मुंबई, 03 अक्टूबर (हि.स.)। शिवसेना के युवराज आदित्य ठाकरे वरली विधानसभा सीट से गुरुवार को अपना नामंकन पत्र भर दिया है। इस अवसर पर पिता व शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे और मां रश्मि ठाकरे समेत पार्टी के आला नेता मौजूद थे। उनके पर्चा दाखिले में शिवसैनिकों का हुजूम उमड़ पड़ा था। खासकर महिला कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या देखी गई है।
नामांकन के बाद मीडिया से बातचीत में आदित्य ने कहा कि यह बहुत बड़ा खुशी का पल है। जनता से अनुरोध है सभी का मार्गदर्शन और आर्शीवाद उनके साथ बना रहे। महाराष्ट्र को नए मुकाम तक पहुंचाने के लिए आपका साथ मेरे साथ बना रहे। आदित्य ने पिता उद्धव ठाकरे और माता रश्मि का आर्शीवाद लेकर वरली के गीता सिनेमाहाल के पास स्थित मनपा कार्यालय के नामांकन केंद्र में अपना पर्चा दाखिल किया। इससे पहले वरली की शिवसेना शाखा के पास शिवसैनिकों का जनसैलाब उमड़ पड़ा था। महिला कार्यकर्ताओं की भी भारी भीड़ देखी गई। शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे की फोटो लगी तख्तियां हाथ में लिए शिवसैनिक जयकारे लगाते रहे। शिवसेना, भाजपा और आरपीआई के भी झंडे लहराते कार्यकर्ता नजर आए। आदित्य अपने लाव लश्कर के साथ रोड शो के जरिए अपनी ताकत दिखाई। महाराष्ट्र की राजनीति में पहली बार होने जा रहा है, जब ठाकरे परिवार का कोई सदस्य आम चुनाव लड़ने जा रहा है। मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने भी भतीजे आदित्य के खिलाफ वरली विधानसभा सीट से उम्मीदवार नहीं देने का फैसला किया है। अभी तक वरली से मनसे ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। इससे पहले आदित्य ने मराठी, उर्दू, गुजराती में कैसे हो वर्ली का पोस्टर लगाकर सुर्खियां बटोरी थी।
उद्धव ठाकरे ने आदित्य के नामांकन के समय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से उपस्थित रहने का अनुरोध किया था। परंतु चुनावी व्यस्थता के कारण मुख्यमंत्री फडणवीस उपस्थित नहीं हो सके। उन्होंने आदित्य को शुभकामनाएं दी हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि आदित्य की जीत निश्चित है। बीते दिनों विजय संकल्प रैली में आदित्य ने वरली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि पहले शिवसेना समाजवाद और राजनीति को अहमियत देती थी। अब वे समाजवाद के लिए चुनाव लड़ने जा रहे हैं। उन्हें जनता की सेवा करनी है और नया महाराष्ट्र बनाना है। इससे पहले ठाकरे परिवार का एक भी सदस्य चुनाव नहीं लड़ा लेकिन सत्ता पर उनका नियंत्रण रहा है। शिवसेना प्रमुख दिवंगत बालासाहेब ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना 80 प्रतिशत समाजवाद और 20 प्रतिशत राजनीति को अहमियत देती रही है।