विशेषज्ञों ने कहा- नीति आयोग की बैठक में नहीं जाने का ममता का फैसला राज्य के हित में नहीं
नीति आयोग की 15 जून को नई दिल्ली में प्रस्तावित बैठक में न जाने के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के फैसले पर विशेषज्ञों का कहना है कि केन्द्र सरकार से दूरी बनाना राज्य के हित में नहीं है। इससे राज्य का विकास बाधित होगा। एसोसिएशन ऑफ इंडियन डिप्लोमेट्स के पूर्व अध्यक्ष पिनाकी रंजन चक्रवर्ती ने शनिवार को बातचीत में कहा कि राजनीतिक वजहों से केन्द्र सरकार से दूरी बनाना राज्य के हित में नहीं है।
कोलकाता, 08 जून (हि.स.) । नीति आयोग की 15 जून को नई दिल्ली में प्रस्तावित बैठक में न जाने के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के फैसले पर विशेषज्ञों का कहना है कि केन्द्र सरकार से दूरी बनाना राज्य के हित में नहीं है। इससे राज्य का विकास बाधित होगा। एसोसिएशन ऑफ इंडियन डिप्लोमेट्स के पूर्व अध्यक्ष पिनाकी रंजन चक्रवर्ती ने शनिवार को बातचीत में कहा कि राजनीतिक वजहों से केन्द्र सरकार से दूरी बनाना राज्य के हित में नहीं है।
भारत-बांग्लादेश के द्विपक्षीय संबंधों को लेकर आयोजित हुई एक परिचर्चा के दौरान उन्होंने इस मुद्दे पर बातचीत की। वर्ष 1977 बैच के इंडियन फॉरेन सर्विस के अधिकारी पिनाकी रंजन ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच मत भिन्नता हो सकती है, लेकिन सच्चाई यह है कि राज्यों के विकास के लिए केन्द्र सरकार बड़ी मात्रा में धनराशि आवंटित करती है। अगर केन्द्र से राज्यों का संबंध तल्खी भरा रहेगा तो कई परियोजनाओं के लिए आवंटित होने वाली धनराशि में कमी आएगी जिससे राज्यवासियों को तमाम तरह के विकास और सुविधाओं से वंचित होना पड़ेगा।
वर्ष 1977 बैच के इंडियन फॉरेन सर्विस के अधिकारी विरेंद्र गुप्त ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कहा कि लोकतंत्र की भलाई के लिए केन्द्र और राज्य के पारस्परिक संपर्क मधुर होने चाहिए। राजनीतिक मतभेद होते हैं, लेकिन जनता की भलाई को ध्यान में रखते हुए सरकार के प्रतिनिधियों को आपसी रंजिश को भूलकर संवैधानिक दायरे में काम करना चाहिए। मौलाना अबुल कलाम आजाद इंस्टिट्यूट ऑफ़ एशिएन स्टडीज के निदेशक शशि कुमार ने कहा कि केन्द्र और राज्यों के बीच मतभेद रहते हैं। कभी भाषा को लेकर तो कभी अर्थनीति को लेकर, लेकिन पारस्परिक संपर्क अगर हर मौके पर तोड़ लिए जाएं तो इससे नेताओं का तो कुछ बनने और बिगड़ने वाला नहीं है जबकि राज्यवासियों का बहुत बड़ा नुकसान होगा। कई ऐसी बड़ी परियोजनाएं होती हैं जो गरीब से गरीब और समाज के निचले पायदान पर खड़े लोगों के लिए बड़े पैमाने पर फायदेमंद होती हैं। किसी भी राज्य की सरकार को यह अधिकार नहीं है कि राज्यवासियों को उनकी केन्द्र सरकार से मिलने वाली सुविधा से वंचित करे। मुख्यमंत्री को इसका ध्यान रखना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि ममता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को शुक्रवार को पत्र लिखकर कहा था कि वे आगामी 15 जून को नई दिल्ली में होने वाली नीति आयोग की बैठक में हिस्सा नहीं लेंगी। उन्होंने पत्र में लिखा था कि नीति आयोग के पास कोई वित्तीय अधिकार नहीं हैं। आयोग के पास राज्य की योजनाओं को समर्थन देने का भी अधिकार नहीं है, लिहाजा बैठक में मेरा आना बेकार है।