लखनऊ, 28 जनवरी (हि.स.)। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई के दौरान ही ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) को नियंत्रित करने के लिए चलाये गये विशेष खोजी अभियान में उम्मीद से ज्यादा सफलता मिली है। 26 दिसम्बर से 25 जनवरी के बीच तीन चरणों में चलाये गये इस अभियान के दौरान कुल 13,827 मरीज खोजे गए। इन सभी का उपचार प्रारम्भ कर दिया गया है।
राज्य टीबी सेल के संयुक्त निदेशक डॉ. संतोष गुप्ता के मुताबिक प्रदेश में ‘टीबी हारेगा, देश जीतेगा’ अभियान के पहले चरण में 26 दिसम्बर से 01 जनवरी तक वृद्धाश्रम, नारी निकेतन, मदरसा, अनाथालय, बाल सुधार गृह और जिला कारागारों में स्क्रीनिंग की गई। इस चरण में 3,026 स्थलों पर स्क्रीनिंग की गई। इस दौरान 1,31,526 लोगों की जांच की गई। इसमें 193 लोगों की जांच में क्षय रोग की पुष्टि हुई, जबकि 108 कैदियों में कोरोना के लक्षण पाये गए।
इसके बाद प्रदेश में 02 जनवरी से 12 जनवरी तक द्वितीय चरण में घर-घर दस्तक देकर मरीजों की तलाश की गई। इस दौरान 4,32,55,104 लोगों को चिह्नित किया गया। टीबी के पूर्ण लक्षण मिलने पर 1,56,980 लोगों के बलगम की जांच की गई। इनमें 6,477 लोग क्षय रोग से ग्रस्त पाये गए, जबकि 3,644 मरीज निजी चिकित्सकों की जांच के दौरान मिले। इस तरह द्वितीय चरण में कुल 10,121 नये टीबी मरीज मिले।
इसके बाद 13 जनवरी से 25 जनवरी तक तृतीय चरण के दौरान कुल 63,311 निजी चिकित्सक, क्लीनिक, नर्सिंग होम, लैब पैथालाजी और दवा विक्रेताओं के यहां नए मरीजों की खोज की गई। इस दौरान 3,513 नए मरीज पाये गए। इस प्रकार टीबी हारेगा, देश जीतेगा अभियान के दौरान कुल 13,827 नये मरीज मिले और इसके बाद तुरन्त इनका इलाज शुरू कर दिया गया, जिससे ये मरीज स्वस्थ्य हो सकें और इनके जरिए अन्य लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा न हो।
देश के कुल टीबी रोगियों में उत्तर प्रदेश की 20 फीसदी की हिस्सेदारी
टीबी के खिलाफ इस तरह के अभियान इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि भारत में दुनिया के जहां 27 प्रतिशत टीबी मरीज हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में देश के 20 फीसदी क्षय रोगी हैं। इस तरह यहां टीबी पर काबू पाये बिना देश को टीबी से मुक्त नहीं किया जा सकता।
जीत कार्यक्रम का 20 और जनपदों में किया जाएगा विस्तार
डॉ. संतोष गुप्ता के मुताबिक टीबी की रोकथाम के लिए जीत कार्यक्रम वर्तमान में 16 जनपदों में चल रहा है। इसका 20 और जनपदों में विस्तार किया जा रहा है। इस तरह जल्द ही 36 जिलों में यह कार्यक्रम चलने लगेगा। वहीं निक्षय पोषण योजना के तहत जल्द ही सभी जिलों में डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से आर्थिक लाभ दिया जाएगा। हालांकि 66 जिलों में अभी यह सुविधा दी जा रही है। अभी तक प्रदेश में कुल 7,46,593 टीबी मरीजों को 500 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से 183 करोड़ की धनराशि उनके बैंक खातों में भेजी जा चुकी है। डॉ. संतोष ने सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में इन तथ्यों से अवगत कराया।
टीबी मरीजों में अब 10 प्रतिशत मरीज 14 वर्ष के बच्चे भीः डॉ. पियाली
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य बताती हैं कि प्रति वर्ष हमारे देश में 2.2 लाख बच्चे टीबी के शिकार होते हैं। नेशनल टीबी इरेडिकेशन कार्यक्रम में आने वाले मरीजों में 10 प्रतिशत मरीज 14 वर्ष के कम उम्र के बच्चे हैं। पूरी दुनिया ने अब ‘जीरो डेथ बाइ टीबी ’ का नारा लगाया है। इसके लिए हमें बच्चों में होने वाले टीबी के बारे में सतर्क रहना होगा। टीबी की बीमारी पूरी तरीके से ठीक हो सकती है। इसलिए विशेषज्ञ परामर्श में दवा समाप्त होने के बाद भी दो साल तक के फॉलोअप में रहे।
जोड़ों में दर्द व सूजन भी हो सकता है टीबी का लक्षण
डॉ. पियाली बताती हैं कि यदि किसी को लगातार दो हफ्तों तक खांसी आ रही है या तीन माह में उसका वजन पांच प्रतिशत या उससे अधिक घट गया है तो उसको तत्काल टीबी की जांच करावानी चाहिए। यदि कोई बच्चा बीते दो सालों में इन लक्षणों वाले व्यक्ति के सम्पर्क में रहा है तो उस बच्चे को भी टीबी हो सकता है। ऐसे में विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। टीबी फेफड़े के अलावा शरीर के अन्य अंगों में भी हो सकता है। दो हफ्ते से ज्यादा बुखार आना, वजन घटना और रात को पसीना आना, गले में गिल्टी या सूजन आना या फिर जोड़ों में दर्द व सूजन आना टीबी का लक्षण माना जाता है। झटके आना या अचेत हो जाना भी टीबी का सूचक है। एक्सरे एवं थूक की जांच से टीबी की पुष्टि की जाती है।
टीबी से ऐसे बचें
-नवजात शिशुओं को बैसिलस कैल्मेट ग्युरिन (बीसीजी) का टीका लगवाएं।
-सक्रिय मामले पता लगने पर जल्द से जल्द उनका इलाज करना चाहिए।
-दवा का सेवन नियमित रूप से करें वरना ड्रग रेसिस्टेंस का खतरा है।
-संक्रमित व्यक्ति को खांसते समय अपने मुंह पर कपड़ा रखना चाहिए।
-साफ सफाई का ध्यान रखें और भीड़ वाले स्थान पर न थूकें।
-ताजे फल, सब्जियों के साथ संतुलित आहार का सेवन करें ।
-अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं।