आज महिलाएं दुनिया के किसी क्षेत्र में पुरुष से पीछे नहीं है। अंतरिक्ष में जाने की बात हो या फाइटर प्लेन चलाने की, सरकार के मंत्रालय संभालने की बात है या प्रशासनिक पद को संभालने की, महिलाएं किसी से पीछे नहीं है। यहां तक कि वह रिफाइनरी का भी परिचालन कर रही है। लोग सोचते हैं कि बड़े पद पर बैठी महिलाएं सिर्फ बड़ी परिवार की ही होती होगी लेकिन ऐसा कोई जरूरी नहीं है। सर्वोच्च शिखर पर पहुंचने वाली कई महिलाएं ऐसी भी है जिन्होंने काफी अभाव में रहकर अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। किताब खरीदने तक के भी पैसे नहीं थे लेकिन आज वह देश की महिलाओं और बेटियों के लिए मिसाल बनी हुई है।
ऐसी ही एक महिला है देश के किसी भी रिफाइनरी की पहली और एकमात्र महिला प्रमुख शुक्ला मिस्त्री। अप्रैल 1964 में पश्चिम बंगाल के 24 परगना के सुंदरवन इलाके में स्थित बसंती नाम के गांव के गरीब परिवार में खिरोद मिस्त्री के घर जब किलकारी गूंजी थी तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह बच्ची एक दिन दुनिया में चर्चित होगी। बसंती गांव एक द्वीप है और हर साल बारिश के मौसम में बाढ़ से ग्रस्त होता है। नाव के अलावा वहां कोई संचार का माध्यम नहीं था। बिजली, सड़क और महाविद्यालय आदि नहीं थे। गांव में केवल दो स्कूल थे, एक प्राथमिक और दूसरा माध्यमिक। आगे के अध्ययन के लिए शहर जाना होता था। बिजली और संचार के अभाव में उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई में काफी संघर्ष किया। उनके दो छोटे भाई थे, बिना किसी ट्यूशन के गांव के स्कूलों में पढ़ाई और पढ़ाई के लिए मिट्टी के दीपक का इस्तेमाल करती थी।
कई दिनों तक किताबें खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। 1979 में दसवीं की परीक्षा के बाद चाचा के घर कोलकाता गई और दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंकों के कारण अच्छे कॉलेज लेडी ब्रेबॉर्न कॉलेज में भर्ती हुई। पिता की खराब वित्तीय स्थिति के कारण दूर के रिश्ते के चाचा द्वारा प्रदान की गई वित्तीय सहायता से उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की। 1981 में बारहवीं कक्षा पास की और बंगाल के संयुक्त प्रवेश परीक्षा के माध्यम से 1981 में बंगाल इंजीनियरिंग कॉलेज में इंजीनियरिंग करने का मौका मिला। इसलिए बी. ई. कॉलेज शिवपुर, हावड़ा के मेटालर्जिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। कक्षा में दूसरा या तीसरा स्थान आता था। 1985 में इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद, आईआईटी खड़गपुर में एम. टेक में दाखिला लिया लेकिन इंडियन ऑयल में नौकरी मिलते ही आगे की पढ़ाई छोड़ दी। क्योंकि उन्हें परिवार और भाइयों की देख भाल करनी थी। परिवार का ख्याल रखा और दोनों भाइयों की पढ़ाई और उनके प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी करनेेे के लिए शादी नहीं की तथा वह अपनी गांव की पहली इंजीनियर बनी।
