बिहार में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में ब्लड की भारी कमी
पटना, 8 जून (हि स)। बिहार में इस वक्त सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में ब्लड की भारी कमी देखने को मिल रहा है। इस वक्त इन अस्पतालों में ब्लड की कमी के कारण मरीजों को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
राज्य के महज 8 सरकारी अस्पतालों में ही ब्लड उपलब्ध है वो भी केवल एक से तीन यूनिट। वही निजी अस्पतालों के ब्लड बैंक की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। इसका मूल कारण है वेबासाइट का अपडेट नहीं होना। इस तरह की जानकारी के बारे में इसे अस्पताल की उदासीनता कहें या फिर अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही। अगर प्रदेश की बात करें तो 26 सरकारी और गैर सरकारी हॉस्पिटल ऐसे हैं, जहां 10 यूनिट से कम ब्लड उपलब्ध है। यही वजह है कि एक यूनिट ब्लड लेने के लिए मरीजों को 5 से 10 हजार रुपए में एक यूनिट ब्लड खरीदना पड़ता है।
7 जून 2020 के रिकॉर्ड के मुताबिक पटना सहित बिहार के 19 ऐसे हॉस्पिटल और ब्लड बैंक हैं, जो 10 दिनों से लेकर चार साल पहले अपने ब्लड बैंक के वेबसाइट को अपडेट किया है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार राज्य में 77 ब्लड बैंक है। जिसमें 18 ब्लड बैंक और हॉस्पिटल पटना में ही हैं। मरीजों के परिजनों को अपने लोगों की जान बचाने के लिए अस्पतालों के ब्लड बैंकों के चक्कर लगाना पड़ता है।
फुलवारीशरीफ स्थित कैंसर के लिए प्रसिद्ध हॉस्पिटल लॉयन महावीर कैंसर संस्थान के ब्लड बैंक को अंतिम बार 27 मई को अपडेट किया गया था। इस दौरान वहां पर 50 यूनिट पैकट रेड ब्लड सेल (पीआरबीसी) था। 10 दिनों में ब्लड बैंक में कितना ब्लड है, किस ग्रुप का है इसके बारे में किसी को जानकारी उपलब्ध नहीं करायी गई है।
पटना के पाटलिपुत्रा ब्लड बैंक को चार साल पहले 7 अक्टूबर 2016 को अपडेट किया गया है। उसके बाद उसे कभी अपडेट नहीं किया गया। ऐसे में लोगों को पता ही नहीं है कि वहां ब्लड बैंक है भी या नहीं। 7 अक्टूबर को वहां पर 9 यूनिट ब्लड था। कटिहार के केएमसीएच में 19 मई को अंतिम बार अपडेट किया गाय था। अंतिम अपडेट के मुताबिक अस्पताल में 25 यूनिट होल ब्लड था। 7 जून के आकड़ों के मुताबिक आरा में सदर हॉस्पिटल में चार यूनिट, पूर्णिया में दो यूनिट, किशनगंज में एक, बिहारशरीफ में 5, गोपालगंज में 5, शेखपुरा में 8, लखीसराय में 3, समसस्तीपुर में 12, रोहतास में दो, सहरसा में 7, औरंगाबाद में 7 और भभुआ में 9 यूनिट होल ब्लड उपलब्ध है। बिहार 77 ब्लड बैंकों मे एक दर्जन ब्लड बैंकों में ए और 14 ब्लड बैंकों में ओ पॉटिजिव ब्लड नहीं है। एबी और ओ निगेटिव ब्लड बिहार के 50 से अधिक हॉस्पिटल और ब्लड बैंक में उपलब्ध नहीं है। पटना, मुजफफरपुर सहित बिहार के 18 जगहों पर ऐसी मशीन लगाई गई है, जो ब्लड को तत्काल पीआरबीसी, एफएफटी, प्लेटलेट्स में बदल देती है जिससे डोनर द्वारा दिया हुआ ब्लड जल्दी खराब नहीं होता है। थैलिसिममिया मरीजों को हर 20 दिनों बाद ही ब्लड की जरुरत पड़ती है। ब्लड को लेकर सबसे ज्यादा परेशानी एक्सीडेंटल मामले, थैलिसिमिया मरीज और प्रसूति रोग में होता है। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो मरीजों के हालात दिनोंदिन बद से बद्तर हो जाएगी।