टेलीकॉम कंपनियों की पुनर्विचार याचिका खारिजा, चुकाने होंगे 92 हजार करोड़ रुपये
नई दिल्ली, 16 जनवरी (हि.स.)। टेलीकॉम कंपनियों को सरकार को लगभग 92 हजार करोड़ रुपये चुकाने होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों की एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) पर फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका ठुकरा दी है।
एजीआर की सरकारी परिभाषा को सही ठहराने वाला फैसला बना रहेगा। एयरटेल को 23 करोड़, वोडाफोन-आइडिया को 27 करोड़ और आरकॉम को साढ़े 16 हजार करोड़ रुपये चुकाने होंगे। 24 अक्टूबर,2019 को सुप्रीम कोर्ट ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) की सरकारी परिभाषा को सही बताते हुए टेलीकॉम कंपनियों को 92,000 करोड़ रुपये चुकाने का आदेश दिया था। कंपनियों का कहना था कि एजीआर में सिर्फ लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम चार्ज आते हैं, जबकि सरकार रेंट, डिविडेंड, संपत्ति बेचने से लाभ जैसी कई चीजों को भी शामिल बता रही थी।
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सबसे पहले 2005 में एजीआर की केंद्र सरकार की गणना को चुनौती दी थी। एसोसिएशन का कहना था कि केंद्र सरकार की गणना टेलीग्राफ एक्ट और ट्राई की अनुशंसाओं के विपरीत है। इसके पहले टेलीकॉम विवाद निस्तारण अपीलीय ट्रिब्यूनल ने कहा था कि एजीआर में रेंट, डिविडेंड, संपत्ति बेचने से लाभ भी शामिल होंगे।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ टेलीकॉम कंपनियों ने 22 नवम्बर,2019 को पुनर्विचार याचिका दायर किया था। एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज ने अलग-अलग पुनर्विचार याचिकाएं दायर की थीं।