कोलकाता, 04 सितम्बर (हि.स.)। हाल ही में तृणमूल छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए कोलकाता के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी और उनकी महिला मित्र बैसाखी बनर्जी को पार्टी में बनाए रखने के लिए वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय का मान मनौव्वल काम नहीं आया है। मुकुल के साथ बैठक के एक दिन बाद ही दोनों ने स्पष्ट कर दिया कि अगर रॉयदिघी से तृणमूल की विधायक देवश्री रॉय भाजपा में शामिल होती हैं तो ये दोनों पार्टी छोड़ देंगे।
बुधवार को प्रदेश भाजपा सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि शोभन चटर्जी के इस तरह के बयान ने पार्टी को मुश्किलों में डाल रखा है और अब उन पर ठोस फैसला लिया जाएगा। पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि शोभन के हिसाब से ना तो रणनीति तय होगी और ना ही लोगों की जॉइनिंग। अगर देवश्री आना चाहेंगी तो निश्चित तौर पर उनका स्वागत होगा।दरअसल शोभन चटर्जी अपनी पत्नी रत्ना चटर्जी से विवाह विच्छेद का मामला और बैसाखी बनर्जी को लेकर अमूमन सुर्खियों में रहते हैं। इसी की वजह से नवंबर 2018 में उनका मंत्री और मेयर का पद भी छीन लिया गया था। जिसके बाद उन्होंने ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस से दूरी बनाकर रखी थी और फिर 14 अगस्त को दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ली। उस दिन दिल्ली भाजपा मुख्यालय में रॉयदिघी से तृणमूल की विधायक देवश्री रॉय भी जा पहुंची थीं। बैसाखी से पहले देवश्री शोभन की महिला मित्र थीं इसलिए उनकी मौजूदगी को लेकर बैसाखी ने नाराजगी जताई थी और शोभन ने बैसाखी की नाराजगी को देखते हुए साफ कर दिया था कि अगर देवश्री भाजपा में शामिल होंगी तो वे पार्टी की सदस्यता नहीं लेंगे। उसके बाद देवश्री की जॉइनिंग रोक दी गई थी और शोभन तथा बैसाखी को सदस्य बनाया गया था।
पार्टी में शामिल होने के बाद से आज तक शोभन चटर्जी किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए हैं और देवश्री की जॉइनिंग रोकने की जिद पर अड़े हैं। हालांकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष स्पष्ट कर चुके हैं कि शोभन के अनुसार पार्टी नहीं चलेगी। देवश्री अगर संपर्क करती हैं तो उनकी जॉइनिंग होगी। इस बीच बैसाखी और शोभन को मनाने के लिए राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय के निर्देश पर मुकुल रॉय सोमवार को दिल्ली गए थे। उन्होंने दिल्ली में अपने आवास पर दोनों के साथ बैठक की थी और दावा किया था कि अभी सब कुछ ठीक है तथा शोभन और बैसाखी भाजपा में ही रहेंगे। उसके ठीक एक दिन बाद दोनों दिल्ली लौटे हैं और स्पष्ट कर चुके हैं कि अगर देवश्री रॉय भाजपा में आती हैं तो वे पार्टी में नहीं रहेंगे। इसे लेकर एक बार फिर नई चर्चा शुरू हो गई है।