पटना, 15 सितम्बर (हि.स.) । बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग करते रहे हैं। यूपीए शासनकाल में इस मांग को लेकर आक्रामक और मुखर रहने वाले नीतीश कुमार मौजूदा वक्त में इस मांग को लेकर थोड़े ठंडे पड़ते नजर आए हैं। यही वजह है कि बिहार विधानसभा चुनाव का एलान होने से पहले सत्तारूढ़ जदयू ने एक बार फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का मुद्दा उठा दिया है।
हांलाकि यह कोई पहला मौका नहीं है जब चुनाव से ठीक पहले जदयू को बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग याद आयी है। जब चुनाव आता है तो जदयू को भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली अपनी मांग याद आ जाती है। बिहार सरकार में भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने मंगलवार को कहा कि विशेष राज्य का दर्जा हर बिहारी की चाहत है। केन्द्र सरकार के नियमों के अनुसार विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज के लिए हम प्रयास कर रहे हैं। जिस परिस्थिति में बिहार का आगे विकास हो सके, हम उसका प्रयास करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार हमारी मदद भी कर रही है और उम्मीद है कि आने वाले समय में हमें और आर्थिक पैकेज मिलेगा। हम बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के लिए प्रयास करते रहेंगे। बता दें कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर वर्ष 2013 में जब केन्द्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी तब जदयू की ओर से हस्ताक्षर अभियान शुरू किये गये थे। इसके साथ हीं 17 मार्च, 2013 को नीतीश कुमार ने दिल्ली के रामलीला मैदान में अधिकार रैली भी की थी। केन्द्र में एनडीए सरकार बनने के बाद भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला और इसको लेकर तेजस्वी यादव और दूसरे विपक्षी नेता अक्सर सीएम नीतीश कुमार पर हमलावर होते रहे हैं।