नई दिल्ली, 23 सितंबर (हि.स.)। कोरोना से मौत पर 50 हजार रुपये का मुआवजा तय करने की जानकारी केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को आपदा प्रबंधन कोष से बहुत से खर्च करने होते हैं। इसके बावजूद लाखों लोगों को मुआवजा देना बड़ी बात है। विपरीत परिस्थितियों में भारत ने जिस तरह काम किया है, वह सराहनीय है। कोर्ट ने कहा कि वह 4 अक्टूबर को विस्तृत आदेश जारी करेगा।
सरकार ने कोर्ट को बताया कि आत्महत्या करने वाले कोरोना मरीजों के परिवार को भी मुआवजा मिलेगा। दिल के दौरे से मरने वाले कोरोना मरीज़ों का परिवार भी जिला कमेटी को आवेदन दे सकेगा। जांच के बाद कमेटी मुआवजे पर विचार कर सकती है। 22 सितंबर को केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर बताया था कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकार ने इस संबंध में दिशानिर्देश जारी कर दिया है। कोरोना से हुई हर मौत के लिए परिवार को 50 हजार रुपये का मुआवजा मिलेगा। राज्यों के आपदा प्रबंधन कोष से ये पैसे मिलेंगे।
13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से मौत को मृत्यु प्रमाण पत्र में दर्ज करने के सरकार के फैसले पर संतोष जताया था। कोर्ट ने कहा था कि कोरोना पीड़ित के आत्महत्या करने पर मौत की वजह कोरोना न लिखने के प्रावधान पर दोबारा विचार हो। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर ने कोरोना मृत्यु प्रमाण पत्र के बारे में दिशानिर्देश जारी कर दिया है। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि रिपोर्ट पॉजिटिव आने के 30 दिन के भीतर अगर मौत होती है तो उसे कोरोना से हुई मौत माना जाएगा।
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि अगर किसी कोरोना मरीज की मौत जहर से, आत्महत्या से, हत्या या किसी दुर्घटना से हो जाती है तो उसे कोरोना से मौत नहीं माना जाएगा। हलफनामा में कहा गया है कि अगर किसी कोरोना मरीज की घर या अस्पताल में मौत होती है तो रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ एक्ट की धारा 10 के तहत जो फॉर्म-4 और 4ए जारी किया जाएगा, उसमें मौत का कारण कोरोना लिखा जाएगा। हलफनामा में कहा गया है कि रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया इसको लेकर जल्द ही सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के चीफ रजिस्ट्रार के लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी करेंगे।