सालाना 5 से 25 लाख खर्च कीजिए, शेर, बाघ, बघेरा, दरियाई घोड़ा, हिरण, शुतुरमुर्ग गोद ले लीजिए
जयपुर, 26 जुलाई (हि.स.)। राजस्थान वन विभाग अब वन्यजीवों के संरक्षण के लिए वन्यजीवों को गोद देने की योजना पर काम कर रहा है। इसके लिए प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। वन विभाग राज्य सरकार की स्वीकृति का इंतजार कर रहा है। योजना स्वीकृत हुई तो कोई भी व्यक्ति वन्यजीव को गोद ले सकेगा। बस इसके लिए वन्यजीव के खर्चे उठाने होंगे। एनक्लोजर के बाहर गोद लेने वाले की नेमप्लेट भी लगेगी।
योजना के तहत पिंजरे में कैद वन्यजीव को आम व्यक्ति गोद ले सकेगा। शेर, बाघ, बघेरा, दरियाई घोड़ा, हिरण, शुतुरमुर्ग, मगरमच्छ समेत सभी वन्यजीवों को आमजन या संस्था गोद ले सकेगी। वन्यजीवों को गोद लेने वालों को उस वन्यजीव का खर्च उठाना होगा। प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद कोई भी व्यक्ति, संस्था, कॉरपोरेट कंपनी, भामाशाह या वन्यजीव प्रेमी वन्यजीव को गोद ले सकेगा। दक्षिण भारत के अधिकतर बायोलॉजिकल पार्कों में वन्यजीव प्रेमी एनिमल्स को गोद लेते हैं। इसके लिए करीब एक साल तक उन्हें वन्यजीवों के खाने-पीने का खर्च उठाना पड़ता है। योजना मंजूर हुई तो राजस्थान में भी लोग वन्यजीवों को गोद ले सकेंगे।
किस वन्यजीव पर सालाना कितना खर्च
जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में दरियाई घोड़ा सबसे ज्यादा भोजन करने वाला वन्यजीव है। दरियाई घोड़े के खाने का सालाना खर्च 10 लाख रुपये है। लॉयन और टाइगर का करीब 5 लाख, पैंथर का सवा लाख, भालू का 1 लाख, भेडिय़ा, सियार, लोमड़ी और जरख की खुराक का सालाना खर्च करीब 1 लाख रुपये है। जबकि काला हिरण, चिंकारा, सांभर, चीतल, हिरण का सालाना खर्च 25 हजार रुपये है। नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क और चिडिय़ाघर में 25 प्रजातियों के 170 वन्यजीव हैं। वन्यजीव गोद लेने वाले इच्छुक को 6 महीने, 1 साल या 2 साल के लिए वन्यजीव का खर्च उठाना होगा। गोद लेने वाले को वन्यजीव के एनक्लोजर, फीडिंग खर्च उठाने होंगे। गोद लेने वाला व्यक्ति बायोलॉजिकल पार्क या चिडिय़ाघर में आकर अपने जानवर की जानकारी ले सकेगा। इच्छुक अपनी पसंद के टाइगर, लॉयन, पैंथर, मगरमच्छ या किसी भी वन्यजीव को गोद ले सकता है। वन विभाग वन्यजीव के नाम और उन पर होने वाले खर्च की लिस्ट बना रहा है।
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एसीएफ जगदीश गुप्ता बताते हैं कि वन विभाग की प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही वन्यजीवों को गोद दिया जाएगा। इसके लिए एक फॉर्म भरना होगा। फॉर्म पर अपनी फोटो लगानी होगी। इसके बाद वन्यजीव के देखरेख की खर्च राशि वन विभाग के अकाउंट में जमा करवानी होगी। वन्यजीवों के 1 साल, 2 साल या 6 महीने का खर्च एक साथ जमा करवाना होगा। आवेदन में बताना होगा कि वे कौनसा वन्यजीव गोद ले रहे हैं। गोद लेने वाले व्यक्ति या संस्था की नेम प्लेट और पता एनक्लोजर के बाहर लगाया जाएगा। गोद लेने वाले लोगों को चिडिय़ाघर में कंप्लीमेंट्री विजिट भी दी जाएगी। वे अपने वन्यजीव को आकर संभाल सकेंगे। प्रस्ताव विभाग की ओर से सरकार को भेजा गया है।