समुद्री परीक्षण के बाद नौसेना को जल्द मिलेगा फ्लोटिंग मिसाइल टेस्ट रेंज

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दो माह तक चलने वाला आईएनएस अन्वेश का समुद्री परीक्षण इसी महीने शुरू होगा

 इस साल कम से कम बैलिस्टिक मिसाइल वाले चार जहाज चालू होने की उम्मीद



नई दिल्ली, 11 सितम्बर (हि.स.)। भारत के पहले तैरते मिसाइल परीक्षण रेंज (एफटीआर) आईएनएस अन्वेश का समुद्री परीक्षण इस महीने शुरू होने वाला है। यह एफटीआर न केवल डीआरडीओ के मिसाइल प्रोजेक्ट को गति देगा बल्कि बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम के दूसरे चरण के लिए इंटरसेप्टर मिसाइलों के लाइव परीक्षण करने में आसानी होगी। यह परीक्षण दो माह तक चलेगा, जिसके बाद एफटीआर के चालू होने की उम्मीद है।

इस जहाज का निर्माण कोचीन शिपयार्ड ने किया है जबकि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इसे डिजाइन किया है। लगभग 9000 टन के जहाज का उपयोग आबादी या समुद्री यातायात के साथ-साथ खतरे के बिना हिन्द महासागर के अंदर 1500 किलोमीटर की दूरी तक मिसाइलों का परीक्षण करने के लिए किया जाएगा। भारत को इस साल कम से कम चार जहाजों को चालू करने की उम्मीद है, जिसमें बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकिंग जहाज आईएनएस ध्रुव को 10 सितम्बर को राष्ट्रीय अनुसंधान तकनीकी संगठन (एनटीआरओ) को सौंप दिया गया है।

स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक आईएनएस विशाखापत्तनम और डीजल हमला पनडुब्बी आईएनएस वेला, कलवरी का चौथा पोत क्लास भी साल के अंत तक चालू हो जाएगा। इनके चालू होने के बाद एफटीआर आईएनएस अन्वेश भविष्य की मिसाइल परियोजनाओं को गति देगा, क्योंकि यह थकाऊ अभ्यास से गुजरे बिना एक तैयार सुरक्षा गलियारा प्रदान करेगा। इस एफटीआर से समुद्र में 400 से 500 समुद्री मील की दूरी पर मिसाइलों और टॉरपीडो का परीक्षण आसानी से किया जा सकेगा।अभी तक कुछ चुनिंदा देश ही एफटीआर का संचालन करते हैं।

डीआरडीओ ने बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (बीएमडी) के दूसरे चरण में परीक्षण के लिए इंटरसेप्टर मिसाइलें, लॉन्च पैड, नियंत्रण और मिशन नियंत्रण केंद्र के अलावा इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल मिसाइल ट्रैकिंग, एस-बैंड रडार ट्रैकिंग, टेलीमेट्री उपकरणों से लैस पोत का उपयोग करने की योजना बनाई है। बीएमडी के दूसरे चरण में एफटीआर के साथ 2000 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन की मिसाइल को इंटरसेप्टर मिसाइलों के लाइव परीक्षण और नष्ट करने की परिकल्पना की गई है। एफटीआर नौसेना को लाइव मिसाइल और टारपीडो फायरिंग के साथ-साथ भारतीय सेना के साथ सतह से सतह पर मार करने वाली सामरिक मिसाइलों की भी अनुमति देगा।


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