उन्होंने कहा, ‘जो निगमीकरण का असली मायने नहीं जानते, उन्हें यह बताना चाहती हूं कि यह निजीकरण की शुरुआत है। यह देश की बहुमूल्य संपत्तियों को निजी क्षेत्र के चंद हाथों को कौड़ियों के दाम पर बेचने की प्रक्रिया है।’
नई दिल्ली, 02 जुलाई (हि.स.)। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए बहुमूल्य संपत्तियों को कौड़ियों के भाव बेच रही है।
मंगलवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान यह विषय उठाया और अफसोस जताया कि सरकार ने निजीकरण के प्रयोग के लिए रायबरेली के माडर्न कोच कारखाने जैसी एक बेहद कामयाब परियोजना को चुना है। उन्होंने कहा, ‘जो निगमीकरण का असली मायने नहीं जानते, उन्हें यह बताना चाहती हूं कि यह निजीकरण की शुरुआत है। यह देश की बहुमूल्य संपत्तियों को निजी क्षेत्र के चंद हाथों को कौड़ियों के दाम पर बेचने की प्रक्रिया है।’
संप्रग अध्यक्ष ने कहा कि इससे हजारों लोग बेरोजगार हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि इसे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व में तत्कालीन संप्रग सरकार ने देश के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यानि ‘मेक इन इंडिया’ के लिए शुरू किया था।’
उल्लेखनीय है कि ‘मेक इन इंडिया’ नरेंद्र मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है। मोदी ने हाल ही में लोकसभा में अपने संबोधन में कांग्रेस पर परोक्ष निशाना साधते हुए कहा था कि मेक इन इंडिया का मजाक उड़ाकर कुछ लोगों को भले ही रात को अच्छी नींद आ जाए, लेकिन इससे देश का भला नहीं हो पाएगा।
बहरहाल, मंगलवार को सोनिया गांधी ने शून्यकाल में ‘मेक इन इंडिया’ शब्द का भी उल्लेख किया और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल का भी जिक्र किया। सोनिया गांधी ने कहा कि इस कारखाने में आज बुनियादी क्षमता से ज्यादा उत्पादन होता है। यह भारतीय रेलवे का सबसे आधुनिक कारखाना है। सबसे अच्छी इकाइयों में से एक है। सबसे बेहतर और सस्ते कोच बनाने के लिए मशहूर है। उन्होंने कहा कि दुख की बात है कि इस कारखाने में काम करने वाले 2000 से अधिक मजदूरों, कर्मचारियों और उनके परिवारों का भविष्य संकट में है।
सोनिया गांधी ने कहा कि इस सरकार ने संसद में अलग से रेल बजट पेश करने की परंपरा क्यों बंद कर दी? पता नहीं। उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने इस फैसले को गहरा राज बनाकर रखा। कारखानों की मजदूर यूनियनों और श्रमिकों को विश्वास में नहीं लिया गया। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसयू) का बुनियादी उद्देश्य लोक कल्याण है, निजी पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना नहीं। सोनिया गांधी ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पीएसयू को आधुनिक भारत का मंदिर कहा था। आज यह देखकर अफसोस होता है कि इस तरह के ज्यादातार ‘मंदिर’ खतरे में हैं। मुनाफे के बावजूद कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा और कुछ खास पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए कर्मचारियों को संकट में डाल दिया गया है।