समान नागरिक संहिता एवं धारा 370 पर आरएसएस के साथ आए शंकराचार्य स्वामी स्‍वरूपानंद

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केंद्र सरकार से मांग की है कि वह देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून बनाने की दिशा में काम करें, फिर भले ही वो किसी भी धर्म या जाति से ताल्लुक क्यों न रखता हो।



ग्‍वालियर, 30 जून (हि.स.) । द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती वैसे तो राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी को घेरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते हैं, लेकिन इस बार वे रा.स्‍व.संघ की वर्षों पुरानी मांग देश में कॉमन सिविल कोड या फिर यूनिफार्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) लागू करने की वकालत करते नजर आए हैं। साथ ही उन्‍होंने मोदी सरकार से कश्‍मीर में धारा 370 तत्‍काल समाप्‍त करने का आग्रह किया है। यह बात शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने रविवार को  बातचीत में कही।
उन्‍होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून बनाने की दिशा में काम करें, फिर भले ही वो किसी भी धर्म या जाति से ताल्लुक क्यों न रखता हो। इसी प्रकार कश्‍मीर समस्‍या के स्‍थायी हल के लिए चाहिए कि वह इस राज्‍य से तुरंत धारा 370 समाप्‍त करें और यहां कश्‍मीरी पंडितों को उनकी सुरक्षा पुख्‍ता करते हुए उन्हें घाटी में पुन: बसाएं। जिससे कि यहां मुसलमानों की एक तरफा चल रही मनमानी को रोका जा सकेगा।
 वैसे तो उन्होंने कई विषयों को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार के साथ आरएसएस और विश्‍वहिन्‍दू परिषद को घेरा, लेकिन इस बात पर गंभीरतापूर्वक जोर दिया कि भारत में धर्म के आधार पर नागरिकों के लिए अलग-अलग कानून नहीं होने चाहिए। उन्‍होंने कहा कि एक देश में सभी नागरिकों पर एक समान ही कानून लागू हों। कहा कि यदि देश में समान नागरिक संहिता लागू कर दी जाए तो धार्म‍िक आधार पर जो तामाम विवाद इस समय दिखाई दे रहे हैं, वे स्‍वत: ही समाप्‍त हो जाएंगे। हिंदुओं के साथ ही मुस्लिमों को भी एक ही विवाह के लिए कानून होगा, जिससे तीन तलाक जैसी बुराई की नौबत ही नहीं आएगी।
मध्‍यप्रदेश के अल्‍पप्रवास पर आए द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि वे हाल ही में सिनेमाघरों में प्रदर्शित की जा रही फिल्‍म आर्टिकल 15 में ब्राह्मणों को लेकर किए गए गलत चरित्र-चित्रण की घोर निंदा करते हैं। हम बेटियों और महिलाओं का सम्‍मान करते हैं। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बने। इसके लिये वह स्वयं भी प्रयासरत हैं। अभी उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा गठित की गई तीन सदस्‍यीय समिति के समक्ष हमने अपना पक्ष रख दिया है। अब आगे अंतिम निर्णय न्‍यायालय को लेना है।
उल्‍लेखीय है कि राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ और राजनीतिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी लगातार देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कहती आई है। दरअसल यूनिफॉर्म सिविल कोड देश में अलग-अलग मजहबों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ की समाप्‍ति कर देगा। देश में सभी पंथ-धर्म की महिलाओं का अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार और गोद लेने जैसे मामलों में भी एक समान नियम लागू हो जाएंगे। यूनियन सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून से भी है।
देशहित में इसलिए जरूरी है यह
– विभिन्न धर्मों के विभिन्न कानून से न्यायपालिका पर बोझ कम होगा और न्यायालयों में वर्षों से लंबित पड़े मामलों के निपटारे जल्द होंगे।
– देश में वोट बैंक और ध्रुवीकरण की राजनीति पर अंकुश लगेगा।
– सभी के लिए कानून में एकसमानता होने से देश तेजी से विकास करेगा।
– अल्‍पसंख्‍यकों में खासकर मुस्लिम महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा।
– भारत ने अपने को धर्मनिरपेक्ष घोषित किया है, ऐसे में कानून और धर्म की घालमेल न होकर सभी के साथ धर्म मुक्‍त समान व्यवहार होता दिखेगा।
जिन लोगों को लखता है कि छिन जाएगा लोगों का धार्मिक अधिकार तो ऐसा बिल्‍कुल नहीं है। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाने से हर धर्म के लोगों को सिर्फ समान कानून के दायरे में लाया जाएगा, जिसके तहत शादी, तलाक, प्रॉपर्टी और गोद लेने जैसे मामले शामिल होंगे।

 


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