नई दिल्ली/लेह, 21 अक्टूबर (हि.स.)। सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख में इस आशय की घोषणा करते हुए कहा कि सियाचिन आधार शिविर से कुमार पोस्ट तक के पूरे इलाके में अब पर्यटक जा सकेंगे। उन्होंने भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास साइओक नदी पर बने पुल का भी उद्धाटन किया।
रक्षामंत्री ने कहा कि लद्दाख में पर्यटन के लिए बहुत संभावनाएं हैं। लद्दाख और शेष भारत के बीच संपर्क सुविधाओं के बेहतर होने पर बड़ी संख्या में देश-विदेश के पर्यटक यहां आ सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है। भारतीय सेना ने सन् 1980 के दशक में इस क्षेत्र से पाकिस्तानी सेना को खदेड़ कर अपना नियंत्रण स्थापित किया था।
लद्दाख भ्रमण के दौरान राजनाथ सिंह के साथ सेनाध्यक्ष बिपिन रावत भी थे। उन्होंने भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास साइओक नदी पर बने पुल का भी उद्धाटन किया। रणनीतिक दृष्टि से यह पुल बहुत उपयोगी साबित होगा। इस पुल का नामकरण युद्ध सेनानी महावीर चक्र विजेता कर्नल चेवांग रिनचिन के नाम पर किया गया है। सिंह ने कहा कि यह पुल रिकॉर्ड समय में निर्मित किया गया है तथा इससे इस क्षेत्र में पूरे वर्ष संपर्क सुविधाएं कायम रह सकेंगी। यह पुल सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों की आवाजाही की दृष्टि से भी बहुत उपयोगी होगा। सीमा सड़क संगठन द्वारा निर्मित यह 1400 फुट लंबा पुल पूर्वी लद्दाख में दुर्बुक और दौलत बेग ओल्डी को जोड़ता है। पुल बनने के बाद इस क्षेत्र में यात्रा का समय घटकर आधा रह जाएगा। यह पुल वास्तविक नियंत्रण रेखा से करीब 45 किलोमीटर दूर है।
रक्षामंत्री ने कहा कि भारत और चीन के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध हैं। दोनों देशों के बीच सीमा पर कोई विवाद पैदा होने की स्थिति में उसे सुलझा लिया जाता है। सीमा को लेकर दोनों देशों का अलग-अलग नजरिया है, फिर भी पूरी जिम्मेदारी और परिपक्वता के साथ मसलों को सुलझा लिया जाता है। सिंह ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ चीन की ओर से आया वक्तव्य महत्वपूर्ण है। चीन के राष्ट्रपति ने महाबलीपुरम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ शिखर वार्ता में कश्मीर के मुद्दे का उल्लेख नहीं किया। रक्षामंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर भारत का आतंरिक मामला है और यह राज्य भारत का अभिन्न अंग है।