पटना, 29 जनवरी (हि.स.)। जाने-माने अर्थशास्त्री और आद्री (एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट) के सदस्य सचिव शैबाल गुप्ता को श्रद्धांजलि देने शुक्रवार को उनके आवास पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी, भाकपा-माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, अर्थशास्त्री प्रो. नवल किशोर चौधरी समेत कई लोग पहुंचे। अर्थशास्त्री शैबाल गुप्ता को याद करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि गंभीर रूप से बीमार होने के बावजूद डॉ. शैबाल गुप्ता ने कभी अपने काम में कमी नहीं आने दी। उन्होंने बिहार के इकोनॉमिक सर्वे को लेकर हमेशा रिपोर्ट तैयार की। बीमार होने पर इस बार भी उन्होंने अपना यह काम किया। सदन में बजट सत्र के दौरान उसे पेश किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. गुप्ता को विशेष जिम्मेदारी दी गई थी। बिहार के विकास को लेकर इनका नजरिया बहुत ही साफ़ था।
पुराने दिनों को याद करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि शैबाल गुप्ता के साथ बहुत पहले से उनके नजदीकी सम्बंध रहे हैं। हमलोगों के बीच काफी अच्छे रिश्ते थे। वहीं, राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि डॉ. गुप्ता के निधन से बौद्धिकता के मामले में बिहार कमजोर हुआ है। देश की ऐसी हालत में शैबाल जी जैसा शख्स कोई नहीं है। बीमारी होने के बावजूद उनके चेहरे पर कभी निराशा नहीं दिखती थी। कुछ दिनों पहले भी चर्चा हुई थी। अभी जाने वाली उम्र नहीं थी। बिहार से एक अच्छा आदमी चला गया है। उनका जाना बहुत खल रहा है।
शैबाल गुप्ता का अंतिम संस्कार शुक्रवार की दोपहर पूरे राजकीय सम्मान के साथ राजधानी पटना के गुलबी घाट पर किया गया। लंबी बीमारी के कारण गुरुवार की शाम उनका निधन हो गया था। उन्होंने शाम 7 बजकर 7 मिनट पर पारस अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे 67 वर्ष के थे। पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। वे अपने पीछे पत्नी, बेटी, दामाद और नतिनी को छोड़ गए हैं। ये सभी लोग उनके अंतिम समय में उनके साथ थे। डॉ. गुप्ता 25 दिसंबर से पारस हॉस्पिटल में भर्ती थे। डॉ. गुप्ता मूलत: बेगूसराय के रहने वाले थे, लेकिन तकरीबन 20 साल पहले उनका परिवार बेगूसराय छोड़कर पटना शिफ्ट कर गया था।। शैबाल गुप्ता के पिता डॉ. पी गुप्ता पटना के एक जानेमाने चिकित्सक थे। खास बात यह थी उन्होंने अपने जीवनकाल में कभी भी किसी गरीब से उसके इलाज की फीस नहीं ली। जिसके कारण गरीबों के बीच उनका काफी सम्मान था।