श्रीअमरनाथ यात्रा 21 जुलाई से शुरू होने के मिले संकेत, तैयारियां शुरू

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प्रदेश प्रशासन ने यात्रा की तिथि अभी तक घोषित नहीं की



जम्मू, 08 जुलाई (हि.स.)। कोरोना के चलते जहां एक ओर पूरे देश में होने वाली धार्मिक यात्राओं को लगभग स्थगित कर दिया गया है वहीं नये-नये केन्द्र शासित प्रदेश बने जम्मू-कश्मीर में विश्व प्रसिद्ध श्री अमरनाथ यात्रा 21 जुलाई से शुरू होने जा रही है और जिसका समापन रक्षा बंधन वाले दिन यानि 3 जुलाई को परंपरागत तरीके से होगा। प्रदेश प्रशासन ने इस यात्रा की तिथि अभी तक घोषित नहीं की है परन्तु इसके शुरू होने के संकेत देने के साथ ही तैयारियां शुरू कर दी हैं।
केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल जीसी मुर्मू ने पांच जुलाई को अमरनाथ गुफा में हिम शिवलिंग की विधिवत पूजा-अर्चना करने के साथ ही इस संबंध में तैयारियां शुरू करवा दी हैं। 5 जुलाई को ही दशनामी अखाड़ा के महंत देवेन्द्र गिरि जी महाराज ने पहलगाम में विधिवत पूजा-अर्चना करने के बाद यात्रा जल्द शुरू होने के संकेत दे दिए थे। इस बार की यात्रा केवल बालटाल मार्ग से ही होने की संभावना जताई जा रही है। इसके साथ ही इतिहास में पहली बार पवित्र गुफा से आरती का लाइव प्रसारण भी शुरू हो गया है जिसे दूरदर्शन पर सुबह 6 से 6.30 व सायं को 5 से 5.30 बजे तक देखा जा सकता है।
यात्रा की तैयारियां प्रारंभ
उपराज्यपाल द्वारा हिमशिवलिंग की पूजा अर्चना करने के साथ ही इस यात्रा से संबंधित सभी प्रकार की तैयारियां शुरू हो गई हैं। सभी प्रकार के प्रबंधों को लेकर पुलिस व प्रशासन पूरी तरह सक्रिय हो गया है। जम्मू के भगवती नगर में स्थित आधार शिविर में हर प्रकार की तैयारियां जोरों पर हैं। पूरे भवन को सेनेटाइज किया गया है और यात्रियों के ठहरने व सुरक्षा के पूरे प्रबंध किए जा रहे हैं। राज्य के मुख्य द्वार लखनपुर में टर्मिनल और काउंटर बनाए जा रहे हैं यहां पर बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं का पंजीकरण होगा व कोरोना से संबंधित सैंपल लिए जायेंगे। प्रवेश द्वार पर श्रद्धालुओं के ठहरने के साथ ही अन्य सुविधाओं की व्यवस्था होगी।
यात्रा सुचारू रूप से चल सके इसके लिए कईं कमेटियां बनाई गई हैं जो लंगर लगने के स्थानों के साथ-साथ यात्रा से जुड़े अन्य प्रबंधों का जायजा लेंगी। यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए स्वास्थ्य निदेशालय जम्मू ने 10 डाक्टरों व 17 पैरामेडिकल स्टाफ को कश्मीर भेजने का फैसला किया है। स्वास्थ्य निदेशक डॉ. रेनु खजूरिया के निर्देश के अनुसार इन्हें स्वास्थय निदेशालय कश्मीर में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है। माना जा रहा है कि प्रतिदिन 500 के करीब श्रद्धालु श्रीअमरनाथ यात्रा के लिए रवाना हुआ करेंगे।
समुद्र तल से करीब 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित श्रीअमरनाथ की पवित्र गुफा और तीर्थयात्रा इस बार कोरोना व लद्धाख में उपजे हालात की वजह से अपने सही समय पर शुरू नहीं हो पाई है। अमरनाथ यात्रा को देखते हुए इस बार भी प्रशासन लखनपुर से लेकर अमरनाथ तक सुरक्षा व्यवस्था के कड़े प्रबंध करने जा रहा है। जम्मू से लेकर अमरनाथ यात्रा मार्ग के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबलों को तैनात किया जा सकता है।  हेलीकॉप्टर, सीसीटीवी, आरआईएफ टैग और बार कोड श्रद्धालुओं व उनके वाहनों की निगरानी करेंगे। ड्रोन व खोजी कुत्तों के अलावा अत्याधुनिक उपकरणों व हथियारों से लैस लगभग हजारों सुरक्षाकर्मी उनकी सुरक्षा में तैनात रहेंगे।
