारत की गिनती उन 8 देशों में हो गई है, जिनके पास इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल यानी आईसीबीएम है। चीन-पाकिस्तान समेत यूरोप और अफ्रीकी देशों को अपनी जद में लेने वाली मिसाइल अभी सेना और वायुसेना को नहीं मिली है लेकिन इससे पहले ही चीन में खौफ पैदा हो गया है।

रक्षा सूत्रों ने कहा कि अग्नि-5 मिसाइल का आज किया गया परीक्षण इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह कई वारहेड ले जाने में सक्षम मल्टीपल इंडिपेंडेंट रीएंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) से लैस है। इस तकनीक से मिसाइल को प्रक्षेपण के बाद कई अलग-अलग लक्ष्यों तक परमाणु हथियारों को स्वतंत्र तरीके से भेजा जा सकता है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने मिलकर बनाया है। आज पहला उपयोगकर्ता परीक्षण होने के बाद परमाणु सक्षम अंतर-महाद्वीपीय दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल के जल्द ही सशस्त्र बलों को मिलने का संकेत है। 5,000 किलोमीटर रेंज की मिसाइल का 2018 में हैट्रिक प्री-इंडक्शन ट्रायल किया गया था। इसके बाद 2020 में उपयोगकर्ता उड़ान परीक्षण किए जाने की योजना थी लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसमें देरी हुई है।

एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी के अनुसार सबसे शक्तिशाली और गेम चेंजर अग्नि-5 को सेना में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। डीआरडीओ द्वारा विकसित 5,000 किमी. रेंज की अग्नि-5 मिसाइल एक लॉन्च में कई लक्ष्यों को नष्ट करने की क्षमता रखती है, जिसके दायरे में चीन और पाकिस्तान आते हैं। इसके अलावा यह मिसाइल सभी एशियाई देशों और अफ्रीका और यूरोप के कुछ हिस्सों में लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। लगभग 17 मीटर लंबी, 2 मीटर चौड़ी, तीन चरणों वाली ठोस ईंधन वाली मिसाइल 1.5 टन का पेलोड ले जा सकती है और इसका वजन लगभग 50 टन है। अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्रांस, इजरायल और उत्तर कोरिया के बाद भारत अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल रखने वाला आठवां देश हो गया है।

अग्नि-5 मिसाइल का इस्तेमाल बेहद आसान है। इसे रेल, सड़क या हवा कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है। देश के किसी भी कोने में इसे तैनात कर सकते हैं जबकि किसी भी प्लेटफॉर्म से युद्ध के दौरान इसकी मदद ली जा सकती हैं। अग्नि-1 मिसाइल से अब अग्नि 5 मिसाइल तक का सफर पूरा होने में 20 साल लगे हैं। 2002 में लॉन्च हुई मध्यम रेंज की बालिस्टिक मिसाइल अग्नि-1 की मारक क्षमता 700 किलोमीटर थी और इससे 1000 किलो तक के परमाणु हथियार ढोए जा सकते थे। फिर इसके बाद अग्नि-2, अग्नि-3 और अग्नि-4 मिसाइलें आईं। ये तीनों इंटरमीडिएट रेंज की बालिस्टिक मिसाइलें थीं जिनकी मारक क्षमता 2000 से 3500 किलोमीटर है। अब भारत ने 5,000 किलोमीटर रेंज की अग्नि-5 का पहला परीक्षण करके दुश्मनों को खौफ में डाल दिया है।

चीन-पाकिस्तान समेत यूरोप और अफ्रीकी देशों को अपनी जद में लेने वाली मिसाइल अभी सेना और वायुसेना को नहीं मिली है लेकिन इससे पहले ही चीन में खौफ पैदा हो गया है। चीन की चिंता इसलिए भी है क्योंकि पांच हजार किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम मिसाइल की रेंज में उसका पूरा देश आ रहा है। ऐसा कोई शहर नहीं हैं जो इस मिसाइल के हमले से बच सके। इसीलिए चीन ने यूएनएससी के प्रस्ताव का हवाला देते हुए भारत के मिसाइल कार्यक्रम पर सवाल उठाया है लेकिन उसने खुद पाकिस्तान को यूरेनियम की सहायता देने के अलावा न्यूक्लियर मिसाइलों के लिए तकनीक भी उपलब्ध कराई है। चीन का पाकिस्तान को यह सहयोग अभी भी बेरोकटोक जारी है और तीन साल पहले इसे आधिकारिक तौर पर स्वीकार भी किया गया था।


प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *