फिल्म ‘सेक्शन 375’ रिव्यू- अक्षय खन्ना और ऋचा की शानदार परफॉर्मेंस ने फिल्म को अंत तक बांधे रखा

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फिल्म में कानून व्यवस्था और पुलिस की खामियों को सामने रखा गया है, जिसे देखने के बाद दर्शकों को सच में कोर्ट रूम में मौजूद होने का अहसास होता है।



रेटिंग :
निर्देशन ———4/5
पटकथा———4/5
संवाद————4/5
चाक्षुष प्रभाव –4/4
फिल्म ‘सेक्शन 375’ अलग तरह की फिल्म है। रेप जैसे ज्वलंत मुद्दे को सार्थक ढंग से उठाने, उसकी कानूनी स्थितियों की गहनता से पड़ताल करती है यह फिल्म। फिल्म में कानून व्यवस्था और पुलिस की खामियों को सामने रखा गया है, जिसे देखने के बाद दर्शकों को सच में कोर्ट रूम में मौजूद होने का अहसास होता है। फिल्म में कानून का दोहरा इस्तेमाल आपको आखिर तक सच जानने के लिए फिल्म के साथ बांधे रखने में कामयाब होता है। फिल्म में असिस्टेन्ट कॉस्ट्यूम डिजाइनर अंजलि (मीरा चोपड़ा) नामी फिल्म निर्देशक रोहन खुराना (आकाश भट्ट) पर रेप का आरोप लगाती है। तथ्यों और सबूतों के आधार पर निर्देशक को 10 साल की सश्रम की सजा हो जाती है। अब मामला उच्च न्यायालय पहुंचता है, जहां प्रसिद्ध वकील तरुण सलूजा (अक्षय खन्ना) आरोपी रोहन खुराना की पैरवी करते हैं, वहीं दूसरी ओर पीड़िता अंजलि (मीरा चोपड़ा) का केस हीरल गांधी (ऋचा चड्ढा) लड़ती है। कोर्टरूम ड्रामे में भारतीय दंड संहिता की धारा 375 की खूबियों और खामियों की परतें खुलती जाती हैं। फिल्म सहमति और इच्छा के बीच के फर्क को रेखांकित करते हुए बहस को नया आयाम देती है।
चुस्त पटकथा, सशक्त अभिनय, गंभीर तथ्यपरक संवाद और कल्पनाशील संपादन फिल्म को दर्शनीय बना देती है। अक्षय खन्ना ने बचाव पक्ष के वकील के रूप में दमदार अभिनय किया है, वहीं ऋचा चड्ढा ने भी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है। अशोक कदम और कृतिका देसाई ने जज की भूमिका को बखूबी अंजाम दिया है। इतनी सारी खूबियों के साथ ज्वलन्त मुद्दे पर फिल्म बनाने के जोखिम उठाने और उसे सार्थक परिणति तक पहुंचाने के लिए निश्चित रूप से निर्देशक अजय बहल बधाई के पात्र हैं।

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