सुप्रीम कोर्ट का यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा टालने से इनकार

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नई दिल्ली, 30 सितम्बर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने चार अक्टूबर को होने वाली यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा टालने के आदेश देने से इनकार कर दिया है। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने यूपीएससी की इन दलीलों को स्वीकार किया कि अब परीक्षा टालने का असर अगले साल की परीक्षा पर भी पड़ेगा। प्रतिभागियों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए उचित इंतज़ाम किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण मंत्रालय को निरेदश दिया कि यूपीएससी की परीक्षा देनेवाले उन अभ्यर्थियों को एक मौका और दें जिनके लिए ये अंतिम मौका है। कोर्ट ने यूपीएससी को निर्देश दिया कि वो केंद्र सरकार के स्टैंडर्ड आपरेशन प्रोसिजर के मुताबिक एहतियाती उपायों को नोटिफाई करे। यूपीएससी ये सुनिश्चित करे कि एक परीक्षा केंद्र पर सौ से ज्यादा अभ्यर्थी न हों। कोर्ट ने खांसी और बुखार वाले अभ्यर्थियों के परीक्षा में बैठने की अलग से व्यवस्था करने का निर्देश दिया। पिछले 28 अक्टूबर को यूपीएससी की प्रिलिम्स परीक्षा को कोरोना के चलते टालने की मांग से यूपीएससी ने असहमति जताई थी। यूपीएससी ने कहा था कि परीक्षा महत्वपूर्ण सरकारी सेवाओं के लिए है। इसे पहले भी टाला जा चुका है। अब और टालना सही नहीं होगा। तब कोर्ट ने यूपीएससी को लिखित हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
याचिका आगामी यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होने वाले बीस अभ्यर्थियों ने दायर की थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने कहा था कि यूपीएससी की 4 अक्टूबर को प्रीलिम्स परीक्षा होने वाली है। कोरोना और बाढ़ की वजह से कई राज्य सरकारों ने इसकी तैयारी नहीं की है। याचिका में कहा गया था कि यूपीएससी की प्रीलिम्स की परीक्षा दो-तीन महीने बढ़ा दी जाए ताकि राज्य सरकारें इसके लिए एहतियाती कदम उठा सकें।
याचिका में कहा गया था कि ये परीक्षा सात घंटे की होगी जिसमें करीब छह लाख अभ्यर्थी हिस्सा लेंगे। इसके परीक्षा केंद्र देश के 72 शहरों में स्थित हैं। अगर राज्य सरकारें इसके लिए तैयारी नहीं करेंगी तो इस परीक्षा से कोरोना बढ़ने की आशंका है। याचिका में कहा गया था कि अभ्यर्थियों को बीमारी और मौत के तनाव के बीच परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

 


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