अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू

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पहले निर्मोही अखाड़ा की तरफ से रखी जा रही दलील



नई दिल्ली, 06 अगस्त (हि.स.)। अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने सुनवाई शुरू कर दी है। सबसे पहले निर्मोही अखाड़ा के वकील सुशील जैन दलील रख रहे हैं। जैन ने कहा कि विवादित परिसर के अंदरूनी हिस्से पर पहले हमारा कब्ज़ा था, जिसे दूसरे ने बलपूर्वक कब्ज़े में ले लिया। बाहरी पर पहले विवाद नहीं था। 1961 से विवाद शुरू हुआ।

जैन ने कहा कि मस्ज़िद को पुराने रिकॉर्ड में मस्ज़िद ए जन्मस्थान लिखा गया है। बाहर निर्मोही साधु पूजा करवाते रहे। हिन्दू बड़ी संख्या में पूजा करने और प्रसाद चढ़ाने आया करते थे। निर्मोही के संचालन में कई पुराने मंदिर हैं। झांसी की रानी ने भी हमारे एक मंदिर में प्राण त्यागे थे। निर्मोही अखाड़े के वकील की जिरह के बीच में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने जब बोलना शुरू किया तो चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उन्हें टोकते हुए कहा कि आपको भी जिरह के लिए पर्याप्त मौका मिलेगा तब धवन ने कहा कि हमें शक है कि हमें पर्याप्त समय मिलेगा। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि ये कोर्ट में बर्ताव करने का सही तरीका नहीं है।

पिछले दो अगस्त को कोर्ट ने पाया था कि अयोध्या मामले पर मध्यस्थता प्रक्रिया असफल हो चुकी है। उसके बाद कोर्ट ने आज से रोजाना सुनवाई करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त मध्यस्थता कमेटी ने पिछले एक अगस्त को अपनी फाइनल रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी। पिछले 18 जुलाई को कोर्ट ने मध्यस्थता कमेटी से यह रिपोर्ट मांगी थी।

पिछले 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले की मध्यस्थता कर रही कमेटी से स्टेटस रिपोर्ट तलब किया था। सुनवाई के दौरान हिन्दू पक्षकार गोपाल सिंह विशारद की ओर से वरिष्ठ वकील के परासरन ने कोर्ट से जल्द सुनवाई की तारीख तय करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि अगर कोई समझौता हो भी जाता है, तो उसे कोर्ट की मंजूरी ज़रूरी है। इस दलील का मुस्लिम पक्षकारों की ओर से राजीव धवन ने  विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि ये मध्यस्थता प्रकिया की आलोचना करने का वक़्त नहीं है।

राजीव धवन ने मध्यस्थता प्रकिया ओर सवाल उठाने वाली याचिका को खारिज करने की मांग की थी लेकिन निर्मोही अखाड़ा ने गोपाल सिंह विशारद की याचिका का समर्थन किया था। निर्मोही अखाड़े ने कहा था कि मध्यस्थता प्रकिया सही दिशा में आगे नहीं बढ़ रही है। इससे पहले अखाड़ा मध्यस्थता प्रकिया के पक्ष में था।

पिछले 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर मध्यस्थता के लिए मध्यस्थों को 15 अगस्त तक मध्यस्थता पूरी करने का निर्देश दिया था। मध्यस्थता कमिटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें मध्यस्थता के लिए और 15 अगस्त तक का समय देने की मांग की गई थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सकारात्मक मध्यस्थता होने की बात कही थी।

पिछले

पिछले आठ मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज एफ.एम. कलीफुल्ला, धर्म गुरु श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचु को मध्यस्थ नियुक्त किया था। कोर्ट ने सभी पक्षों से बात कर मसले का सर्वमान्य हल निकालने की कोशिश करने को कहा था।

 


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