नई दिल्ली, 02 सितम्बर (हि.स.)। देश में शिक्षकों के बहुमूल्य योगदान को मान्यता देते हुए 05 से 17 सितम्बर तक वर्चुअल माध्यम से ‘शिक्षक पर्व’ मनाया जाएगा। इस दौरान 05 सितम्बर को राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द शिक्षक दिवस पर 44 अध्यापकों को पुरस्कार प्रदान करेंगे। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 07 सितम्बर को शिक्षकों, छात्रों, अभिभावकों और शिक्षा से जुड़े हितधारकों को संबोधित करेंगे।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय में स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के अपर सचिव संतोष कुमार सारंगी ने गुरुवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में 13 दिवसीय ‘शिक्षक पर्व’ और शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कारों के संबंध में जानकारी दी। सारंगी ने बताया कि शिक्षकों के योगदान को मान्यता देने और नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को एक कदम आगे ले जाने के लिए पिछले वर्ष की तरह इस साल भी स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने शिक्षक पर्व-2021 मनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि शिक्षक पर्व 5 से 17 सितम्बर तक वर्चुअल मोड के माध्यम से शुरू होगा।
दो करोड़ से अधिक शिक्षकों के टीकाकरण अभियान पर सारंगी ने कहा कि राज्यों में टीकाकरण की प्रगति की निगरानी स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह स्कूलों को फिर से खोलने में मददगार होगा।
संयुक्त सचिव आर.सी. मीणा ने बताया कि राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द 5 सितम्बर को वर्चुअल मोड के माध्यम से 44 पुरस्कार विजेताओं को पुरस्कार प्रदान करेंगे। सभी पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों में से प्रत्येक पर एक वृत्तचित्र फिल्म भी दिखाई जाएगी। उन्होंने आगे बताया कि शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार पहली बार 1958 में युवाओं के ज्ञान के साथ-साथ भविष्य को आकार देने में शिक्षकों की उत्कृष्टता और प्रतिबद्धता को पहचानने के लिए स्थापित किया गया था। उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत मेधावी शिक्षकों को सार्वजनिक मान्यता प्रदान करने के लिए दिया गया था।
संयुक्त सचिव विपिन कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 7 सितम्बर को सुबह 11 बजे शिक्षकों, छात्रों, अभिभावकों और शिक्षा से जुड़े हितधारकों को संबोधित करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री विभाग की पांच पहलों, यानी 10,000 शब्दों का भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोश, टॉकिंग बुक्स (दृष्टिहीनों के लिए ऑडियो बुक्स), सीबीएसई के स्कूल क्वालिटी असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन फ्रेमवर्क (एसक्यूएएएफ), निष्ठा शिक्षकों की शुरुआत करेंगे। निपुन भारत और विद्यांजलि पोर्टल के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम (स्कूल विकास के लिए शिक्षा स्वयंसेवकों / दाताओं / सीएसआर योगदानकर्ताओं की सुविधा के लिए)। उन्होंने कहा कि कॉन्क्लेव में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के अलावा शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी, डॉ. सुभाष सरकार और डॉ. राजकुमार रंजन सिंह मौजूद रहेंगे।
विपिन कुमार ने कहा कि उद्घाटन सम्मेलन के बाद 17 सितम्बर तक वेबिनार, चर्चाएं, प्रस्तुतियां आदि आयोजित की जाएंगी, जिसमें देश के विभिन्न स्कूलों के शिक्षा व्यवसायियों को अपने अनुभव, सीख और आगे की रूपरेखा साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया है। उल्लेखनीय है कि दूर-दराज के स्कूलों के शिक्षक और व्यवसायी भी स्कूलों में गुणवत्ता और नवाचार से संबंधित मुद्दों पर बोलेंगे। संबंधित राज्यों में एससीईआरटी और डाइट भी प्रत्येक वेबिनार पर आगे विचार-विमर्श करेंगे और रोडमैप का सुझाव देंगे जिसे राज्य एससीईआरटी द्वारा समेकित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन्हें एनसीईआरटी के साथ साझा किया जाएगा और पाठ्यचर्या की रूपरेखा और शिक्षक प्रशिक्षण मॉड्यूल के लिए इनपुट प्रदान किया जाएगा।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वेबिनार के विषय को बाद के वेबिनार में नौ उप-विषयों में विभाजित किया गया है जैसे कि शिक्षा में प्रौद्योगिकी: एनडीईएआर, मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता: सीखने और ईसीसीई के लिए एक पूर्व-आवश्यकता, समावेशी कक्षाओं का पोषण आदि। सर्वोत्तम अभ्यास और पहल जो भारत के स्कूलों द्वारा अपनाई जा सकती हैं।