मिथिला के मिनी देवघर में नहीं लगेगा श्रावणी मेला, पूजा से पहले होना होगा सैनिटाइज

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बेगूसराय, 26 जून (हि.स.)। भगवान भोले शंकर की भक्ति कर शक्ति पाने का पावन माह सावन सोमवार छह जुलाई से शुरू हो रहा है। इस वर्ष सावन सोमवार से शुरू होकर सोमवार को ही समाप्त होगा, पांच सोमवारी व्रत पड़ रहे हैं छह जुलाई, 13 जुलाई, 20 जुलाई, 27 जुलाई, 22 अगस्त और तीन अगस्त को। सावन में खासकर सोमवार के दिन सदियों से भोले शंकर का अभिषेक करने की परंपरा है। लेकिन इस वर्ष सभी परंपराएं टूट जाएगी। लॉकडाउन के कारण श्रावणी मेला नहीं लगेगा।

मिथिलांचल के मिनी देवघर के नाम से चर्चित गढ़पुरा के पावन शिवालय बाबा हरिगिरी धाम में जलाभिषेक करने के लिए सिमरिया गंगा घाट से जल लेकर श्रद्धालुओं को खुद के भरोसे आना होगा। गृह मंत्रालय द्वारा सोशल डिस्टेंस का पालन करवाने के आदेश के कारण सिमरिया से लेकर बाबा हरी गिरी धाम तक कोई सरकारी व्यवस्था नहीं होने जा रही है। पूर्व के वर्षों में सावन शुरू होने से 15 दिन पूर्व से ही तैयारी और सजावट शुरू हो जाती थी। लेकिन इस वर्ष अब तक कुछ शुरू नहीं हो सका है, कुछ तैयारी होगी भी तो हरिगिरी धाम विकास समिति अपने स्तर से करेगी।

डीएम अरविन्द कुमार वर्मा ने बताया कि पूजा-पाठ को लेकर गृह मंत्रालय द्वारा जो आदेश जारी किए गए हैं उसके अनुसार भीड़ नहीं जुटाना है। इसीलिए मेला का आयोजन नहीं किया जाएगा। हरिगिरी धाम विकास समिति के सचिव लक्ष्मीकांत मिश्र ने बताया कि कोरोना के कहर से बचने के लिए जारी निर्देश के अनुसार कोई विशेष व्यवस्था नहीं की जा रही है। आगे अगर आदेश जारी होगा तो प्रशासनिक और विकास समिति के स्तर पर विशेष व्यवस्था की जाएगी। फिलहाल लाइट और छोटे टेंट लगाए जाएंगे। धाम परिसर में हल्की व्यवस्था रहेगी, श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंस का पालन करवाने के लिए कार्यकर्ता तत्पर रहेंगे। श्रद्धालुओं को सेनीटाइज होने के बाद ही मंदिर में प्रवेश करने दिया जाएगा
उल्लेखनीय है कि कभी अंगुतराप और स्वर्णभूमि के नाम से प्रसिद्ध बेगूसराय जिला के उत्तरी सीमा पर गढ़पुरा प्रखंड मुख्यालय से महज एक किलोमीटर दूर स्थित पावन शिवालय बाबा हरिगिरिधाम मिथिला के देवघर के रूप में भी जाना जाने लगा है। चन्द्रभागा (अतिक्रमण के कारण विलुप्त) नदी के पश्चिमी तट पर पौराणिक काल से स्थित इस शिवालय की महिमा वर्ष 2000 से काफी फैल गई।
पौराणिक मंदिर को तोड़कर नया भव्य शिवालय के साथ पार्वती मंदिर, काली मंदिर, दुर्गा मंदिर, हनुमान मंदिर, विश्वकर्मा मंदिर, रामजानकी मंदिर, रविदास मंदिर, समाधि स्थल, धर्मशाला का निर्माण भक्तजनों के सहयोग से होने बाद परिसर की छटा पूर्णतया भक्तिभाव से विभोर लगती है। जबकि कोणार्क सूर्य मंदिर की तर्ज पर सूर्य मंदिर का निर्माण चल रहा है। यहां प्रतिवर्ष दस लाख से अधिक श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं, तो वहीं एक हजार से भी अधिक मुंडन, उपनयन और शादी समेत अन्य संस्कार कराये जाते हैं। दूरदराज के जिलोंं के लोग आकर वैवाहिक रस्म को पूरा करते हैं।
कथाओं के अनुसार श्मशान भूमि पर बाबा हरिगिरी नामक महात्मा द्वारा स्थापित इस शिवलिंग की पूजा-अर्चना उगना के साथ महाकवि विद्यापति ने भी जयमंगलागढ़ जाने के क्रम में की थी। आज हरिगिरी धाम महज एक मंदिर नहीं, आस्था, विश्वास, भाईचारा और धार्मिक समन्वय का केंद्र बन गया है। सावन माह में यहां भक्तजनों का कारवां सिमरिया घाट से गंगाजल लेकर पैदल के साथ बस निजी वाहन एवं ट्रेन से उमड़ते ही रहता है।

 


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