बच्चों का रखें ख्याल, निमोनिया संक्रमण की संभावना बदलते मौसम में बढ़ जाती है
बेगूसराय, 13 मार्च (हि.स.)। बदलते मौसम में निमोनिया से बचाव के लिए बच्चे एवं बुजुर्गों का विशेष ख्याल रखने की जरूरत है। बच्चे एवं बुजुर्गों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती है। जिसके कारण इस बीमारी की चपेट में बच्चे एवं बुजुर्गों के आने की संभावना अधिक रहती है। क्योंकि, निमोनिया सांस से जुड़ी गंभीर बीमारी है। यह बैक्टीरिया, वायरस और फंगल की वजह से फेफड़ों में संक्रमण से होता है। इस वजह से बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में काफी तकलीफ होती है। इस बीमारी से बचने का एक मात्र उपाय न्यूमो कॉकल वैक्सीन (पीसीवी) का टीकाकरण ही है।
जानें क्या है निमोनिया
निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, इसकी वजह से फेफड़ों में संक्रमण होता है। आम तौर पर यह बीमारी बुखार या जुकाम होने के बाद ही होता है। सर्दी के मौसम में बच्चों और बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से यह बीमारी ज्यादा होती है। निमोनिया का प्रारम्भिक इलाज सीने का एक्स-रे करने के बाद क्लीनिकल तरीके से शुरू होता है। निमोनिया वैक्टीरिया माइक्रो बैक्टीरिया वायरल, फंगल और पारासाइट की वजह से उत्पन्न संक्रमण की वजह से होता है। इसका संक्रमण सामुदायिक स्तर पर भी हो सकता है।
निमोनिया से बचाव के उपाय
ऐसे तो निमोनिया से बचाव का एक मात्र उपाय टीकाकरण ही है। यह एक सांस संबंधी बीमारी है, इसलिए कुछ सावधानी बरतने के बाद काफी हद तक इसके संक्रमण से बचा जा सकता है। इसके लिए नवजात एवं छोटे बच्चों के रखरखाव, खानपान एवं कपड़े पहनाने में सावधानी बरतने की आवश्यकता है। बच्चों को वैसे लोगों के संपर्क से दूर रखने की आवश्यकता है जिन्हें पहले से सांस संबंधी बीमारी हो। इसके साथ बुजुर्गों सहित अन्य लोगों को भी काफी सावधानी बरतने की जरूरत है।
निमोनिया का प्रारंभिक लक्षण
निमोनिया का प्रारंभिक लक्षण बुखार के साथ पसीना एवं कंपकपी होना, अत्यधिक खांसी में गाढ़ा, पीला, भूरा या खून के अंश वाला बलगम आना, तेज-तेज और कम गहरी सांस लेने के साथ सांस का फूलना (जैसे कि सांस लेने के दौरान आवाज होना), होंठ या अंगुलियों के नाखून नीले दिखाई देना, बच्चों परेशानी व उत्तेजना बढ़ जाना है। इस बीमारी में मवाद वाली खांसी, तेज बुखार एवं सीने में दर्द समेत अन्य परेशानी होती है।
सभी पीएचसी में उपलब्ध है पीवीसी का टीका
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. हरेराम कुमार ने बताया कि ज्यादातर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग इससे जल्दी ग्रसित हो जाते हैं। जिन बच्चों को पीवीसी का टीका नहीं पड़ा है, उन बच्चों को इस बीमारी की चपेट में आने की संभावना अधिक रहती है। इस बीमारी को टीकाकरण से रोका जा सकता है। बच्चों को संपूर्ण टीकाकरण के अंतर्गत पीएचसी में उपलब्ध निःशुल्क पीवीसी का टीका निश्चित रूप से लगवाएं। बच्चे को जन्म के पश्चात दो साल के अंदर सभी तरीके के पड़ने वाले टीके जरूर लगवाने चाहिए। इससे बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत तो होती है, इसके अलावा वह 12 से अधिक प्रकार की बीमारियों से भी दूर रहता है।
इन मानकों का पालन कर कोविड संक्रमण से रहें दूर
– मास्क का अनिवार्य रूप से उपयोग करें।
– भीड़-भाड़ वाले जगहों से परहेज करें।
– अनावश्यक यात्रा से बचें।
– बाहरी खाना खाने से परहेज करें।
– साबुन या अल्कोहल युक्त पदार्थों से हाथ धोएं।
– यात्रा के दौरान आवश्यक दूरी का ख्याल रखें और निश्चित रूप से मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग करें।
– गर्म व ताजा खाना का सेवन करें, बासी खाना से बिलकुल दूर रहें।