आत्मनिर्भरता की नई इबारत त्रिपुरा के युवा ने लिखी , उगाई कश्मीरी सेब कूल की फसल

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महज ढाई लाख रुपये के निवेश से एक साल में छह लाख रुपये की आमदनी संभव यूट्यूब और गूगल की मदद से त्रिपुरा में कश्मीरी सेब कूल के उत्पादक बने



अगरतला, 02 जून (हि.स.)। पहाड़ी राज्य त्रिपुरा के पेचारथल निवासी विक्रमजीत चकमा ने राज्य निर्माण में आत्मनिर्भरता की एक बेहतरीन मिसाल कायम की है। उन्होंने कश्मीरी सेब कूल की फसल लगाई है। महज ढाई लाख रुपये के निवेश से एक साल में छह लाख रुपये की आमदनी संभव हो पाई है। उन्हें उम्मीद है कि अगले साल यह आय दोगुनी हो जाएगी।

इससे पहले त्रिपुरा में कश्मीरी सेब कूल की फसल पहले नहीं देखी गई है। ओबीसी निगम के फील्ड ऑफिसर विक्रमजीत चकमा ने अपने चाचा और दो भाइयों को साथ लेकर चुनौती भरे माहौल में फसल का उत्पादन शुरू किया। यूट्यूब और गूगल से अनुभव प्राप्त करते हुए वे त्रिपुरा में कश्मीरी सेब कूल के उत्पादक बने। उनके अनुसार अगर बांग्लादेश की धरती पर उस फल को उगाना संभव है तो त्रिपुरा में यह असंभव नहीं है। उनका मानना है त्रिपुरा की मिट्टी और जलवायु किसी भी फसल के लिए पूरी तरह से अनुकूल है।

फल की खेती के अपने शुरुआती अनुभव के बारे में बात करते हुए विक्रमजीत ने कहा, चाचा चंचल कुमार चकमा और दो भाइयों रंजीत चकमा और बिश्वजीत चकमा का इस सफलता में बहुत बड़ा योगदान दिया है। उनके लिए कश्मीरी सेब की कूल प्रजाति की फसल संभव हो पाई है। उनके अथक परिश्रम की बदौलत आज हमने अधिक लाभ पाया है। पहले मेरे चाचा और दो भाई अपनी जमीन पर आलू, मूली आदि की खेती करते थे। ऐसे में सभी खर्चों को छोड़कर कुल 10 से 12 हजार रुपये सालाना की आमदनी संभव होती थी। इसलिए मैंने उन्हें कश्मीरी सेब की कूल प्रजाति के लगाने की सलाह दी और पिछले साल इसकी खेती शुरू कर दी।

उन्होंने कहा कि मैंने पौधे लाने की सारी जिम्मेदारी ली। इसी के तहत हमने 17 मार्च 2020 को पहला पौधा लगाया। करीब सात एकड़ जमीन में 1300 पौधे लगाए गए। उचित देखभाल के साथ, फसल इस साल जनवरी में कटाई के लिए तैयार हो गई। उन्होंने कहा कि जनवरी से मार्च तक सभी फसल को काट कर बिक्री के लिए तैयार किया गया। उन्होंने अनुमान लगाया कि लगभग 40 क्विंटल कश्मीरी सेब कूल की कटाई हो चुकी है। इसमें से 12 क्विंटल फल थोक विक्रेताओं को बेच चुका हूं। बाकी को स्थानीय बाजार में बेच दिया गया है।

विक्रमजीत ने कहा कि कश्मीरी सेब कूल की उपज में जैविक विधि काफी फायदेमंद साबित हुई है। हालांकि, थोड़ा डीएफई का इस्तेमाल किया गया है। लेकिन, पानी की सही मात्रा के साथ रोपाई को बढ़ने में देर नहीं लगी। उन्होंने कहा, हमने कभी नहीं सोचा था कि मैं जो पौधा लेकर आया हूं वह उस कश्मीरी सेब के पेड़ से इतना सारा फल मिलेगा। अब सिर्फ सही देखभाल के साथ, आप साल-दर-साल अच्छी मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने यहां तक ​​दावा किया कि अगले साल उन्हें दोगुना परिणाम मिलेगा।

उन्होंने कहा कि कई लोगों ने त्रिपुरा में ऐसा पहले कभी नहीं देखा था। इसलिए पहले इसे करीब 200 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचना संभव हुआ। बाद में थोक बिक्रेताओं को एक दिन में 12 क्विंटल फल 56 रुपये किलो की दर से बेचा गया। बाकी फलों को स्थानीय बाजार में बेचा गया है। उन्होंने दावा किया कि फल 115 से 120 रुपये की औसत कीमत पर बेचा गया है। उसमें हमने करीब छह लाख रुपए कमाए हैं। वह अगले साल इसे दोगुना करने की उम्मीद करते हैं। आय दोगुनी करने को लेकर उनका तर्क है कि इस साल एक शाखा से अधिकतम 25 किलो और न्यूनतम आठ किलो फल प्राप्त हुआ है। अगले साल उस उपज में बहुत वृद्धि होगी। इसमें 70 से 80 क्विंटल फल आसानी से मिल जायेगा। उन्होंने कहा कि कटाई का काम अगले जनवरी से शुरू होगा।

मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव ने इस अभिनव पहल की प्रशंसा की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि पंचरथल निवासी विक्रमजीत चकमा ने आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम की है। इस युवक ने अपने चाचा के साथ खेती में एक फैंसी आइडिया लगाकर सफलता हासिल की है। वह सात कानी जमीन पर कश्मीरी सेब के कूल की खेती किया है। इसने पहली बार लगभग 40 क्विंटल फल का उत्पादन किया है। इस युवक ने ढाई लाख रुपए निवेश कर करीब छह लाख रुपए कमाए हैं। विक्रमजीत को उम्मीद है कि अगले साल ये पेड़ दुगने फल देंगे। मैं उनकी पहल की सराहना करता हूं। आत्मनिर्भर बनने और सफलता प्राप्त करने की उनकी इच्छा राज्य में अन्य लोगों को भी प्रेरित करेगी।

 


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