एचईसी ने परमाणु ऊर्जा और नौसेना के उपकरणों के लिए बनाई विशेष धातु

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भारतीय धातु विज्ञान के क्षेत्र में एचईसी की यह खोज मील का पत्थरअधिक ताप सहने की क्षमता के साथ ही जंगरोधी, हल्की और मजबूत



रांची,18 जून (हि.स.)। एचईसी (हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन) ने भारत की सामरिक शक्ति को और समृद्ध बनाने की दिशा में कदम उठाते हुए परमाणु ऊर्जा क्षेत्र और नौसेना के उपकरणों के निर्माण के लिए दो विशेष प्रकार की स्टील विकसित कर ली है। यह हाई इंपैक्ट स्टील (डीएमआरएल) है। खासियत यह है कि परमाणु ऊर्जा उत्पादन के दौरान इसकी ताप सहने की क्षमता काफी अधिक है।भारतीय धातु विज्ञान के क्षेत्र में एचईसी की यह खोज मील का पत्थर है।

जानकारी के अनुसार इस धातु की सबसे खास बात एक और है कि पानी में सालों रहने के बावजूद इसमें जंग नहीं लगेगी। इस स्टील की मजबूती सामान्य स्टील की तुलना में कई गुना ज्यादा है। काफी हल्का और मजबूत होने के कारण इसका उपयोग काफी सहज तरीके से किया सकता है। कंपनी ने नौसेना के युद्धपोत के इंजन और अन्य महत्वपूर्ण उपकरण बनाने की योजना बनाई है।वाणिज्यिक उत्पादन भी शुरू कर दिया है। पहले इस स्टील का आयात होता था।

रूस की मदद से इंजन, प्रोपैलर सॉफ्ट बनाएगा

एचईसी रूसी तकनीक और डिजाइन के सहयोग से इंजन के साथ प्रोपैलर सॉफ्ट जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों का भी निर्माण शुरू करेगा। रूस की जेएससी रोसोबोर्न एक्सपोर्ट, बाल्टिक शिपयार्ड और विंट एंड यूनाइटेड शिप बिल्डिंग कॉर्पोरेशन जैसी कंपनियों की मदद से नौसेना के लिए कई महत्वपूर्ण उपकरण बनाएगा। यह स्टील रासायनिक संरचना और अशुद्धियों के कठोर नियंत्रण के साथ अल्ट्रा क्लीन लिक्विड का मिश्रण है।


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