हमें घर भेज दीजिए हुजूर, अधपका खाना हमारी जान ले लेगा

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शेल्टर हाउस में शरणार्थियों की हालत बदतर, कर्मियों द्वारा किया जा रहा दुर्व्यवहार चिकित्सीय जांच करने पहुंची टीम को नहीं पता क्या है सोशल डिस्टेंसिंग



रामगढ़, 31 मार्च (हि.स.) । कोरोना वायरस को रोकने के लिए पूरे देश को बंद कर दिया गया है। लेकिन हुजूर अधपका खाना हमारी जान ले लेगा। हमें घर ही भेज दीजिए। यह अल्फाज है शेल्टर हाउस में पिछले 15 घंटे पहले आए शरणार्थियों का। उन्हें शेल्टर हाउस की व्यवस्था इतनी बुरी लगी कि वे पैदल ही अपने घर जाने की बात कर रहे हैं। मंगलवार की दोपहर जब मीडिया वालों की टीम वहां पहुंची तो वहां का नजारा दिल दहला देने वाला था। जहां पूरा देश सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर जागरुक हो रहा है।
वहीं रामगढ़ स्वास्थ्य विभाग की टीम इस चीज से अनभिज्ञ दिखी। वहां वरीय अधिकारियों के निर्देश पर मेडिकल टीम को भेजा गया था। शेल्टर हाउस में रह रहे 150 लोगों की जांच करनी थी। साथ ही उनका सैंपल भी लेना था। मेडिकल टीम को घेर कर खड़ी सैकड़ों महिलाएं और पुरुष मछली बाजार जैसे नजारा तैयार कर चुके थे। जब मीडिया वालों ने मेडिकल टीम से बात की तो उन्होंने कहा कि पुलिस को कहा गया है लाइन लगाने के लिए। लेकिन कोई नहीं सुन नहीं रहा।
इधर शरणार्थियों का कहना है कि कोई भुनेश्वर से पैदल चलकर आ रहा है, तो कोई जमशेदपुर से। रास्ते में कुछ ट्रक वालों ने उनकी मदद की। किसी तरीके से यहां पहुंचे हैं। रात में 10 बजे उन्हें खिचड़ी खाने को दिया गया था। वह खिचड़ी भी पूरी तरीके से पकी हुई नहीं थी। सुबह 9 बजे उन्हें चाय मिली है। लेकिन तीन-चार दिनों से भूखे लोगों को दोपहर तक खाने को कुछ नहीं मिला है। ऐसे दर्जनों लोग थे जिन्होंने कहा कि वह मध्य प्रदेश के रीवा जिले से 21 मार्च को रामगढ़ पहुंचे हैं। लेकिन किसी आशियाने तक नहीं पहुंच पाए। 22 तारीख से गाड़ियां बंद हो गई। सड़के सुनसान हो गई और वे लोग पूरी तरीके से फंस गए। महिलाओं ने कहा कि वे छठ महापर्व पर लगने वाले मेले में सामान बेचने के लिए आई थीं। लेकिन वर्तमान में जो हालात है उनकी जान खतरे में है। उन्होंने यह भी माना कि किसी तरीके से पैदल ही अगर वह अपने घर पहुंच जाती, तो बेहतर होता। उन लोगों ने शेल्टर हाउस की व्यवस्था को पूरी तरीके से बदतर करार दिया है।
इस पूरे मामले में शेल्टर हाउस की जिम्मेदारी उठाने वाले एसडीओ अनंत कुमार से जब बात की गई तो, उन्होंने कहा कि किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है। समय पर नाश्ता और खाना मिल रहा है। शरणार्थियों के लिए शेल्टर हाउस में ही दाल भात केंद्र खुलवाया जा रहा है। अधिकारी चाहे कुछ भी कह लें। लेकिन हकीकत यह है कि इस लॉकडाउन में फंसे लोग की सहायता का दंभ भरने वाली बातें, हवा हवाई ही प्रतीत हो रही है।

 


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