पटना, 17 मार्च (हि.स.)। बिहार विधानसभा में बुधवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही विवाद खड़ा हो गया। सदन में स्थिति उस समय असहज हो गई जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कोटे के मंत्री सम्राट चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष को उंगली दिखाई और कहा कि ‘ऐ अध्यक्ष जी सदन ऐसे नहीं चलेगा’।
मंत्री सम्राट चौधरी के इतना कहते ही विधानसभा अध्यक्ष गुस्से में आ गए और सदन को दिन के 12:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। विधानसभा में भाजपा विधायक बिनय बिहारी के सवाल का जवाब मंत्री सम्राट चौधरी दे रहे थे। इस बीच ऑनलाइन जवाब को लेकर विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें कहा कि आपके विभाग का ऑनलाइन जवाब नहीं आ रहा है। सम्राट चौधरी ने कहा कि 16 में से 14 जवाब ऑनलाइन आया हुआ है। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि 09:00 बजे हमारा कार्यालय जवाब निकाल लेता है। उस समय 16 में से मात्र 11 जवाब आपका आया है। इसलिए आप अपने विभाग में देख लीजिएगा।
इसके बाद मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि ठीक है, नहीं-नहीं ठीक है। इसके लिए व्याकुल नहीं होना है। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष गुस्सा गए और कहा कि मंत्री जी आप आसन को व्याकुल नहीं कह सकते हैं। इसे आप वापस लीजिए। इसके बाद सम्राट चौधरी ने आसन को उंगली दिखाते हुए कहा कि “ऐ अध्यक्ष जी ऐसा नहीं होता है”। आप इस तरह से सदन नहीं चला सकते हैं। आप अध्यक्ष जी समझ लीजिए। इस तरह नहीं चलेगा।आप व्याकुल नहीं होइए। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष गुस्से में खड़ा हो गए और सदन को 12:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
दोबारा सदन की कार्यवाही में नहीं पहुंचे स्पीकर सिन्हा
सदन की कार्यवाही 12:00 बजे दिन में दोबारा शुरू हुई तो विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा सदन में नहीं पहुंचे। उनकी जगह अध्याशी सदस्य नरेंद्र नारायण यादव सदन में पहुंचे और उन्होंने 02:00 बजे तक के लिए कार्यवाही फिर से स्थगित कर दी। उनके इस घोषणा के साथ विपक्ष ने सदन में शोर भी मचाया। अध्याशी सदस्य ने आज के लिए शून्यकाल और अन्य लिस्टेड कार्यवाही को 19 मार्च को किए जाने की सूचना दी।
विधानसभा में मंत्री के हाथों बेइज्जत होने के बाद विजय सिन्हा बेहद आहत हैं। फिलहाल सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ उनकी मंत्रणा चल रही है ताकि किसी तरह इस पूरे विवाद को खत्म किया जाए। इसको लेकर सत्तापक्ष लगा हुआ है। मंत्री सम्राट चौधरी ने आज जिस तरह विजय सिन्हा को सदन में जवाब दिया उसके बाद पैदा हुई स्थिति का सामना कभी ना तो सदन ने किया था और ना ही सरकार ने।