रांची, 12 अगस्त (हि.स.)। खुर्शीद के पांव आज एक जगह टिक नहीं रहे थे..। रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर उतरने के बाद वह बाहर आनेवाले लोगों को बड़ी बेसब्री से देख रहा था, लेकिन उसकी आंखें अपने भाई मुफीज को ढूंढ रहीं थीं और वह पल आ भी गया, जब मुफीज उसे नजर आया। दौड़ता हुआ खुर्शीद अपने भाई मुफीज के गले लग गया। भाई को आंखों के सामने देख खुर्शीद के आंसू छलक गए। बरबस रुंधे गले से बोला, ईद-उल-अजहा मुबारक हो भाईजान। फिर क्या था, दोनों भाई ऐसे गले मिले जैसे खुदा ने रहमतों की बारिश कर दी हो।
सच भी तो यही है। पूरे ढाई साल बाद यातनाओं और मुसीबतों को झेलकर खुर्शीद का भाई मुजीब उसके सामने खड़ा था। वह भी बकरीद जैसे मुबारक पर्व के दिन। एयरपोर्ट पर इस नजारे को देख सभी की आंखें खुशी से नम हो गईं।
मुफीज ने बताया कि 2017 में वह दुबई गया था। यह सोचकर कि कुछ पैसे कमाकर अपने परिवार को भेजेगा पर ऐसा हुआ नहीं। एक वर्ष तक किसी तरह काम करने के बाद जब उसका अनुबंध समाप्त हुआ तो उसने घर वापसी करने की कोशिश की लेकिन उससे जबरन काम लिया जाता रहा। उसका मालिक मोहम्मद जहिया हुसैन अपराधी और गुलामों जैसा व्यवहार उसके साथ करने लगा। एकदिन किसी तरह वह जहिया के चंगुल से निकल गया।
काम छोड़कर भाग जाने के बाद मुफिज के मालिक ने उसपर चोरी का आरोप लगाया। सऊदी अरब की पुलिस ने उसे पकड़ा और फिर छोड़ भी दिया लेकिन पुलिस लगातार उससे पूछताछ करती रही। मुफिज ने बताया कि किसी तरह किराये के घर पर उसने 4 महीने व्यतीत किये जो जहन्नुम से कम नहीं था। फिर अपने परिवार वालों को आपबीती सुनाई और परिवारवालों ने राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास तक मेरी पीड़ा पहुंचायी। मुख्यमंत्री दास ने पहल की और आज इस पवित्र मौके पर मैं अपने घर आ गया। मुझे वतन वापसी की उम्मीद नहीं थी लेकिन मुख्यमंत्री जी फरिश्ता बनकर आये। मुख्यमंत्री के आप्त सचिव केपी बालियान ने भी मेरी बहुत मदद की।
मुफिज ने कहा कि इस बीच उस पर लगा चोरी का आरोप गलत साबित हुआ। मोजन अली मुझे लेकर गया था। उसने गलत ढंग से मेरे कागजात बनवाये थे। वह भी मेरी परेशानी का सबब बना। मैं तो लोगों से अपील करूंगा अपने वतन में काम करो, लेकिन गैर वतन जाकर कभी काम मत करो।
मुख्यमंत्री जी शुक्रिया, आपके प्रयास से पर्व के दिन मेरा भाई ढाई साल बाद मिल गयाः खुर्शीद
मुफीज के भाई खुर्शीद ने बताया कि वर्ष 2017 में मुफीज सऊदी अरब काम करने गया था। वह एक कुशल मैकेनिक है। उसे लेकर जानेवाला उसके दोस्त ने काम का ऑफर दिया था। वहां जाकर उसे पता चला कि वेतन नहीं मिल रहा है और अधिक काम लिया जा रहा है। एक वर्ष का अनुबंध होने की वजह से मुफिज चुप रहा। जब एक वर्ष 2018 में पूरा हुआ तो उसने रांची वापसी की गुहार लगाई। बावजूद इसके उससे जबरन काम कराया जाता रहा। इसके बाद हमलोगों ने झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास से गुहार लगाई और उन्होंने हमारे भाई की वतन वापसी करवाई। इसके लिए मुख्यमंत्री जी को बहुत-बहुत शुक्रिया कि हमारे मुबारक पर्व के दिन भाई से मिला दिया।