कोल्हापुर में सात बांधों में रिसाव, होगा सुरक्षा ऑडिट

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मानसून शुरू होने से पहले ही सभी बांधों की जांच कराई जाती रही है। तिवरे बांध हादसे के बाद रत्नागिरी से लगभग 120 किमी. दूर कोल्हापुर जिले में स्थित राधानगरी सहित सात बांधों को लेकर भी चिंता जताई गई है।



मुंबई, 04 जुलाई (हि.स.)। कोंकण में रत्नागिरी के चिपलुण में स्थित तिवरे डैम के टूटने के बाद रत्नागिरी जिले में बांधों की सुरक्षा को लेकर गंभीर स्थिति पैदा हो गई है। राज्य में कई बांधों में रिसाव की समस्या उत्पन्न होने पर राज्य सरकार ने बांधों की सुरक्षा और संरचनाओं की ऑडिट कराने की योजना बनाई है। इस क्रम में कोल्हापुर जिले के सात बांधों में रिसाव की स्थिति सामने आने के बाद स्ट्रक्चरल ऑडिट की प्रक्रिया शुरू की गई है।
मानसून शुरू होने से पहले ही सभी बांधों की जांच कराई जाती रही है। तिवरे बांध हादसे के बाद रत्नागिरी से लगभग 120 किमी. दूर कोल्हापुर जिले में स्थित राधानगरी सहित सात बांधों को लेकर भी चिंता जताई गई है। इन बांधों में भी रिसाव की गंभीर समस्या पाई गई है। यह संभावना भी जताई गई है कि भारी वर्षा के दौरान बांधों के पास जमीन की मिट्टी धंस सकती है, पानी के तेज बहाव में मिट्टी बह जाने से बांध की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।
मानसून पूर्व सर्वे रिपोर्ट में कहा गया था कि राधानगरी सहित सात बांधों में रिसाव की गंभीर समस्या है। चांदौली में स्थित वारणा बांध की बाईं और दाईं दीवार पर रिसाव हो रहा है। जल निकासी प्रणाली भी खराब हो गई है, उसकी मरम्मत का काम चल रहा है। इसी तरह, दूधगंगा बांध के गेट में लगभग 20 क्यूसेक पानी का रिसाव हो रहा है। दाईं ओर के नहर (कैनाल) के पास भारी मात्रा में मिट्टी बह गई है। वहां पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं। घाटी परिसर में वडगांव, मानोली (आंबा) और गड़हिंग्लज तालुका में स्थित येणेचवंडी मेघोली (तालुका भूदरगढ़) लघु सिंचाई बांध की मुख्य दीवार में भी रिसाव होने लगा है।
कोल्हापुर जिले में स्थित राधानगरी बांध का निर्माण चट्टान और पत्थरों से किया गया है। राधानगरी बांध का सुरक्षा द्वार भी खतरा पैदा कर सकता है। वह कमजोर हो चुका है। नासिक स्थित बांध सुरक्षा संस्था की ओर से मानसून पूर्व और मानसून खत्म होने के बाद बांधों की जांच कराई जाती है। इस संस्था ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा कि राधानगरी बांध में ओवरफ्लो होने की स्थिति में इसका सुरक्षा द्वार टूट सकती है। बांध में पानी की अचानक वृद्धि होते ही, इसके सभी स्वयंचालित दरवाजे एक ही समय में खोले जाते हैं। इससे भोगावती, पंचगंगा नदी तट पर बसे गांव पानी में डूब जाते हैं। इसे देखते हुए सिंचाई विभाग ने एक साल पहले ही यहां के स्वचालित दरवाजों तो निकाल कर मैनुअल प्रणाली पर काम करने वाले दरवाजों का लगाने का काम शुरू किया था। स्थानीय लोगों ने बांध के ऐतिहासिक होने का मसला बनाते हुए दरवाजा बदलने का विरोध किया। फिलहाल बांध के रिसाव को बंद करने का काम किया जा रहा है।
कोल्हापुर जिले में चार बड़े, नौ मध्यम और 54 छोटे बांध हैं। नासिक स्थित बांध सुरक्षा संस्था ने सभी बांधों की जांच कराई है। इसी महीने में संस्था को जांच के दौरान सात बांधों में रिसाव बढ़ने और बांधों की दीवारों पर दरारें होने की बात पता चली है। संस्था ने बांधों की दीवारों की मरम्मत करने का सुझाव दिया है। फिलहाल कुछ बांधों के रिसावों की मरम्मत कराई जा रही है। हालांकि, पर्याप्त निधि उपलब्ध नहीं है जिससे सही तरीके से काम नहीं हो पाया है। इससे बांध क्षेत्र में अत्यधिक पानी का दबाव बढ़ते ही इनका रिसाव बढ़ने व टूटने की संभावना बढ़ गई है। सिंचाई प्रशासन को इन बांधों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की बात कही गई है।
उल्लेखनीय है कि बांध के निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का उपयोग किए जाने से उसकी पानी धारण क्षमता कमजोर हो जाती है, बांध कमजोर हो जाते हैं, दीवारों में दरारें बननी शुरू हो जाती हैं, जिससे रिसाव बढ़ जाता है। महाराष्ट्र में कई बांध पिछले दो दशकों में बनाए गए हैं। घटिया निर्माण से बांधों की मुख्य दीवारों में रिसाव बढ़ गया है। सिंचाई विभाग के तकनीकी विभाग ने कहा है कि बांध के अंदरूनी हिस्सों की मरम्मत करना मुश्किल हो रहा है। कई बांधों में दीवार के नीचे तक भारी लीकेज है। अगर बांध ओवरफ्लो हो जाता है तो पानी का दबाव बढ़ेगा, जिससे अधिक रिसाव होगा और बांध के टूटने का खतरा बढ़ सकता है। सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता रोहित बांदीकर ने बताया कि कुछ बांधों में त्रुटियां पाई गई हैं, जिसे दूर करने का काम किया जा रहा है।

 


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