लॉस एंजेल्स 01 जून (हिस): स्मार्ट फ़ोन में ‘फ़ाइव जी’ टेक्नोलाजी वाली विश्व विख्यात ‘हुवाए’ टेक कंपनी पर अमेरिकी प्रतिबंध से क्रुद्ध चीनी प्रशासन की बदले की कारवाई से सिलिकन वैली में हड़कंप मच गया है। चीन में फ़ेस बुक और गुगुल की अनेक एप्लिकेशनों पर पहले से ही प्रतिबंध है, जबकि अरबों डालर का धंधा करने वाली अमेरिका की विख्यात कंपनियों में एपल, टेसला, माइक्रोसाफट, अमेजन और लूमेंटम आदि कंपनियों की कार्य प्रणाली पर अगर चीनी प्रशासन देश की सुरक्षा के नाम पर रोक लगाती है, तो दोनों ही देशों में अरबों डालर की क्षति के साथ लाखों युवा बेरोज़गार हो जाएँगे।
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने शुक्रवार को दो टूक शब्दों में फ़रमान जारी कर हिदायत दे डाली कि वह ऐसी सभी विदेशी कंपनियों को सूचीबद्ध करेगी जो उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहितों के लिए ख़तरा साबित होंगी। इसके साथ चीनी प्रशासन ने यह भी दोहराया है कि वह अपने अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक और व्यापारिक नियमों, बहुराष्ट्रीय कार्य प्रणाली को हर संभव संरक्षण देने के लिए कटिबद्ध होगी। चीनी प्रशासन ने यहाँ अमेरिका का नाम लिए बिना अमेरिकी प्रशासन के व्यापारिक संरक्षण को निशाने पर लिया है। चीनी प्रशासन ने यहाँ तक कह दिया है कि अब व्यापार सुलहनामे के लिए अमेरिका को ख़ुद पहल करनी होगी। विदित हो ट्रम्प ने हाल में कहा था कि उन्हें चीन से बातचीत करने की कोई जल्दबाज़ी नहीं है। इसी महीने के अंत में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीन के राष्ट्रपति शी जिन पींग की जापानी नगर ओसाका में जी बीस देशों के शिखर सम्मेलन में वार्ता की उम्मीदें लगाई जा रही हैं। विशेषज्ञों का मत है कि दोनों पक्षों की ओर से इसी तरह का टकराव जारी रहा, तो इस बात की बहुत कम संभावना है कि किसी तरह का कोई सुलहनामा हो पाएगा।
जहाँ तक सिलिकन वैली में हड़कंप की बात है, एपल ने अपने आई फ़ोन और आई गजेट आदि के लिए चीन में भारी निवेश किया है। यही नहीं, एपल को अपने उत्पादों की बिक्री के लिए चीन, ताइवान और हां गकांग के 18 प्रतिशत के राजस्व पर निर्भर है, जो एक तिमाही में दस अरब डालर से कहीं ज़्यादा है। एपल को चौथी तिमाही में 25 प्रतिशत अर्थात 13.17 अरब डालर का नुक़सान हुआ है।
टेसला ने शंघाई में ढाई लाख कारें प्रतिवर्ष बनाए जाने के लिए एक विशाल फेक्टरी लगाई है, जहाँ अमेरिका के अनेक निवेशकों ने धन लगाया है। इसी तरह माइक्रोसाफट का तो चीन में पायरेसी की पहले से एक बड़ी मार्केट है, जिस पर वह रोक लगाने के लिए चीनी प्रशासन पर अवलंबित है। यही नहीं, माइक्रोसाफट ने बीजिंग में एक रिसर्च लैब स्थापित की हुई है, जबकि एमेजन का शापिंग माल भी चीन की सूचिबद्ध श्रेणी में आ सकता है।
ओप्टिकल फ़ाइबर की दुनिया में अमेरिकी कम्पनी ल्यूमेंटम और हुवाए के पुराने कारोबारी रिश्ते है, जिस पर अमेरिकी कंपनी को 15 प्रतिशत राजस्व का लाभ मिलता है। सेमी कंडक्टर की दुनिया में ‘कोरवो’ एक बड़ा नाम है, जो वर्षों से नार्थ कैरोलाइना में कार्यरत है। इसके भी हुवाए से व्यापारिक रिश्ते हैं। फिर चीन अमेरिकी चिप के लिए एक बड़ी मार्केट है। चीन इन सभी चिप का इस्तेमाल स्मार्ट फ़ोन, कम्प्यूटर, संचार माध्यमों, आदि में करता है। विशेषज्ञों की माने तो इस व्यापार में कोई बाधा आती है तो इसका कुल व्यापार के 34 प्रतिशत हिस्से पर फ़र्क़ पड़ेगा। इसमें दोनो देशों को 468.08अरब की क्षति हो सकती है।