बंगाल इंजीनियरिंग कॉलेज, कलकत्ता विश्वविद्यालय शिवपुर हावड़ा से मेटलर्जी में इंजीनियरिंग के साथ- साथ आईसीएफएआई से व्यवसाय प्रबंधन में एक एडवांस डिप्लोमा तथा औद्योगिक रेडियोग्राफी और अल्ट्रासोनिक गैर-विनाशकारी परीक्षण में प्रमाणपत्र भी हासिल किया है। शुक्ला मिस्त्री ने 1986 में ग्रेजुएट इंजीनियर ट्रेनी के रूप में इंडियन ऑयल ज्वाइन किया और निरीक्षण इंजीनियर के रूप में हल्दिया रिफाइनरी से अपने करियर की शुरुआत की। निरीक्षिण विभाग, इंजीनियरिंग सर्विसेज विभाग और बाद में इंडियन ऑयल की विभिन्न परियोजनाओं में काम किया। उन्होंने हल्दीया, पानीपत और बरौनी रिफाइनरीओं में ब्राउन फील्ड से लेकर ग्रीन फाइलेड प्रोजेक्ट्स में काम किया, जो प्रकृति में छोटे से लेकर मेगा तक विविध थे। अपने करियर में तेज़ी से प्रगति करते हुए आगे बढ़ी, महाप्रबंधक बन गई और बाद में 2018 से 2019 तक डिगबोई रिफाइनरी का नेतृत्व किया।
इसके बाद बरौनी रिफाइनरी की कार्यपालक निदेशक बन गई और 2019 से आज तक इकाई का नेतृत्व कर रही है। शुक्ला मिस्त्री ना केवल इंडियन ऑयल में बल्कि, भारतीय हाइड्रोकार्बन उद्योग में पहली महिला निरीक्षण इंजीनियर हैं। निर्माण और कमीशनिंग के कठिन समय के दौरान कतर की परियोजनाओं में काम करने वाली पहली भारतीय महिला इंजीनियर भी हैं। 24X7 पारियों में काम करने वाली पहली महिला इंजीनियरों में से एक थी और ना केवल महिला अधिकारियों के लिए, बल्कि उनके पुरुष सहयोगियों के लिए भी एक आदर्श बन गई। बकाया संगठन कौशल के साथ उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के विभिन्न कठिन पोस्टिंग में काम किया और जटिल नौकरी-कार्यों के वर्गीकरण में भाग लेने के लिए देश भर में व्यापक रूप से यात्रा की। निरीक्षण और परियोजना प्रबंधन में भारत और विदेशों में कई रिफाइनरियों में कौशलता से चुनौतीपूर्ण कार्य संभाला है।
कतर में अत्यंत कठिन परिस्थितियों में परियोजना निष्पादन स्थल पर काम करना भारत की महिलाओं के लिए ग्लास सीलिंग को तोड़ना था। कतर में इराक, पाकिस्तान, मिस्र, ट्यूनीशिया आदि के 80 पदाधिकारियों और दो हजार अनुबंध कर्मियों के साथ एकल महिला के रूप में काम किया। उन्होंने इस तरह के कई ग्लास सीलिंग को तोड़ते हुए कई मिसाल कायम किए हैं। इंडियन ऑयल और इंडियन हाइड्रोकार्बन इंडस्ट्री में अपने तकनीकी कौशलता और योगदान के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। 2016-17 के लिए पीएसई में उत्कृष्ट महिला प्रबंधक के लिए स्कोप उत्कृष्टता पुरस्कार, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पेट्रोटेक सोसाइटी द्वारा पेट्रोटेक -2016 ओजस्विनी पुरस्कार, औद्योगिक परियोजनाओं के लिए 2015 में डन एंड ब्रैडस्ट्रीट पुरस्कार, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा एनपीएमपी बेस्ट वुमन एक्जीक्यूटिव अवार्ड 2000, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा पेट्रोफेड बेस्ट वुमन एग्जीक्यूटिव अवार्ड 2000 से सम्मानित किया गया।
देश भर की हजारों महिलाओं के लिए एक प्रेरक वक्ता और एक उत्साही खेल प्रेमी भी है। टेनिस और बैडमिंटन खेलने में गहरी दिलचस्पी लेती है और यहां तक कि पीएसपीबी के स्तर पर खेल चुकी हैं। कुल मिलाकर कहें तो शुक्ला मिस्त्री ना केवल एक कुशल प्रबंधक हैं। बल्कि वो एक अच्छी वक्ता और छोटे-बड़े सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ प्रेम भाव से काम कर हमेशा देश को आगे बढ़ाने में लगी हुई है। बरौनी रिफाइनरी जब पेट्रोकेमिकल के क्षेत्र में कदम रख रहा है तो वह इस विस्तारीकरण परियोजना को लेकर लगातार क्रियाशील हैं तथा मिसाल बनने के साथ-साथ प्रेरणा स्रोत बन गई हैं।