नई दिल्ली, 23 जुलाई (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद के खोरी गांव से अवैध निर्माण हटाये जाने को लेकर चल रही कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने लोगों के बेघर होने होने को लेकर संयुक्त राष्ट्र की ओर से दिये गए बयान को खारिज करते हुए कहा कि बेहतर होता कि संयुक्त राष्ट्र ने हमारे पुराने आदेश और पेपरबुक को देखा होता।
सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी तब कि जब वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने सुनवाई में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का जिक्र किया। पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ऑफिस ने खोरी से करीब दस हज़ार लोगों को हटाए जाने की कार्रवाई रोकने की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने राहत की मांग रहे याचिकाकर्ताओं से कहा कि अथॉरिटी के सामने अपनी बातें रखें।
17 जून को भी सुप्रीम कोर्ट ने झुग्गियों को हटाने की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता चाहें तो फरीदाबाद नगर निगम को दस्तावेज दिखा सकते हैं। फरवरी 2020 के बाद लोगों को वन भूमि खाली करने का पर्याप्त मौका दिया गया। पुनर्वास योजना का लाभ लेने के लिए लोगों को अपने दस्तावेज दिखाने का भी पर्याप्त अवसर दिया गया था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील अपर्णा भट्ट ने कहा था कि इस मामले के लंबित होने के बावजूद लोगों को जबरन हटाया जा रहा है। तब कोर्ट ने कहा कि वन भूमि को खाली करने दीजिए। इस पर अपर्णा भट्ट ने कहा कि कोरोना के इस महामारी में कम से कम बच्चों के लिए अस्थायी आश्रय की व्यवस्था होनी चाहिए । तब कोर्ट ने कहा था कि इस मसले पर हरियाणा सरकार विचार करे।
वन भूमि पर कब्जा कर बनी लगभग दस हजार झुग्गियों को 7 जून को कोर्ट ने 6 हफ्ते में हटाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जंगल की ज़मीन कब्जाने वालों से कोई रियायत नहीं हो सकती है। फरवरी 2020 में भी सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया था। कोर्ट ने इस आदेश का पालन न होने पर अधिकारियों को अवमानना कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी।