नई दिल्ली, 26 जनवरी (हि.स.)। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ पैन्गोंग झील के दक्षिणी किनारे पर ऑपरेशन स्नो लेपर्ड चलाकर कैलाश रेंज की रणनीतिक पहाड़ियों को भारतीय नियंत्रण में लेने वाले भारतीय सेना के जवानों को वीरता पुरस्कार दिया गया है। इनमें स्पेशल फ्रंटियर फोर्स के सेक्शन लीडर टर्सिंग नोरबू भी हैं। इसी ऑपरेशन के बाद इसी के बाद से चीन ज्यादा बौखलाया हुआ है। भारत ने इन चोटियों पर सैनिकों की तैनाती करके उन्हें रसद सामग्री, हथियार, गोला-बारूद से लैस कर दिया है। चीन अब अपने ही जाल में फंसने के बाद यह समझ ही नहीं पा रहा है कि आगे क्या किया जाए?
क्या था ‘ऑपरेशन स्नो लेपर्ड’
इस ऑपरेशन के लिए अगस्त, 2020 की शुरुआत से तैयारी की गई। सबसे पहले उन रणनीतिक पहाड़ियों की पहचान की गई जिन्हें हासिल करना था जैसे कि ब्लैक टॉप, गुरुंग हिल, रेजांग ला, मगर हिल, रेचिंग ला, हेलमेट टॉप। भारतीय थलसेना के प्रमुख जनरल एमएम नरवणे की अगुवाई में नार्दन आर्मी कमांडर कर्नल वाईके जोशी, कोर कमांडर हरजिंदर सिंह, डिविजनल कमांडर और वास्तविक नियन्त्रण रेखा पर तैनात लोकल कमांडर, स्पेशल फ्रंटियर फ़ोर्स की टीमों के साथ समन्वय करके इस ऑपरेशन की रणनीति बनाई गई।इस रणनीति के तहत तय किया गया कि चीन पर पहले अप्रैल की पुरानी स्थिति में वापस लाने के लिए दबाव बनाया जाए। इसके लिए सैन्य वार्ताओं के कई दौर चले लेकिन जब स्थिति में बदलाव नहीं दिखा तो ‘ऑपरेशन स्नो लेपर्ड’ को अंतिम रूप दिया गया। इस ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने की पहली शर्त यही थी कि इसकी चीनी सेना को जरा भी भनक न लग पाए।
इस बीच चीनी सेना ने जब 29/30 अगस्त की रात में पैन्गोंग झील के दक्षिणी इलाके की थाकुंग चोटी पर घुसपैठ की कोशिश की तो भारतीय सेना ने उन्हें खदेड़ दिया। सेना को ‘ऑपरेशन स्नो लेपर्ड’ अंजाम देने का यही मौका सही लगा।इसके बाद इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए ऐसी टीम तैयार की गई जिनके पास ऊंची पहाड़ियों पर तैनाती या युद्ध लड़ने का अनुभव है। इसमें स्पेशल फ्रंटियर फ़ोर्स की टीम को भी शामिल किया गया। इस खास टीम को दो दिन के अन्दर ब्लैक टॉप, गुरुंग हिल, रेजांग ला, मगर हिल, रेचिंग ला, हेलमेट टॉप को अपने नियंत्रण में लेने का टास्क दिया गया। इन चोटियों को अपने नियंत्रण में लेते वक्त सैन्य टीमों की सुरक्षा के लिए भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट लगातार आसपास पेट्रोलिंग करते रहे। यह ऑपरेशन इतना गोपनीय रहा कि चीनियों को हर चोटी पर तिरंगा फहरने के बाद ही भनक लग सकी।
तीनों सेनाओं को मिले पदक
राष्ट्रपति ने 72वें गणतंत्र दिवस समारोह की पूर्व संध्या पर सशस्त्र बलों के कर्मियों और अन्य लोगों को 455 गैलेंट्री और अन्य रक्षा पुरस्कारों को मंजूरी दी है। इनमें एक महावीर चक्र, 05 कीर्ति चक्र, 05 वीर चक्र, 07 शौर्य चक्र, 04 बार सेना पदक (वीरता), 130 सेना पदक (वीरता), एक नौ सेना पदक (वीरता), 04 वायु सेना पदक (वीरता) शामिल हैं। 30 परम विशिष्ट सेवा पदक, 04 उत्तम युद्ध सेवा पदक, 51 अति विशिष्ठ सेवा पदक, 11 युद्ध सेवा पदक, 03 बार सेना मेडल (कर्तव्य के प्रति समर्पण), 43 सेना मेडल (कर्तव्य के प्रति समर्पण) 02 कोविड वारियर्स, 08 नाव सेना पदक (कर्तव्य के प्रति समर्पण), 14 वायु सेना पदक (कर्तव्य के प्रति समर्पण), 03 बार विशिष्ठ सेवा पदक सहित एक कोविड योद्धा और 131 विशिष्ठ सेवा पदक सहित 12 कोविड योद्धाओं को सम्मानित किया गया है।
भारतीय तटरक्षक बल
राष्ट्रपति तट रक्षक पदक (विशिष्ट सेवा)
1. आईजी देव राज शर्मा
2. आईजी अरुण श्रीवास्तव
तट रक्षक पदक (वीरता)
1. डीआईजी अनुराग कौशिक
2. प्रताप नारायण
3. यदुराज यादव
4. रवि कुमार
तट रक्षक पदक (मेधावी सेवा)
1. डीआईजी कैलाश नेगी
2. सोम लाल