जीडीए की योजनाओं के प्लॉटों की पत्रावलियां ले-आउट प्लान से जुड़ेंगी : कंचन वर्मा

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प्रथम चरण में दो योजनाओं की एक लाख 62 हजार फाइलों की स्कैनिंग कराई जा रही है।



गाजियाबाद, 25 जुलाई (हि.स.)। अब गाजियाबाद विकास प्राधिकरण(जीडीए) की योजनाओं के प्लॉटों की पत्रावलियां ले-आउट प्लान से जोड़ी जाएंगी। इसके लिए जीडीए ने पत्रावलियों की स्कैनिंग शुरू कर दी है। प्रथम चरण में दो योजनाओं की एक लाख 62 हजार फाइलों की स्कैनिंग कराई जा रही है। इन पत्रावलियों को जल्द से जल्द स्कैनिंग कर ले-आउट से अटैच किया जाएगा। इसके बाद आवंटी को लॉगइन और पासवर्ड दिया जाएगा, जिसके जरिए आवंटी संपत्ति की ऑनलाइन जानकारी ले सकेगा।
जीडीए इंदिरापुरम और मधुबन बापूधाम योजना का बेंगलुरु विकास प्राधिकरण के साथ मिलकर वैक्टर मैपिंग करा रहा है। इसके लिए प्राधिकरण इन दोनों योजनाओं के भूखंड की पत्रावलियों को स्कैन कर रहा है।
जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा ने गुरुवार को बताया कि रोजाना 500 से ज्यादा पत्रावलियों की स्कैनिंग कराई जा रही है। स्कैनिंग के बाद इन पत्रावलियों को संपत्ति नंबर देकर पीडीएफ तैयार की जा रही है ताकि इन्हें खोलने के दौरान पत्रावलियों में पूरी जानकारी मिल सके। अभी तक छह हजार से ज्यादा संपत्ति की पत्रावलियों की स्कैनिंग की जा चुकी है। साथ ही इनकी पीडीएफ भी बनाई जा रही है।
कंचन वर्मा ने बताया कि इसके बाद इन पत्रावलियों को योजना के अनुसार वैक्टर मैपिंग के जरिए प्राधिकरण की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा, जहां से आवंटी अपनी संपत्ति की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकेगा। इससे प्राधिकरण को भी संपत्तियों की पूरी जानकारी रहेगी।
एक क्लिक में मिलेगी जानकारी
सामान्य मैपिंग से वेक्टर मैपिंग अलग होती है। वेक्टर मैप में चिन्हित क्षेत्र की हर संपत्ति, जीडीए द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं जैसे पार्क, सड़क, लाइट आदि का विवरण डिजीटल तौर पर शामिल रहेगा। इससे सिंगल क्लिक में आप किसी भी संपत्ति से जुड़े सभी ब्यौरे जैसे उसकी माप, बकाया धनराशि, रजिस्ट्री की डिटेल आदि जान सकेंगे।
जीडीए अधिकारियों ने बताया कि दोनों योजनाओं की कई पत्रावलियां नहीं मिल रही है। इसका कारण यह है कि बाबुओं ने योजना अनुसार फाइलों को नहीं रखा है। इस लिए रोजाना स्केनिंग के दौरान दस से 15 पत्रावलियां गायब या डुप्लीकेट मिल रही है। उन्होंने बताया कि शुरुआत में भी इसी तरह की समस्या आई थी लेकिन वह पत्रावलियां दूसरी अलमारियों में मिल गई।
जिसके नाम रजिस्ट्री उसकी बनेगी लॉग-इन आईडी
जीडीए अधिकारियों के मुताबिक जिस आवंटी या खरीदार के नाम रजिस्ट्री होगी। उसी के नाम की लॉग-इन आईडी बनाई जाएगी। अगर किसी ने आवंटी से भूखंड या मकान खरीद लिया है और उसकी रजिस्ट्री नहीं कराई है, तो उसके नाम की लॉगइन आईडी नहीं बनाई जा सकती है क्योंकि प्राधिकरण में पॉवर ऑफ अटार्नी या अन्य तरह के बेचे गए भूखंड मान्य नहीं है। सिर्फ रजिस्ट्री होकर खरीदार के नाम म्यूटेशन होना जरूरी है।

 


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