बता दें कि श्री अमरनाथ यात्रा पूरे देश में सबसे लंबी अवधि तक चलने वाली कठिन तीर्थ यात्राओं में एक है। सिर्फ मौसम और यात्रा मार्ग की भौगोलिक परिस्थितियां ही इसे मुश्किल नहीं बनाती बल्कि आतंकी हमले की आशंका इसे और चुनौतीपूर्ण बनाती हैं। श्री अमर नाथ यात्रा पर जाने के भी दो रास्ते हैं, एक पहलगाम होकर और दूसरा सोनमर्ग बलटाल से। पहलगाम से जाने वाले रास्ते को सरल और सुविधाजनक समझा जाता है। बलटाल से श्रीअमरनाथ गुफा की दूरी केवल 14 किलोमीटर है और यह बहुत ही दुर्गम रास्ता है और सुरक्षा की दृष्टि से भी चुनौतीपूर्ण है लेकिन रोमांच और जोखिम लेने का शौक रखने वाले लोग इस मार्ग से यात्रा करना पसंद करते हैं।
स्मरण रहे कि यात्रियों को नुनवन, पहलगाम और शेषनाग के पास कई बार आतंकी निशाना बना चुके हैं। श्रद्धालुओं के वाहनों पर बालटाल, कंगन, गांदरबल, अनंतनाग और बिजबेहाड़ा में ग्रेनेड हमले भी हो चुके हैं। 10 जुलाई 2017 को लश्कर के आतंकियों ने दर्शन कर लौट रहे श्रद्धालुओं की बस को दक्षिण कश्मीर में श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर निशाना बनाया था, इसमें आठ श्रद्धालुओं की मौत हुई थी। कश्मीर से 1988-89 में कश्मीरी हिन्दुओं को भगाने के बाद पाकिस्तान की शह पर हमेशा आतंकियों के निशाने पर श्रीअमरनाथ यात्रा रही है। 1990 के बाद से आतंकवादियों ने श्री अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनाना शुरू किया। वर्ष 1993 में दो हमलों में तीन लोग मारे गए। 1994 में एक हमले में दो यात्रियों की मौत हुई। 1995 में तीन हमले हुए लेकिन जानी नुकसान नहीं हुआ। 1996 में आतंकियों ने हमले किए परन्तु कोई क्षति नहीं हुई। वर्ष 2000 में आतंकियों ने पहलगाम के करीब आरू नामक स्थान पर हमले किए जिसमें 32 श्रद्धालुओं सहित 35 लोग मारे गए और 60 लोग घायल हो गए। 2001 में शेषनाग में आतंकी हमले में तीन पुलिस अधिकारियों सहित 12 श्रद्धालु मारे गए। 2002 में श्री अमरनाथ यात्रा पर दो आतंकी हमले हुए जिसमें 9 श्रद्धालु मारे गए व 29 गंभीर रूप से घायल हुए। 2003 में आतंकियों ने श्रीअमरनाथ यात्रा में शामिल होने  वालों को सीधे निशाना तो नहीं बनाया लेकिन यात्रा के दौरान ही कटड़ा में वैष्णोदेवी के आधार शिविर पर हमला कर 8 श्रद्धालुओं को मार डाला और सेना के एक ब्रिगेडियर को भी मार डाला।
हालांकि इस बार जम्मू-कश्मीर राज्य न रहकर केन्द्र शासित प्रदेश बन चुका है और जहां एक ओर अलगाववादियों सहित कश्मीर केन्द्रित राजनीति करने वाली राजनीतिक पार्टियों व सामाजिक संगठनों की कमर भी टूट चुकी है। दूसरी ओर सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खात्मे का अभियान भी जोर-शोर से चलाया हुआ है। इस वर्ष में अब तक 120 के करीब आतंकियों को मौत के घाट उतारा जा चुका है और बड़ी संख्या में आतंकियों के सहयोगियों को गिरफ्तार करने के साथ ही आतंकियों के ठिकानों को नष्ट किया गया है। नियंत्रण रेखा व अंतराष्ट्रीय सीमा पर भी आतंकियों की घुसपैठ को नाकाम कर दिया गया है। दूसरी ओर कोरोना व राज्य वि विशेष परिस्थितियों के बावजूद श्री अमरनाथ यात्रा के शुरू होने के संकेतों से ही श्रद्धालुओं में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है।

 


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