बिकरु कांड : अमेरिकी राइफल समेत असलहों का जखीरा बरामद, विकास दुबे के सात मददगार गिरफ्तार
कानपुर, 01 मार्च (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में घटे चर्चित बिकरु कांड में सोमवार को एसटीएफ ने खुलासा किया है। इस कांड के मुख्य आरोपित एनकाउंटर में मारे गए विकास दुबे की मदद करने वाले सात मददगारों व पनाहगारों को गिरफ्तार करने का दावा किया गया है। इनके कब्जे से असलहों का जखीरा बरामद हुआ है।
प्रदेश की स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) के अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) अमिताभ यश ने सोमवार को कानपुर के एसटीएफ कार्यालय में प्रेसवार्ता कर इसकी पुष्टि करते हुए बताया है कि विकास दुबे की मदद करने वाले सात मददगार को गिरफ्तार किया गया है। इनमें कानपुर देहात निवासी विष्णु कश्यप, अमन शुक्ला, रामजी उर्फ राधे, अभिनव तिवारी, मध्य प्रदेश के मनीष यादव और कानपुर देहात के संजय परिहार, शुभम पाल को गिरफ्तार किया गया है।
इन सभी को कानपुर एसटीएफ यूनिट के क्षेत्राधिकारी तेज बहादुर सिंह व इंस्पेक्टर के नेतृत्व वाली 14 सदस्यीय टीम ने काफी प्रयासों के बाद कानपुर के पनकी थाना इलाके, कानपुर देहात में समेत तीन जगहों से दबिश देकर पकड़ा गया है। इनकी निशानदेही पर भारी मात्रा में असलहों जखीरा बरामद किया गया है।
शिवली नदी तक पैदल पहुंचा था विकास
यूपी एसटीएफ के एडीजी ने बताया कि मोस्ट वांटेंड विकास दुबे के गिरोह में अत्याधुनिक असलहों से लैस थे। उन्होंने बताया कि बिकरु कांड के बाद विकास समेत गिरोह के खास सदस्य पैदल ही भाग निकले थे। इनमें विकास के साथ विश्वासपात्र अमर दुबे, प्रभात मिश्रा साथ थे। यह तीनों घटना के बाद शिवली नदी के पास पहुंचे और उन्होंने रमेश को बुलाया। रमेश कार आया और तीनों को लेकर कानपुर देहात के रसूलाबाद पहुंचा। यहां पर पुलिस की पकड़ से बचने के लिए तीन दिन तक जगह बदल-बदलकर रहा और फिर औरैया के रास्ते से सीधे फरीदाबाद निकल गया। औरैया तक तीनों साथ थे और फिर उन्होंने योजना के तहत अलग-अलग हुए और फिर विकास फरीदाबाद होता हुआ मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर पहुंचा था। जहां से वह पुलिस की गिरफ्त में आया था।
अमेरिकी राइफल सहित गिरोह के पास थे भारी मात्रा में कारतूस
एसटीएफ के एडीजी ने बताया कि घटना के बाद विकास को शरण व भागने में मदद करने वालों के पास ही असलहों को छोड़ दिया गया था। इन असलहों की जानकारी पर एसटीएफ की टीमें बरामद करने में जुटी हुई थी। कानपुर इकाई की एसटीएफ टीम ने सात शरणदाताओं को पकड़ा है, इनके कब्जे से एसटीएफ को एक अमेरिकी सेमी ऑटोमैटिक राइफल, 9 एमएम कार्बाइन, एक रिवॉल्वर, 315 बोर के तमंचे, एके-47 के कारतूस, स्प्रिंग फील्ड राइफल समेत करीब 132 कारतूस बरामद किए हैं।
विकास-अमर-प्रभात के मोबाइल समेत दो लाख की रकम बरामद
बताया कि, एसटीएफ की टीम को विकास दुबे का आईफोन, अमर और प्रभात के मोबाइल बरामद हुए हैं। इसके साथ ही दो लाख पांच हजार नगद मिले हैं। साथ ही एसटीएफ ने वह कार भी बरामद कर ली है, जिससे विकास दुबे घटना को अंजाम देने के बाद लेकर फरार हुआ था। पकड़े गए आरोपियों ने पूछताछ में यह भी पता चला है कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उसमें एक व्यक्ति के घर पर विकास दुबे दो दिन तक रहा। उसके ही घर से आगे भागने की योजना बनाई और मद्दगारों को खुद को बचाने के लिए भी पूरी प्लानिंग तय की।
विधि प्रयोगशाला खोलेगा मोबाइल लॉक, खुलेंगे राज
एसटीएफ के एडीजी ने पत्रकारों के सवालों पर बताया कि अभी तक बरामद विकास दुबे, अमर दुबे व प्रभात मिश्रा के मोबाइलों को खोला नहीं गया है। इनके मोबाइल खोलने के लिए विधि प्रयोगशाला भेजा जाएगा। मोबाइलों के खोलने के बाद गिरोह से जुड़े व वारदात वाली पूरी योजना का खुलासा हो सकता है। साथ ही विकास से किन-किन सफेदपोशों से सम्पर्क थे और उसकी किन लोगों द्वारा मदद की जा रही थी, उसके भी राज खुल सकते हैं।
बिकरु कांड में गिरफ्तारी का आंकड़ा हुआ 44
दुर्दांत विकास दुबे गिरोह द्वारा बिकरु गांव में पुलिस टीम पर घेर जानलेवा हमला किया था। इसमें सीओ बिल्हौर समेत आठ पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी। घटना में पुलिस ने विकास दुबे, अमर दुबे, प्रभात मिश्रा समेत कुल 43 लोगों को प्रथम दृष्टया आरोपी बनाया था। इनमें पुलिस ने विकास समेत छह लोगों को मुठभेड़ में मार गिराए गए थे। जबकि बाकी 37 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा दिया गया था। आठ माह बाद एसटीएफ ने घटना के बाद भागने में मददगार सात आरोपियों को और गिरफ्तार किया है। इस तरह से बिकरु कांड में अब 44 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। यही नहीं अब मृतकों आरोपियों समेत कुल आरोपितों की संख्या 50 हो गई है।
उल्लेखनीय है कि, जनपद चौबेपुर के बिकरु गांव में दो जुलाई 2020 की देर रात को दबिश पर गई पुलिस टीम पर गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी। इसमें सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। घटना को अंजाम देने के बाद ही विकास दुबे रात में ही भागकर अपने सहयोगियों के पास जाकर छिप गया था।
पुलिस ने घटना के करीब एक सप्ताह के बाद ही मध्य प्रदेश पुलिस ने विकास दुबे को महाकाल मंदिर से पकड़कर यूपी एसटीएफ के सुपुर्द किया था। मध्य प्रदेश से कानपुर लाते समय गाड़ी पलट जाने पर विकास ने भागने की कोशिश की और मुठभेड़ में मारा गया था। जबकि उसके कई साथी मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं और इस मामले में 37 लोग जेल में हैं।