सुप्रीम कोर्ट का आदेश, प्रवासी मजदूरों पर दर्ज लॉकडाउन उल्लंघन के केस वापस हों

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नई दिल्ली, 09 जून (हि.स.)। प्रवासी मज़दूरों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जो प्रवासी मजदूर लौटना चाहते हैं उन्हें 15 दिन के भीतर भेजा जाए। राज्य की तरफ से मांग के 24 घंटे में श्रमिक ट्रेन उपलब्ध कराई जाए। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के लिए राज्य सरकारें सहायता केंद्र बनाएं और उन्हें रोजगार के अवसरों के बारे में जानकारी दें। कोर्ट ने कहा कि मज़दूरों पर दर्ज लॉकडाउन उल्लंघन के केस वापस लेने पर विचार करें।
कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे उन प्रवासी मजदूरों की सूची बनाएं जो अपने कार्यस्थल पर जाना चाहते हैं। सरकारें उन्हें अपने काम पर दोबारा लौटने के पहले में उचित काउंसलिंग करे। कोर्ट ने इस आदेश की अनुपालना रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी। इस मामले में केंद्र सरकार ने अपना हलफनामा दाखिल कर कहा था कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के सहयोग से केंद्र ने सड़कों पर चल रहे प्रवासी श्रमिकों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में मदद की।
केंद्र ने कहा था कि राज्य सरकारों और रेलवे ने भोजन और पानी मुफ्त उपलब्ध कराया। केंद्र सरकार ने कहा था कि संबंधित राज्य सरकारों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं के अलावा 1 जून तक, रेलवे ने 1 करोड़ 63 लाख भोजन और दो करोड़ दस लाख से अधिक पैक पेयजल की बोतलें बांटी। केंद्र सरकार ने हलफनामे में ये भी कहा था कि केंद्र, राज्य सरकारों, सभी फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं और पूरे देश ने इस अभूतपूर्व कोरोना महामारी से निपटने और जीवन के हर पहलू की देखभाल करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया है।
 पिछले 5 जून को कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि कि अभी तक करीब एक करोड़ प्रवासी मजदूरों को उनके कि घर पहुँचाया गया है। इनमे बसों के जरिये 41 लाख, ट्रेन के जरिये 57 लाख मजदूरो को उनके गृह राज्य भेजा गया। 4270 श्रमिक ट्रेन अभी तक चलाई गई है। मेहता ने कहा था कि हमने राज्यों से पूछा है कि कितने मजदूरों को शिफ्ट करने की ज़रूरत है और कितने ट्रेन की ज़रूरत है। पिछले 28 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रवासी मजदूरों से ट्रेन या बस का किराया नहीं वसूला जाए। ट्रेन का किराया राज्य सरकारें देंगी। प्रवासी मजदूरों को खाना और पानी संबंधित राज्य सरकारें उपलब्ध कराएंगी। प्रवासी मजदूरों को ये सूचना दी जाएगी कि उनका ट्रेन कब है।
उसके पहले 26 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया था।

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