नई दिल्ली, 02 नवम्बर (हि.स.)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ के. सिवन ने शनिवार को कहा कि चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम को सफलतापूर्वक चांद पर नहीं उतार पाने से वैज्ञानिकों का हौसला कम नहीं हुआ है। उन्होंने आश्वासन दिया कि भविष्य में एक दिन इसरो चंद्रमा पर भारत में बने विमान की सुरक्षित लैंडिंग कराकर रहेगा।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के 50वें दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए डॉ सिवन ने कहा कि आप सभी चंद्रयान-2 मिशन से परिचित हैं। असल में इसके तकनीकी पहलू की बात करें तो यह बात बिल्कुल सही है कि हम विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं करा पाए। हालांकि चांद की सतह से 300 मीटर दूर तक इसका पूरा सिस्टम सही काम कर रहा था।
आईआईटी-बॉम्बे के पूर्व छात्र सिवन ने अपने निजी अनुभवों का हवाला देते हुए कहा कि आईआईटी भारत में तकनीकी शिक्षा के बेहद महत्वपूर्ण केंद्र हैं। उन्होंने कहा कि जब मैंने तीन दशक से अधिक समय पहले स्नातक किया था, तो नौकरी की स्थिति आज जैसी नहीं थी। उस समय विशेषज्ञता के क्षेत्र में करियर के सीमित विकल्प थे लेकिन आज पर्याप्त विकल्प मौजूद हैं।
वैश्विक अर्थव्यवस्था के दौर में एक अतिरिक्त अस्थिरता, अनिश्चितता, जटिलता और अस्पष्टता बढ़ी है। हालांकि आप सभी पुरानी पीढ़ी की तुलना में हालात से निपटने में सक्षम हैं। फिर भी आपको अपने दृष्टिकोण में व्यावहारिक होना होगा और पुरानी पीढ़ी के अनुभव से सीखना होगा।
आईआईटी दिल्ली में इसरो की मदद से स्पेस टेक्नोलॉजी सेल स्थापित करने के लिए एक समझौता भी हुआ। इसरो के अध्यक्ष डॉ के. सिवन और आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. वी. रामगोपाल राव ने आज इस संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह सेल अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी डोमेन में केंद्रित अनुसंधान परियोजनाओं को पूरा करने के लिए काम करेगा।
दीक्षांत समारोह में 1217 स्नातकोत्तर (पीजी) और 825 स्नातक (यूजी) इंजीनियरिंग विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गई। प्रेसीडेंट गोल्ड मेडल, कंप्यूटर साइंस व इंजीनियरिंग (बीटेक) के छात्र के. प्रणीत, डायरेक्टर्स गोल्ड मेडल बायोकेमिकल की छात्रा मल्लिका सिंह और डॉ शंकर दयाल शर्मा गोल्ड मेडल केमिकल इंजीनियरिंग की छात्रा हिमाक्क्षी बारसीवाल को दिया गया।