कोटा, 11 जनवरी (हि.स.)। शिक्षा नगरी में नये सत्र से बड़ी संख्या में कोचिंग विद्यार्थियों की हलचल शुरू हो गई है। राज्य सरकार के निर्देशानुसार प्रदेश में स्कूल व कोचिंग संस्थानों में 18 जनवरी से कक्षा-9वीं से 12वीं की नियमित क्लासरूम पढ़ाई होने लगेगी। पिछले 10 माह से क्लासरूम पढाई से दूर रहे विद्यार्थियों में प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी को लेकर बहुत उत्साह है। कोटा के कोचिंग संस्थानों व हॉस्टल में विद्यार्थियों के लगातार आने से रौनक दिखने लगी है।
बाहर से आने वाले विद्यार्थियों पर हुये एक ताजा सर्वे में यह बात उभरकर सामने आई कि पूरे वर्ष ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से पढाई करते हुये विद्यार्थियों में एकाग्रता की कमी रही, उनके डाउट्स दूर नहीं होने से वे सभी विषयों में इम्प्रूव नहीं कर सके। 38 फीसदी ने कहा कि टीचर्स की गाइडेंस नहीं मिलने से वे शैड्यूल बनाकर पढाई नहीं कर सके। 57 फीसदी ने माना कि रेगुलर क्लास नहीं होने से वे रोजाना अधिकतर समय स्मार्टफोन पर व्यस्त रहते थे जिससे उनका पढाई का फ्लो टूट सा गया। 91 फीसदी कोचिंग विद्यार्थी क्लासरूम कोचिंग को ही प्राथमिकता दे रहे हैं।
सोमवार को विद्यार्थियों एवं अभिभावकों से वर्चुअल संवाद में ‘क्रिएंजा’ रेजिडेंशियल प्रोग्राम की संस्थापक निदेशिका वंदना गुप्ता ने कहा कि विद्यार्थियों में 24 घंटे का शैड्यूल बनाकर पढ़ने की आदत विकसित कर दी जाये तो वे दूसरों से आगे निकलने में सक्षम हैं। 7 वर्ष एनजीओ ‘कोशिश’ में जरूरतमंद बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देते हुये उन्होंने महसूस किया कि पढाई में रूचि जागृत करने के लिये खेलकूद व एक्टिविटी जरूरी है। गोपाल विहार में विद्यार्थियों का ओवरऑल डेवलपमेंट करने के उददेश्य से ‘क्रिएंजा’ रेजिडेंशियल प्रोग्राम की शुरूआत की, जिसके सकारात्मक रिजल्ट आ रहे हैं।
लीक से हटकर सिर्फ पढ़ाई का माहौल
‘क्रिएंजा’ के मोबाइल मुक्त शैक्षणिक वातावरण में विद्यार्थी रोज सुबह योग, एक्सरसाइज व एरोेबिक्स करते हैं। सेल्फ स्टडी, होमवर्क एवं डाउट क्लासेस की सुविधा मिलने से उनका आत्मविश्वास लौट आया है। वे क्लास में रोज 10 मिनट ओरल टेस्ट देते हैं। हॉस्टल में ही ऑनलाइन कम्प्यूटर लैब एवं लाइब्रेरी की सुविधा है। रोज शाम को 1 घंटे गेम्स व स्पोटर्स से उनका एनर्जी मिल रही है। हर स्टूडेंट की पर्सनल केयरिंग हो रही है।
इसलिये कोटा के फैन हैं कोचिंग विद्यार्थी
मुंबई से कोटा आये कक्षा-12वीं के छात्र साहिल डोगरा ने बताया कि ऑनलाइन स्टडी में एकाग्रता नहीं रह सकी, जिससे मैने इम्प्रूव नहीं किया। कोटा में आकर शेड्यूल से रोज 10 घंटे स्टडी शुरू की। हम रूममेट मिलकर टॉपिक वाइज प्रॉब्लम दूर कर लेते हैं। वाराणसी के प्रतीक तिवारी ने कहा कि ऐसा माहौल और कहीं नहीं देखा। घर से भी अच्छा खाना मिलता है। टीचर्स की गाइडेंस काम आ रही है। लखनऊ के कुशदेव शुक्ला ने बताया कि मेरा सोने व पढाई का कोई रूटीन नहीं था। यहां आकर दूसरे बच्चों को देख मोबाइल छोड दिया। रेगुलर पढाई के साथ बेडमिंटन, टेनिस व क्रिकेट खेलते हैं।
अब स्टडी करने का फ्लो
अमृतसर के अद्वित शर्मा कहते हैं, मैं केमिकल साइंटिस्ट बनना चाहता हूं। यहां शेड्यूल से हर काम करना सीखा, जिससे पढाई का अच्छा फ्लो बन गया। ग्वालियर के छात्र अन्वेष गुप्ता कक्षा-9 से कोटा आ गये हैं। आनॅलाइन पढाई से एकाग्रता बहुत कम हो गई। यहां टीचर्स एक-एक स्टूडेंट की अलग क्लास लेकर उसे पढा देते हैं।
जलगांव के स्वरूप पाटिल ने कहा कि पहले रोज 13 घंटे पढकर भी टेस्ट में अच्छे मार्क्स नहीं आते थे। यहां सोने, खेलने व पढने का शैडयूल ही बदल गया। मैने मोबाइल का उपयोग बंद करके पढाई पर फोकस कर लिया है। सच कहूं तो कोटा आकर मैं गियर अप हुआ, मुंबई के सुभांषु कुमार ने बताया कि पहले घर में 3 घंटे पढता था, यहां 7-8 घंटे पढते हैं। हॉस्टल में ही टीचर्स, लाइब्रेरी से बुक्स, ऑनलाइन सिस्टम जैसी सभी सुविधायें मिलने से अच्छा एक्सपोजर मिल रहा है।
गर्ल्स के लिये शांत व सुरक्षित
ओरंगाबाद की अंजली गूगे कहती हैं, फेसबुक पर मोटिवेशन विडिया देख मैं कोटा आ गई। यहां के हॉस्टल मे गर्ल्स बहुत सुरक्षित हैं। सभी स्टूडेंट सिर्फ पढने के लिये आये हैं। यहां आने से कोरोना का डर खत्म हो गया है। अब कॅरिअर का लक्ष्य सामने है। हनुमानगढ की एश्वी बसंल ने कहा कि गर्ल्स के लिये कोटा पहली च्वाइस है। यहां आकर तीनों सब्जेक्ट में इम्प्रूव किया। हम गर्ल्स मिलकर बेडमिंटन खेलते हैं, साथ में पढते हैं। टीचर्स की गाइडेंस से आत्मविश्वास बढ गया। पटना से कोटा आई शिवाली इस बात से खुश हैं कि हम अलग-अलग राज्यों से यहां आकर एक परिवार की तरह घुलमिल कर पढते हैं। एक दूसरे को सपोर्ट भी करते हैं। चित्तौड की श्रेया के पिता दिनेश गडेवाल मजिस्ट्रेट हैं। क्रिएंजा हॉस्टल में भीड से अलग एक-एक स्टूडेंट की केअरिंग होने से बेटी को यहां रखा। अनुभवी टीचर्स के साथ डाउट क्लियर हो जाने से सेल्फ स्टडी के लिये बहुत समय मिल रहा है।